कैप्टन ने दी सुखबीर बादल को नसीहत, कहा- राजनीतिक ड्रामेबाजी बंद करें
अमरिंदर सिंह ने पंजाब और अन्य राज्यों में कांग्रेस द्वारा किसानों की कर्ज माफी के किए ऐलान पर सुखबीर सिंह बादल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर कड़ा एतराज जताया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब और अन्य राज्यों में कांग्रेस द्वारा किसानों की कर्ज माफी के किए ऐलान पर सुखबीर सिंह बादल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि सुखबीर राजनीतिक ड्रामेबाज़ी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सुखबीर को नसीहत दी कि यदि राजनीतिक रणभूमि में अकाली दल का अस्तित्व कायम रखना है तो उसे ऐसी नौटंकी छोड़ देनी चाहिए।
कैप्टन ने कहा कि वास्तव में पूर्व उप मुख्यमंत्री किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। कैप्टन ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहले ही वादा कर दिया था कि यदि पार्टी आगामी चुनाव में सत्ता में आती है तो देशभर के संकट से गुजर रहे किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सिद्ध हो गया है कि कांग्रेस लीडरशिप द्वारा अपना वादा पूरा करने और कांग्रेसशासित राज्यों में चुनावी वादों को पूरा करने की कारगुजारी से अकाली-भाजपा गठजोड़ बौखलाया हुआ है।
मुख्यमंत्री ने अकाली-भाजपा गठजोड़ के पिछले कार्यकाल के दौरान हर मोर्चे पर नाकाम रहने से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सुखबीर बादल की तरफ से की जा रही कोशिशों को हास्यप्रद बताया। उन्होंने कहा कि 10 सालों में तो बादलों को किसानों की हालत का अहसास नहीं हुआ और अब किसानों को लेकर मगरमच्छ के आंसू बहाए जा रहे हैं।
आंकड़ों के साथ जवाब देते हुए कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार ने गंभीर वित्तीय संकट और बादल सरकार से विरासत में हासिल हुई वित्तीय मंदहाली के बावजूद किसानों के कर्ज माफ करने का वादा पूरा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के इस प्रयास को न सिर्फ पंजाब के किसानों ने सराहा बल्कि पूरे मुल्क में इसकी प्रशंसा हुई और इस मॉडल को अब कांग्रेस के शासनकाल वाले तीन अन्य राज्यों में भी लागू किया गया।
किसान कर्ज माफी की प्रगति का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने अब तक 428246 किसानों के कर्जों पर 3595.04 करोड़ रुपये की राहत दी और अब 159632 छोटे किसानों को कर्ज माफी देने की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से सहकारी बैंकों के साथ जुड़े 317965 सीमांत किसानों को उनके कर्जों के लिए 1815.78 करोड़ रुपये और व्यापारिक बैंकों के 110281 सीमांत किसानों को 1779.26 करोड़ रुपये की राहत दी गई है।