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राणा गुरजीत के कारण फिर घिरी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार

राणा गुरजीत सिंह के कारण कैप्टन सरकार एक बार फिर घिर गई है। अपनी पार्टी के दिग्गज नेता के फंसने के कारण विरोधियों के खिलाफ वह खुलकर नहीं लड़ पा रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 04 Mar 2018 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 09:03 AM (IST)
राणा गुरजीत के कारण फिर घिरी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार
राणा गुरजीत के कारण फिर घिरी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। कांग्रेस में दिग्गज नेता राणा गुरजीत सिंह के राजनीतिक सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। उनके कारण सरकार फिर घिरती दिख रही है। नया मामला उनके भांजे और राणा हरदीप सिंह व जीजा राणा महिंद्र सिंह से जुड़ा हुआ है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने गांव मिल्ख निवासी गुरचरण सिंह के साथ जमीन खरीद में सवा दो करोड़ रुपये की ठगी की है।

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सवाल यह है कि आखिर राणा गुरजीत सिंह एक के बाद एक केस में क्यों घिर रहे हैं? सरकार के अब तक के 11-12 महीने के कार्यकाल को देखें, तो यह चौथा बड़ा विवाद उनके साथ जुड़ा है। इससे पहले के जुड़े विवादों के कारण उन्हें अपनी मंत्री पद की कुर्सी भी गंवानी पड़ी है। हालांकि वह चुनाव से पहले और बाद में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए बेहद उपयोगी रहे हैं लेकिन अब उनके इस तरह घोटालों में फंसने से सबसे ज्यादा किरकिरी कैप्टन सिंह की भी हो रही है। चुनाव से पहले पार्टी अकाली भाजपा सरकार के घोटालों को उजागर करती रही है।

इसमें रेत बजरी का मामला सबसे ऊपर रहा है, लेकिन अब जब कि कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह का अपना एक सीनियर नेता इसमें शामिल पाया गया है, तो उनके लिए अपने उन विधायकों को कंट्रोल करना ही मुश्किल हो रहा है, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम पर सीधे-सीधे रेत खनन के ठेके ले रखे हैं या फिर अवैध माइनिंग कर रहे हैं।

मुश्किल होगा 2019 में अकालियों पर अक्रामक रुख अपनाना

राणा गुरजीत सिंह के मामलों को लेकर जिस तरह से न चाहते हुए भी कैप्टन को उनका इस्तीफा लेना पड़ा। इसका असर आने वाले 2019 के चुनाव में भी पडऩा तय है। आखिर कैप्टन किस तरह से अकाली-भाजपा नेताओं की कारगुजारी पर लोगों से वोट की मांग करेंगे, जबकि उनके अपने कई मंत्री और विधायक भी किसी ने किसी उन्हीं कामों में शामिल हैं, जिसको लेकर पार्टी चुनाव से पहले अकाली-भाजपा पर आक्रामक रुख अपनाती रही है।

इसका एक सहज अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हारने के बावजूद अकाली दल ने फिर से लोगों में जाना शुरू कर दिया है। पार्टी की पोल खोल रैलियों में लोगों को जमावड़ा कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

इस बात का पार्टी को भी अहसास है। दो दिन पहले जब बजट को लेकर विधायकों और सांसदों की कैप्टन ने मीटिंग बुलाई, तो उसमें किसी ने बजट पर तो बात ही नहीं की। बल्कि सारा जोर इस बात पर रहा कि अकाली दल की पोल खोल रैलियों का जवाब कैसे दिया जाए?

इन विवादों में घिरे रहे हैं राणा गुरजीत

-राणा गुरजीत सबसे पहले उस समय चर्चा में आए जब सूबे की रेत की खड्डों की नीलामी में उनका नाम आ गया। आरोप था कि उन्होंने अपने रसोइए अमित बहादुर के नाम पर रेत की खड्डेंं ली हैं और इस काम में उनकी कंपनी के तीन और मुलाजिम भी शामिल हैं।

-अकाली भाजपा सरकार में करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले के आरोपी ठेकेदार गुङ्क्षरदर सिंह से पांच करोड़ रुपये अपनी कंपनी के लिए लेने का दूसरा बड़ा मामला भी उनके नाम पर लगा।

-उनके बेटे राण इंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट और इनकम टैक्स के सर्वे के कारण भी उनकी काफी किरकिरी हुई।

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