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थीम पार्क मामले में पूर्व एडवाइजर, गृह सचिव, और डायरेक्टर टूरिज्म को सीबीआइ की क्लीन चिट

वर्ष 2006 के एम्यूजमेंट/थीम पार्क से जुड़े मामले में तत्कालीन एडवाइजर ललित कुमार, गृह सचिव कृष्ण मोहन शर्मा, यूटी टूरिज्म डायरेक्टर विवेक अत्रे को सीबीआइ ने क्लीन चिट दे दी है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 12:07 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 12:41 PM (IST)
थीम पार्क मामले में पूर्व एडवाइजर, गृह सचिव, और डायरेक्टर टूरिज्म को सीबीआइ की क्लीन चिट
थीम पार्क मामले में पूर्व एडवाइजर, गृह सचिव, और डायरेक्टर टूरिज्म को सीबीआइ की क्लीन चिट

चंडीगढ़ [अमरीश शर्मा]। वर्ष 2006 में सारंगपुर में बनने वाले एम्यूजमेंट/थीम पार्क से जुड़े मामले में आरोपित तत्कालीन एडवाइजर ललित कुमार, गृह सचिव कृष्ण मोहन शर्मा, यूटी टूरिज्म डायरेक्टर विवेक अत्रे और यूनिटेक लिमिटेड के डायरेक्टर अजय चंद्रा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने क्लीन चिट दे दी है। 73.65 एकड़ जमीन पर बनने वाले एम्यूजमेंट थीम पार्क घोटाले में सीबीआइ ने तीसरी बार क्लोजर रिपोर्ट दायर की है। 13 साल पुराने मामले में सीबीआइ को जांच के बाद इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। इससे पहले दो बार अप्रैल 2012 और फरवरी 2013 में जांच एजेंसी ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर नए सिरे से जांच के आदेश दिए थे। रिपोर्ट पर सीबीआइ अदालत अब 23 जनवरी को सुनवाई करेगी।

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केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की प्रारंभिक जांच के आधार पर गृह मंत्रालय ने वर्ष 2006 में तत्कालीन प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल एसएफ रोड्रिग्स को मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। यूटी प्रशासक के आदेश पर एम्यूजमेंट थीम पार्क घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश हुए थे। जांच के बाद मामले में सीबीआइ ने 4 अक्टूबर 2010 को मामले में उक्त सभी के खिलाफ आइपीसी की धारा 420, 201 और 120बी के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) आर/डब्ल्यू 13 (2) के तहत एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।

तत्कालीन एडवाइजर ललित कुमार, गृह सचिव कृष्ण मोहन शर्मा और यूटी टूरिज्म डायरेक्टर विवेक अत्रे पर नियमों के विपरीत जाकर यूनिटेक लिमिटेड को प्रस्तावित एम्यूजमेंट थीम पार्क की 33 साल के लिए लीज देने का आरोप था। जबकि, जिस आधार पर यूनिटेक को कांट्रेक्ट दिया गया था, उसी आधार पर पहले डीएलएफ को इसके लिए अयोग्य करार दिया गया था। डीएलएफ को फायदा पहुंचाने के लिए उसे यह कांट्रेक्ट देने का आरोप उक्त अधिकारियों पर लगा था।

78 पेज की तीसरी क्लोजर रिपोर्ट में सीबीआइ ने दावा किया है कि, उन्हें जांच के बाद आरोपित ललित कुमार, कृष्ण मोहन और विवेक अत्रे के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। प्रोजेक्ट शुरुआती चरण में था और इसे शुरू करने से पहले ही बंद कर दिया गया। ऐसे में आरोपितों के खिलाफ कोई भी आपराधिक सबूत नहीं हैं। सीबीआइ पहले ही गृह मंत्रालय को तत्कालीन गृह सचिव कृष्ण मोहन और डायरेक्टर यूटी टूरिज्म और आइटी विवेक अत्रे के खिलाफ कार्रवाई के लिए लेटर भेज चुका है।

यह है मामला

मार्च 2006 में तत्कालीन यूटी टूरिज्म के डायरेक्टर विवेक अत्रे ने चंडीगढ़ के सारंगपुर में मल्टी मीडिया कम फिल्म सिटी और थीम पार्क (एम्यूजमेंट पार्क) के लिए साइट्स का प्रपोजल जारी किया था। थीम पार्क में फिल्मों के निर्माण के लिए डिजिटल स्टूडियो, कई तरह की शूटिंग साइट्स के अलावा कई तरह की सुविधाएं शामिल थीं। यह थीम पार्क लॉस एंजिल्स के यूनिवर्सल स्टूडियो, सिंगापुर के सेंटोसा आइसलैंड और मलेशिया के थीम पार्क की तर्ज पर बनाया जाना था। नियमों के अनुसार जिस भी कंपनी को इसका टेंडर दिया जाता उसे इसे बनाकर चंडीगढ़ प्रशासन 33 साल के लिए लीज पर देती। यह प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर चलना था। कंपनी को लीज के तौर पर प्रशासन को सालाना 5.50 करोड़ रुपये देने थे।

13 कंपनियों ने किया था आवेदन

थीम पार्क के टेंडर के लिए 13 कंपनियों ने आवेदन किया था। इनमें से नियमों पर खरी उतरने के बाद छह कंपनियों का चयन हुआ था। इनमें पैंटालून रिटेल होल्डिंग, डीएलएफ, पाश्र्वनाथ डेवलपर्स लिमिटेड, एम्मार एमजीएफ लिमिटेड, राइट्र्स एंड पब्लिशर्स लिमिटेड और यूनिटेक लिमिटेड शामिल थी। हालांकि इसके बाद फाइनल राउंड के लिए पैंटालून लिमिटेड, यूनिटेक लिमिटेड और डीएलएफ का चयन हुआ था। 

  • पहले दायर हुई क्लोजर रिपोर्ट

  • 18 अप्रैल 2012 को जिसे 29 अगस्त 2012 को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
  • 26 फरवरी 2013 को दूसरी क्लोजर रिपोर्ट दायर हुई, जिसे सीबीआइ कोर्ट ने 7 जून 2013 को खारिज कर दिया था।

यह बनाए थे गवाह

एके मल्होत्रा, तत्कालीन जीएम सिटको

आइडी कालरा, तत्कालीन जीएम (सीए) और कंपनी सेक्रेटरी, सिटको

सतीश जोशी, तत्कालीन फाइनेंस एंड प्लानिंग आफिसर

अमित तलवार, तत्कालीन एसडीएम, मोहाली

रजनीश दिवान, तत्कालीन सीनियर अकाउंट मैनेजर, सिटको

आरके राव, तत्कालीन डीसी, चंडीगढ़

राजी पी श्रीवास्तव, तत्कालीन एमडी पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉरपोरेशन

एमएल अरोड़ा, तत्कालीन टाउन प्लानर, पंजाब मंडी बोर्ड

विनोद कालिया, तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर टूरिज्म, चंडीगढ़

समवर्तक सिंह, तत्कालीन ज्वाइंट डायरेक्टर सेकंडरी एजुकेशन, हरियाणा

रोशन लाल, तत्कालीन असिस्टेंट कंट्रोलर , फाइनेंस एंड अकाउंट्स, सर्व शिक्षा अभियान, चंडीगढ़

विजय कुमार चड्ढा, एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, यूनिटेक लिमिटेड

अनुपम गुप्ता, सीनियर एडवोकेट, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

नरेंद्र सिंह बराड़, तत्कालीन डायरेक्टर हॉस्पिटेलिटी, पंजाब

संत राम, सुपरिंटेंडेंट, एस्टेट आफिस, यूटी

एससी धवन, एडिशनल डायरेक्टर, सूचना और प्रौद्योगिकी, चंडीगढ़

आरसी शर्मा, डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन, हरियाणा

रंजन नरूला, डायरेक्टर यूनिटेक एम्यूजमेंट पार्कस लिमिटेड

योगेश वर्मा, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, डीएफएफ

(केस में कुल 52 सरकारी गवाह थे।)

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