Move to Jagran APP

जजों के खिलाफ महाभियोग प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टली

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रावधानों को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस पर सुनवाई सात मई तक के लिए टाल दी गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 08:35 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 09:13 PM (IST)
जजों के खिलाफ महाभियोग प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टली

जेएनएन, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रावधानों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सात मई तक के लिए टाल दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता एडवोकेट हरि चंद अरोड़ा को उनके आरोपों को मजबूत बनाने के लिए अदालत में साक्ष्य पेश करने के आदेश दिए हैं।

loksabha election banner

अपनी याचिका में अरोड़ा ने 'जजेस इंक्वायरी एक्ट' के तहत सांसदों को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रावधानों को चुनौती दे दी है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि संविधान के तहत राष्ट्रपति के  खिलाफ महाभियोग लाने के लिए संबंधित विधायिका के 25 प्रतिशत सदस्यों की सहमति चाहिए होती है, जो कि वर्तमान परिस्थितियों में लोकसभा के सांसदों के लिए 138 और राज्यसभा के सदस्यों के लिए 61 बनती है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 50 सदस्यों की सहमति चाहिए। अरोड़ा ने कहा कि राष्ट्रपति का पद राजनीतिक पद है, इसलिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सांसदों के संख्या के नियम कम से कम राष्ट्रपति के समान तो होने ही चाहिए।
अरोड़ा ने इस समय आपराधिक मामले झेल रहे सांसदों की सूची भी अदालत में पेश करने की बात कही। जिस पर सुनवाई को स्थगित करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को उनके दावों को मजबूत बनाने वाले साक्ष्य पेश करने के आदेश दिए है।

उल्लेखनीय है कि इस याचिका में अरोड़ा ने कहा है कि न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग लाने का अधिकार रखने वाले सांसदों में से इस समय 200 से अधिक पर अपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से बड़ी संख्या में सांसद पेशेवर वकील हैं। याचिका के अनुसार पेशे से वकील सांसदों द्वारा न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रावधान, हितों का परस्पर विरोध 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' के दायरे में आता है।

उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इसी सप्ताह के आरंभ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को अस्वीकार किया था। अब उपराष्ट्रपति के इस फैसले को विपक्षी दलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।

अनुभाग 3 के प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट की स्थापना को निर्देशित करने वाले संविधान के अनुभाग 124 ए का उल्लंघन बताते हुए अरोड़ा ने कहा है कि 50 राज्यसभा सांसद देश के कुल सांसदों का सिर्फ छह फीसद बनते हैं। सिर्फ छह प्रतिशत सांसदों की सहमति पर पेश किए जाने वाले महाभियोग प्रस्ताव को ना तो राज्यसभा और ना ही लोकसभा में पारित करवाए जाने की कोई संभावना हो सकती है।

यह भी पढ़ेंः बैकफुट पर सरकार, डेवलपमेंट टैक्स स्वैच्छिक रूप से लागू करने पर हो रहा विचार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.