UGC के आदेश पर पीयू में कैशलेस की शुरूआत, स्टूडेंट्स करने लगे Cash Payment से भुगतान Chandigar News
पंजाब यूनिवर्सिटी में कैशलेस की शुरुआत तो हो चुकी है। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्टूडेंट्स को इसका कितना फायदा मिलता है।
चंडीगढ़, जेएनएन। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा शिक्षण संस्थानों में कैशलेस सिस्टम लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी की है, जिसके अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों में कैश भुगतान की बजाय डिजिटल भुगतान को तवज्जो देने की बात कही है।
इस कड़ी में पंजाब यूनिवर्सिटी में कैशलेस की शुरूआत तो हो चुकी है। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्टूडेंट्स को इसका कितना फायदा मिलता है। पीयू कैंपस और साउथ कैंपस यूआइईटी में कैंटीन के अलावा दुकानें भी खुली हुई हैं। ऐसे में फिलहाल पीयू कैंपस में ऑनलइन भुगतान करने की मुहीम शुरू है। केंद्र सरकार वर्ष 2017 से कैशलेस को बड़े पैमाने पर प्रमोट कर रही है।
हर हॉस्टल्स में शुरू हुआ ट्रायल
कैशलेस के चलते पीयू के लगभग सभी हॉस्टल्स में बनी कैंटीन और मेस में इसे ट्रायल बेस पर शुरू कर दिया गया है। इससे स्टूडेंट्स द्वारा भुगतान क्रेडित कार्ड, एटीएम, पेटीएम आदि द्वारा किया जा रहा है। स्टूडेंट्स के भुगतान के लिए मैस और कैंटीनों के ठेकेदारों को भी निर्देश जारी कर दिए गए है। जिसके बाद ठेकेदारों द्वारा ऑनलाइन भुगतान का प्रबंध किया जा रहा है।
कैंटीनों में स्टूडेंट्स जहां खाने के बाद ऑनलाइन पेमेंट कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई स्टूडेंट्स अभी भी कैश से भुगतान कर रहे हैं। स्टूडेंट्स का है यह कहना कैंटीनों को कैशलेस करने की पहल अच्छी है।
इससे स्टूडेंट्स का ही फायदा होगा, अगर किसी के पास पैसे नहीं भी तो वह अपने एटीएम कार्ड या फिर अन्य सुविधा से भुगतान कर सकता है। -शिवम शर्मा, साउथ कैंपस, यूआइईटी
आज हर जगह भुगतान ऑनलाइन हो रहा है। ऐसे में पीयू में शुरू हुआ ट्रायल सफल होगा। हॉस्टल्स की मैस यो फिर कैंटीन, हर जगह पर खुले पैसों को लेकर विवाद होता रहता था। ऑनलाइन भुगतान से यह सब बंद होगा और जितनी राशि का बिल बना होगा, उतना ही स्टूडेंट्स को भुगतान करना होगा। -प्रिया शर्मा, होटल मैनेजमेंट विभाग
डिजिटल आज के समय की मांग है। पीयू में यह बहुत देरी से शुरू हुआ लेकिन दूसरे राज्यों के शिक्षण संस्थानों में यह प्रक्रिया चल रही है। कैशलेस होने एक नहीं कई फायदे हैं और कैटीन में इसे शुरू करना एक समस्या का हल है। लेकिन इसके लिए अभी कई ऐसी बाते है जिन्हें ध्यान में रखने की जरूरत है। -हरशिखा राज, बॉयोमेडिकल साइंस विभाग