यह स्कूल लाहौर से जालंधर और फिर यूंं हुआ चंडीगढ़ में स्थापित, जानें क्या है इसका गौरवशाली इतिहास
इस स्कूल की स्थापना 1886 में लाहौर में हुई थी लेकिन देश के बंंटवारे के बाद पहले यह जालंधर में स्थापित हुआ और फिर 1958 में चंडीगढ़ में पुन स्थापना की गई।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। चंडीगढ़ का डीएवी स्कूल व कॉलेज अपने साथ विभाजन की यादें भी समेटे हुए है। दरअसल इनकी स्थापना 1886 में लाहौर में हुई थी, लेकिन देश के बंंटवारे के बाद पहले यह जालंधर में स्थापित हुए और फिर 1958 में चंडीगढ़ में इनकी पुन: स्थापना की गई। इस प्रकार तीन शहरों की यादें संजोए आज ये शिक्षा संस्थान बुलंदियां छू रहे हैं।
'सांझे पंजाब’ में जिन शिक्षा संस्थानों की स्थापना हुई उनमें से जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए उन्हीं में शामिल था डीएवी इंस्टीट्यूूशन भी। लाहौर में शुरू किए गए डीएवी स्कूल को बाद में चंडीगढ़ में स्थापित किया गया। पंजाब यूनिवर्सिटी की स्थापना करने के बाद चंडीगढ़ में ही डीएवी मैनेजमेंट द्वारा सेक्टर-10 में और सेक्टर-8 में शैक्षणिक संस्थान खोले थे। डीएवी स्कूल लाहौर सेक्टर-8 में पहली से आठवीं और सेक्टर-10 के संस्थान में नौंवी से इंटर की पढ़ाई कराई जाती थी। सेक्टर-8 का स्कूल इस समय सीनियर सेकेंडरी बन चुका है, जबकि सेक्टर-10 का संस्थान कॉलेज का रूप ले चुका है।
डीएवी लाहौर और कॉलेज के अलावा इस समय डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर- 8 केवीडीएवी स्कूल सेक्टर-7, डीएवी स्कूल सेक्टर-39, डीएवी मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-15 की स्थापना हो चुकी है। डीएवी स्कूल की शुरूआत जून 1886 में लाहौर में हुई थी। आजादी के बाद यह जालंधर में आकर स्थापित हुई। उसके बाद स्कूल और कॉलेज के लिए जमीन निर्धारित की गई, जो कि वर्तमान में कॉलेज के लिए सेक्टर-10 और स्कूल के लिए सेक्टर-8 में मौजूद है।
कई दिग्गज पढ़े हैं यहां
डीएवी लाहौर और डीएवी कॉलेज से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स खेल की दुनिया में बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके है। इनमें सबसे पहले नाम आता है किक्रेटर पूर्व कप्तान कपिल देव का, युवराज सिंह, योगराज सिंह, दिनेश मोगिया, चेतन शर्मा, आरबी सिंह, मनन वोेहरा, प्रशांत चोपड़ा, अशोक मल्होत्रा, टेनिस में कृष्ण हुड्डा, विजयंत मलिक, अजय यादव शामिल है। इसी प्रकार से राजनीति की दुनिया में संजय टंडन, रणदीप सिंह सूरजेवाल मौजूद है। वहीं कॉलेज से परमवीर चक्र विजेता विक्रम बत्रा सहित देश के करीब बीस शहीद यही से पढ़े थे। इसके अलावा शूटर अंजुम मोदगिल भी यहीं की स्टूडेंट है।
डीएवी कॉलेज मेरा ड्रीम था
क्रिकेटर युवराज सिंह का कहना है कि डीएवी कॉलेज मेरा ड्रीम था। जब यहां आया था तो इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन पापा यहीं से पढ़े हुए थे, उन्होंने कॉलेज के बारे में बहुत कुछ बता रखा था। आज जब किसी मुकाम पर हूं, तो लगता है कि इस कॉलेज का मुझे बनाने में बहुत अहम योगदान है।
कालेज में मिले सारे गुण
युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह पूर्व क्रिकेटर व अभिनेता हैं। उनका कहना है कि वह कॉलेज के अभारी हैं। इस कालेज में उन्होंने अपने करियर की शुरूआत एक क्रिकेटर के तौर पर की। उसके बाद वह उसे छोड़कर फिल्मी दुनिया में भी काम करने लगे। उनका कहना है कि यह सारे गुण उन्हें इसी कालेज में मिले।
मुझे गर्व है कि मैं इस कॉलेज में पढ़ा
क्रिकेटर दिनेश मोंगिया का कहना है कि वह खुद इस कॉलेज से पढ़ने के बाद यहां पर किक्रेट की एकेडमी चला रहे हैं। मोंगिया का कहना है, ''मुझे गर्व है कि मैं इस कॉलेज में पढ़ा। जिसके कारण मैं एक किक्रेटर बना और आज दूसरों को शिक्षा देने का माध्यम भी बना हूं।''
मेरी हर जरूरत यहां पर आकर पूरी हुई
शूटर अंजुम मोदगिल का कहना है, ''मैंने डीएवी कॉलेज से ग्रेजुुएशन की है। मेरे खेल के लिए कॉलेज की अहम भूमिका है। मेरी हर जरूरत यहां पर आकर पूरी हुई है। मैं खुश हूं कि डीएवी जैसा संस्थान शहर में है, जहां पर शिक्षा के साथ-साथ खेल और अभिनय की दुनिया में जाने का मौका मिलता है।''
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