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सीसीपीसीआर करेगा साइकोसिस के शिकार बच्चों के लिए काम

बच्चे कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा साइकोसिस का शिकार हुए हैं उन्हें उस स्थिति से उभारने के लिए सीसीपीआर पीजीआइ चंडीगढ़ और सोशल वेलफेयर विभाग के आंगनबाड़ी सेंटर के साथ मिलकर जल्द अभियान शुरू करेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 09:04 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 09:04 PM (IST)
सीसीपीसीआर करेगा साइकोसिस के शिकार बच्चों के लिए काम
सीसीपीसीआर करेगा साइकोसिस के शिकार बच्चों के लिए काम

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बच्चे कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा साइकोसिस का शिकार हुए हैं, उन्हें उस स्थिति से उभारने के लिए सीसीपीआर पीजीआइ चंडीगढ़ और सोशल वेलफेयर विभाग के आंगनबाड़ी सेंटर के साथ मिलकर जल्द अभियान शुरू करेगा। बच्चों की मानसिक स्थिति के बारे में समझने के लिए बुधवार को सीसीपीआर मलोया में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें पीजीआइ चंडीगढ़ से बाल रोग विशेषज्ञ डा. प्रवीन कुमार मुख्य अतिथि के तौर पर और कमीशन चेयरपर्सन हरजिदर कौर, डा. मोनिका सिंह, करतार सिंह और निति मोहन मौजूद रहे।

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डा. प्रवीन ने कोरोना काल के दौरान शहर के विभिन्न बच्चों पर सर्वे किया, जिसमें अलग-अलग पहलू निकलकर सामने आए हैं। इनसे निपटने के लिए कमीशन चेयरपर्सन ने कहा कि बच्चों की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए जल्द ही प्रोग्राम को ग्राउंड लेवल पर उतारा जाएगा। यह है साइकोसिस

साइकोसिस के तहत इंसान के दिमाग में डर पैदा होता है। इसके बाद वह हर बात को नकारात्मक तरीके से लेता है और खुद को खत्म करने के बारे में विचार करता है। मां की स्थिति को देख बच्चे हो रहे साइकोसिस का शिकार : डा. प्रवीन

डा. प्रवीन ने बताया कि दो साल तक की उम्र के बच्चे मां के सबसे नजदीक रहते हैं। जो भी घटनाएं या बातें मां के साथ होती वह बच्चे के मानसिक विकास पर असर डालती है। सर्वे में सामने आया है कि आठ फीसद बच्चे साइकोसिस का शिकार है। दो साल के ज्यादातर बच्चे स्तनपान भी करते हैं, जिसके चलते वह मां की मानसिक स्थिति से ज्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि हम जल्द उनके लिए प्लानिग करें। ताकि वह साइकोसिस स्थिति से उभर सके। आंगनबाड़ी सेंटर का लिया जाएगा सहयोग

कमीशन चेयरपर्सन हरजिदर कौर ने बताया कि सर्वे में ज्यादातर मध्यम वर्गीय और निम्न वर्ग के बच्चे शामिल रहे। ऐसे बच्चे तीन साल की उम्र में आंगनबाड़ी सेंटर में आते हैं। उन बच्चों को आंगनबाड़ी सेंटर के अंदर या फिर बाहर भी ऐसे कार्यक्रमों से जोड़ा जा सकता है कि वह बेहतर मानसिक विकास कर सके। इसी को देखते हुए हमने शहर में चल रहे 440 आंगनबाड़ी सेंटर के कार्यकर्ताओं को पीजीआइ में ट्रेनिग दिलाने का प्लान बनाया है जिसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा।


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