पराली संकट: मशीनों के लिए केंद्र देगा 80 फीसद तक सब्सिडी
-केंद्र सरकार ने आवंटित किया 670 करोड़ रुपये का फंड -हर साल निकलने वाली 2 करोड़ टन पर
-केंद्र सरकार ने आवंटित किया 670 करोड़ रुपये का फंड
-हर साल निकलने वाली 2 करोड़ टन पराली में से 75 फीसद जलाई जाती है
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कैलाश नाथ, चंडीगढ़: पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पंजाब को बड़ी राहत दी है। केंद्र ने मशीनों की मदद से पराली का निस्तारण करने के लिए 670 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का फैसला किया है। ग्रुप बनाकर मशीनरी खरीदने वाले किसानों को 80 फीसद तक सब्सिडी मिलेगी, जबकि व्यक्तिगत रूप से मशीनरी खरीदने वाले को 50 फीसद तक सब्सिडी दी जाएगी। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू के अनुसार हम इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि किसान ग्रुप बनाकर मशीनें खरीदें, ताकि मशीनरी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सके।
हर साल धान की पराली जलने से पंजाब में न सिर्फ वातावरण प्रदूषित हो रहा है, बल्कि पराली के धुएं से जानी नुकसान भी हो रहा है। करीब तीन वर्षो में सर्दी के मौसम में नई दिल्ली में इसका काफी बुरा असर पड़ रहा है। लोगों को सांस लेना मुश्किल हो जाता है। फरवरी में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट में भी पराली निस्तारण के लिए मशीनों की खरीद पर सब्सिडी देने की घोषणा की थी। इन मशीनों के लिए पैनल बना रही केंद्र सरकार
काहन सिंह पन्नू ने बताया कि केंद्र सरकार हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ बेलर, रोटावेटर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर (मल्चर), रेक, स्ट्रॉ रिपर व अन्य मशीन कंपनियों का पैनल बना रही है। इन कंपनियों को सीधी सब्सिडी दी जाएगी। अगले धान की सीजन में पराली के निस्तारण का काम शुरू हो जाएगा। सरकार कोशिश कर रही है कि किसान ग्रुप बनाकर मशीनें खरीदें, ताकि उन पर ज्यादा बोझ न पड़े। व्यक्तिगत रूप से मशीनरी खरीदने पर मात्र 50 फीसद की सब्सिडी दी जाएगी, जबकि ग्रुप में 80 फीसद का लाभ मिलेगा। कंपनी का पैनल बनने के बाद पंजाब में इस मामले पर तेजी से काम किया जाएगा। पंजाब में प्रदूषण की स्थिति
पंजाब एनर्जी डेवलपमेंट अथॉरिटी (पेडा) मुताबिक पंजाब में हर साल 2 करोड़ टन पराली निकलती है, जिसमें से 75 फीसद जलाई जाती है। पंजाब के चार शहर समस्या से सर्वाधिक जूझ रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस पर अपनी चिंता जाहिर की है। डब्ल्यूएचओ की ओर से देश के 25 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में इन शहरों को शामिल किया गया है। वर्ष 2015 में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में अमृतसर 14वें स्थान पर था, जो अब 21वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि लुधियाना 15वें स्थान पर था और अब 12वें स्थान पर आ गया है। वहीं खन्ना 20वें नंबर से 16वें पर पहुंच गया है। हवा में फाइन पार्टिकल्स मैटर (पीएम) की मात्र 2.5 निर्धारित है। डब्ल्यूएचओ किसी भी क्षेत्र में हवा में शामिल दूषित कणों में 10 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक से अधिक मात्रा नहीं होनी चाहिए। भारतीय मानकों के अनुसार यह मात्रा 40 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक से अधिक नहीं होनी चाहिए। लुधियाना में दूषित कणों की संख्या 112 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक है, जो भारतीय मानकों अनुसार तीन गुणा से अभी अधिक है। डब्ल्यूएचओ अनुसार यह मात्रा 12 गुणा से भी अधिक है। हवा में इस समय सल्फर डाईओक्साइड, नाइटट्रोजन आॉक्साइड के तत्व अधिक हैं।