चंडीगढ़ में फर्जी आर्म्स लाइसेंस हासिल करने वालों पर सीबीआइ का शिकंजा, नोटिस किए जारी
लाइसेंसधारकों को तय तारीख पर सीबीआइ कार्यालय में पेश होकर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसमें धांधली मिलने पर लाइसेंस रद कर धारक की गिरफ्तारी की जाएगी।
चंडीगढ़, कुलदीप शुक्ला। बड़े पैमाने पर आर्म्स के फर्जी लाइसेंस जारी करने के मामले में जांच कर रही सीबीआइ ने अब 30 हजार लाइसेंसधारकों को नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत सभी आर्म्स लाइसेंसधारकों को तय तारीख पर सीबीआइ कार्यालय में पेश होकर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसमें धांधली मिलने पर लाइसेंस रद कर धारक की गिरफ्तारी की जाएगी।
कुपवाड़ा के पूर्व डीसी आइएएस राजीव रंजन और डीएम रहे इतरित हुसैन पर उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के लोगों को फर्जी दस्तावेजों पर कश्मीरी बताकर लाइसेंस जारी करने का आरोप हैं। सीबीआइ की जांच के दायरे में उक्त सभी राज्यों के लोग शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार अब सीबीआइ ने इन दोनों अधिकारियों के कार्यकाल में आर्म्स लाइसेंस लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नोटिस भेज कर आफिस में पेश होने को कहा है।
इसके बाद उन लाइसेंसधारकों को उस समय लाइसेंस के लिए दाखिल अर्जी में लगाए गए सभी ओरिजनल दस्तावेजों के साथ पेश होना होगा। सीबीआइ उनके दस्तावेजों की संबंधित ब्रांच से वेरिफिकेशन करेगी। इस पूरी प्रक्रिया तक दस्तावेज जमा करवाने वाले धारकों को प्रदेश से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। दस्तावेज जाली मिलने पर लाइसेंसधारक को गिरफ्तार कर मामले में पूछताछ की जाएगी।
आइएएस राजीव रंजन चंडीगढ़ से हुए थे गिरफ्तार
एक मार्च 2020 को सीबीआइ ने कुपवाड़ा में डीसी रह चुके कश्मीर कैडर के 2010 बैच के आइएएस राजीव रंजन को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया था। रंजन उस समय मेट्रोपॉलिटन रेगुलेटरी अथॉरिटी जम्मू के एडिशनल चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर थे। उनके पास जम्मू विकास प्राधिकरण के वाइस चांसलर का अतिरिक्त प्रभार भी था। जबकि, 2013 से 2015 तक कुपवाड़ा के डीएम रहे इतरित हुसैन को भी जांच के बाद उनकी संलिप्तता मिलने पर गिरफ्तार कर लिया था।
चंडीगढ़ सीबीआइ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। मामले के अनुसार 2016 से 2017 तक कुपवाड़ा में तैनाती के दौरान राजीव रंजन ने करीब 30 हजार आर्म्स लाइसेंस जारी किए। उन्होंने प्रति लाइसेंस 8-10 लाख रुपये लिए थे। ये लाइसेंस कश्मीरियों को ही नहीं बल्कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोगों को भी फर्जी कागजातों पर कश्मीरी बताकर जारी किए गए थे।
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