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कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले- चीन को घाटी खाली करने का अल्टीमेटम दे केंद्र सरकार

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से चीन को अल्टीमेटम देने की मांग की है। कहा कि चीन को जब आक्रामकता का सामना करना पड़ता है तो वह पीछे हट जाता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 09:31 AM (IST)
कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले- चीन को घाटी खाली करने का अल्टीमेटम दे केंद्र सरकार
कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले- चीन को घाटी खाली करने का अल्टीमेटम दे केंद्र सरकार

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से अपील की है कि गलवन घाटी को खाली करवाने के लिए चीन को अल्टीमेटम दिया जाए। कैप्टन ने कहा कि घुसपैठ व अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर हमले की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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कैप्टन ने अतीत का अनुभव बताते हुए कहा कि चीन को जब आक्रामकता का सामना करना पड़ता है, तो वह पीछे हट जाता है। सीमा पर गोली नहीं चलाने को लेकर तथाकथित समझौते पर सवाल उठाते हुए कैप्टन ने कहा कि शत्रु पड़ोसी के साथ ऐसा समझौता कैसे हो सकता है, जिसने भारतीय सैनिकों को गोलीबारी से रोका, भले ही उनके पास हथियार हों।

कैप्टन ने चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पहुंच कर शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। शुक्रवार को गलवन में शहीद हुए संगरूर के सिपाही गुरबिंदर सिंंह, मानसा के गुरतेज सिंह और हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) के अंकुश का पार्थिव शरीर लाया गया था।

आरएसएस पर दिए बयान पर राजनीति गरमाई

वहीं, चीनी सैनिकों के हमले से राजनीति भी चरम पर पहुंच गई है। भाजपा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंंह के उस बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने कहा कि आरएसएस को चीन की सीमा पर भेज देना चाहिए। कैप्टन ने कहा था कि भारतीय फौज हथियारों, पत्थरों या कीलें जड़ी रॉड व लाठियों का मुकाबला करने के समर्थ है। अगर भारत सरकार चीनियों से हाथापाई या लाठियों वाली लड़ाई लड़ना चाहती है तो उसे आरएसएस काडर को लड़ाई के मैदान में भेजना चाहिए। हमारे जवानों को हथियारों की जरूरत है।

कैप्टन के इस बयान पर भाजपा नेता व पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने कहा कि इस तरह का बयान ऐसे व्यक्ति को शोभा नहीं देता जो खुद फौज में रहा हो। कालिया ने कहा कि आरएसएस एक सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी संस्था है, जिसने 1962, 1965 व 1972 के युद्ध में सेना की मदद करने में अहम भूमिका निभाई है।

कालिया ने कहा कि आरएसएस के 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारतीय सेना को दिए गए सहयोग को देखते हुए पहले प्रधानमंत्री स्व. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आरएसएस के स्वयंसेवकों को 26 जनवरी 1963 को होने वाले गणतंत्र दिवस के मार्च-पास्ट में हिस्सा लेने के लिए निमंत्रण दिया था। 3000 स्वयंसेवकों ने 1963 में गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लिया था। कैप्टन देश के साथ उसी तरह एकजुटता दिखाएं, जिस तरह उन्होंने अतीत में बालाकोट एयर स्ट्राइक व सर्जिकल स्ट्राइक के समय दिखाई थी।


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