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बात पते की: Captain Vs Sidhu ...आगे और लड़ाई है, पढ़ें पंजाब राजनीति से जुड़ी और भी खबरें

नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के मौके पर भले ही कैप्टन व सिद्धू साथ बैठे नजर आए लेकिन पार्टी में संकट के बादल छंटे नहीं हैं। बात पते की यह है कि अभी आगे और लड़ाई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 01:24 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 01:25 PM (IST)
बात पते की: Captain Vs Sidhu ...आगे और लड़ाई है, पढ़ें पंजाब राजनीति से जुड़ी और भी खबरें
पदभार ग्रहण समारोह के दौरान मंच पर बैठे कैप्टन अमरिंदर सिंह व नवजोत सिंह सिद्धू। जागरण

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अंतत: कांग्रेस के नवनियुक्त प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के कार्यभार ग्रहण समारोह में जाने के लिए मान गए। कैप्टन के इस रुख से कांग्रेस के लीडरों ने राहत की सांस तो ली, लेकिन आशंका अभी भी मन में है। अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है...। कैप्टन सिद्धू के समारोह में शामिल होने के लिए बिना शर्त मान गए। सिद्धू को कैप्टन से सार्वजनिक रूप से माफी भी नहीं मांगनी पड़ी। कैप्टन के राजनीतिक स्वभाव को जानने वाले को यह बात पच नहीं रही है। बात पते की यह है कि भले ही कांग्रेस में सबकुछ सामान्य होता दिख रहा हो, लेकिन सिद्धू कैंप को भी यह चिंता सता रही है कि आखिर सब कुछ इतना आसानी से क्यों हो रहा है? राजनीतिक शतरंज में इस बात का भी अपना ही मजा है कि सामने वाला यह सोचता रहे कि अगली चाल क्या होगी?

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ये तो मौकापरस्त एक्सप्रेस है

पंजाब कांग्रेस की राजनीति में इन दिनों माझा एक्सप्रेस की चर्चा चारों तरफ हो रही है। माझा एक्सप्रेस के इंजन सुखजिंदर सिंह रंधावा को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी के डिब्बे तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के साढ़े चार साल के मंत्री काल में कोई खास उपबल्धि देखने को नहीं मिलेगी। तृप्त बाजवा को तो यह डर भी पिछले दिनों सता रहा था कि कहीं उनकी मंत्री की कुर्सी न चली जाए। इस सबके बावजूद माझा एक्सप्रेस इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में सरपट दौड़ रही है। हालांकि कांग्रेस का एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे यह रफ्तार पसंद नहीं आ रही है। एक विधायक कहते हैैं, यह माझा एक्सप्रेस नहीं, मौकापरस्त एक्सप्रेस है। चूंकि ये कभी बाजवा को माझा से निकालने के लिए सुनील जाखड़ की गोद में बैठ गए तो अब अपनी कुर्सी बचाने के लिए सिद्धू के समर्थन में आ गए हैैं। विधायक की बात तो पते की है।

चर्चा तो होगी...

मुख्यमंत्री कार्यालय में इन दिनों इस बात की चर्चा हो रही है कि यह उल्टी गंगा कैसे बह रही है। एक मंत्री ने एक अधिकारी के नाम पर पैसे ले लिए। आमतौर पर यह जरूर सुनने में आता था कि किसी अधिकारी ने मंत्री के नाम पर पैसे लिए हों, लेकिन इस बार गंगा उल्टी बह रही है। चर्चा है कि अधिकारी को बात पता चल गई कि मंत्री ने उनके नाम पर किसी ठेकेदार से पैसे ले लिए हैं। अधिकारी ने मंत्री से बात की। बात काफी बढ़ गई। दोनों में तल्खी हो गई। बात पते की यह है कि मंत्री तो राजनीतिक इंसान हैं, वो तो बोल ही सकते हैं। अधिकारी तो संवैधानिक पद से जुड़े हुए हैं, वो बोल नहीं सकते। यह बात तो सभी को पता है। अब छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर, कटना तो खरबूजे को ही होता है।

कुछ तो नया है

कांग्रेस का नया प्रदेश प्रधान बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू का काफिला पंजाब के दौरे पर निकल गया है। प्रधान बनने के बाद पटियाला से शुरू हुआ काफिला जब भी किसी के घर जाता है तो वहां पर एक नया सदस्य सिद्धू की गाड़ी में बैठ जाता है और दूसरा उतर जाता है। वह कुलजीत नागरा के घर जाते हैं तो नागरा उनकी गाड़ी में बैठ जाते हैं। जब बरिंदर ढिल्लों के यहां जाते हैं तो ढिल्लों उनकी गाड़ी में बैठ जाते हैं और जीरा उतर जाते हैं। प्रधान बनने के साथ शुरू हुआ यह क्रम कार्यभार संभालने के दिन भी जारी रहा। सिद्धू प्रदेश प्रधान की जिम्मेदारी उठाने से पहले जब पंजाब भवन पहुंचे तो भी उनकी गाड़ी भरी हुई थी। कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू समेत कई विधायक मौजूद थे। बात पते की यह है कि घर-घर से भले ही सिद्धू को विधायक उठाने पड़ रहे हों, लेकिन कुछ तो नया है।


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