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CAA के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में उतरे कैप्टन, कहा- रविशंकर प्रसाद को खुला पत्र लिख दिया जवाब

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केेेेरल विधानसभा द्वारा नागिरकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव करने को लोगों की आवाज करार दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 05:13 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 09:01 AM (IST)
CAA के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में उतरे कैप्टन, कहा- रविशंकर प्रसाद को खुला पत्र लिख दिया जवाब
CAA के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में उतरे कैप्टन, कहा- रविशंकर प्रसाद को खुला पत्र लिख दिया जवाब

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केेेेरल विधानसभा द्वारा नागिरकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव करने को लोगों की आवाज करार दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से लोगों की आवाज सुनने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने यह बात कानून और न्याय मंत्री रविशंकर द्वारा इस मुद्दे पर दिए बयान के संदर्भ में कही है। 

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रविशंकर प्रसाद को लिखे खुले पत्र में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि जो राज्य CAA का विरोध कर रहे हैं उन्हें ऐसा स्टैंड लेने से पहले उचित कानूनी सलाह लेनी चाहिए।कैप्टन ने कहा कि राज्योंं ने अपेक्षित कानूनी सलाह पहले ही ली हुई है। केरल विधानसभा ने जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगों के संकल्प को दोहराया है। कहा कि विधायक लोगों की नुमाइंदगी करते हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज़िम्मेदार राज्य सरकारों के प्रमुख होने के नाते हम न तो अनजान हैं और न ही गुमराह हुए हैं। जनता पर कानून धक्के से नहीं थोपे जा सकते। बता दें, रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि नागरिकता कानून पास करने का अधिकार सिर्फ संसद को है विधानसभा को नहीं। 

कानून मंत्री द्वारा ऐसे कानून लागू करनेे के लिए सूबों को उनके संवैधानिक फर्ज याद करवाने के बारे में की टिप्पणी पर चुटकी लेती मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सूबों के नेताओं ने अपना चुनाव जीता है और भारतीय संविधान के तहत ही पद प्राप्त किया है।

संविधान की प्रस्तावना की तरफ मंत्री का ध्यान दिलाते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने याद करवाया कि वह (रविशंकर प्रसाद) एक वकील हैं और उनको धर्मनिरपेक्ष शब्द के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के लिए धर्मनिरपेक्ष व्यवहार की ज़रूरत है और मंत्री सूबों को संविधान की मूल भावना की पालना करने के लिए कह रहे हैं।

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