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सिद्धू के बाद अमरिंदर को अब एक और कांग्रेस नेता की चुनौती, नेतृत्‍व मानने से किया इन्‍कार

नवजोत सिं‍ह सिद्धू के बाद पंजाब के एक और बड़े कांग्रेस नेता ने कैप्‍टन अमरिंदर सिंह का नेतृत्‍व मानने से इन्‍कार कर दिया है। यह हैं राज्‍यसभा सदस्‍य प्रताप सिंह बाजवा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 09:07 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:59 PM (IST)
सिद्धू के बाद अमरिंदर को अब एक और कांग्रेस नेता की चुनौती, नेतृत्‍व मानने से किया इन्‍कार
सिद्धू के बाद अमरिंदर को अब एक और कांग्रेस नेता की चुनौती, नेतृत्‍व मानने से किया इन्‍कार

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब कांग्रेस में अब भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बाद एक और वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता ने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को चुनौती दी है और उनका नेतृत्‍व मानने से इन्‍कार किया है। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष और राज्‍यसभा सदस्‍य प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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बाजवा बोले-कैप्टन की अगुवाई में नहीं जाऊंगा करतारपुर, कैप्टन का जवाब- शिअद के जत्थे के साथ चले जाएं

करतारपुर गुरुद्वारे में एक साथ मत्था टेकने को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रताप सिंह बाजवा आमने-सामने हो गए हैं। बाजवा ने 9 नवंबर को कैप्टन की अगुवाई में करतारपुर साहिब जत्थे के साथ जाने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि अगर जत्थे की अगुवाई पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह करेंगे तो वह जाएंगे। कैप्टन ने भी बाजवा पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह अकालियों के जत्थे में भी शामिल हो सकते हैं।

 कैप्टन का कहना है कि बाजवा अगर नहीं जाना चाहते तो न जाएं। वह जिसके साथ जाना चाहते हैं चले जाएं। अकाली दल का भी जत्था जा रहा है, वह उसके साथ भी जा सकते हैं। दूसरी तरफ बाजवा ने कहा कि जो मुख्यमंत्री धार्मिक ग्रंथ की मर्यादा नहीं रखते, उनकी अगुवाई में वह गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेकने नहीं जा सकते। कैप्टन ने गुटका साहिब हाथ में लेकर नशे को खत्म करने की कसम खाई थी, लेकिन उन्होंने पंजाब के लोगों के साथ धोखा किया।

कैप्टन धार्मिक ग्रंथ की मर्यादा नहीं रखते, इसलिए उनकी अगुवाई में नहीं जा सकते : बाजवा

बाजवा ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का सिख जगत में सबसे अधिक सम्मान है। वह कैप्टन से वरिष्ठ भी हैं और दो बार देश के प्रधानमंत्री भी रहे हैं। ऐसे में उनको ही जत्थे की अगुवाई करनी चाहिए। बता दें कि 2002 की कैप्टन सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे बाजवा के संबंध बाद में कैप्टन अमरिंदर के साथ ज्यादा खराब हो गए थे। दोनों के बीच लंबे समय से छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है।

केंद्र, पंजाब व एसजीपीसी वहन करे 20 डालर का खर्च

करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं से 20 डालर वसूलने के पाकिस्तान की शर्त पर बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान पर सिखों का कोई अधिकार नहीं है। अधिकार भारत पर है। देश में हज यात्रियों के लिए पहले ही सब्सिडी दी जाती है। इसी तरह सिख श्रद्धालुओं के लिए 20 डालर की शर्त को केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और एसजीपीसी मिलकर उठाए ताकि किसी पर भी अतिरिक्त बोझ न पड़े। खर्च भी उन्हीं लोगों का उठाया जाए जो गरीब हैं।

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पासपोर्ट पर न लगे पाकिस्तान की मोहर

प्रताप सिंह बाजवा ने कहा है कि भारत सरकार को यह कदम उठाना चाहिए कि पंजाब से जाने वाले श्रद्धालुओं के पासपोर्ट पर पाकिस्तान की मोहर न लगे। पंजाब के लोग विदेश में रोजगार की तलाश में जाते हैं। अगर उनके पासपोर्ट पर पाकिस्तान की मोहर लग जाती है तो कनाडा, इंग्लैंड, अमेरिका जैसे देशों में उनके पासपोर्ट को संदिग्ध नजरों से देखा जाता है।

उन्‍होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार पासपोर्ट के साथ एक अतिरिक्त पेपर लगा सकती हैै। जब श्रद्धालु करतारपुर साहिब में मत्था टेककर वापस आएं तो उस कागज को फाड़ दिया जाए। इससे न तो पासपोर्ट पर पाकिस्तान की मोहर लगेगी और न ही युवाओं के लिए आगे कोई दिक्कत आएगी।

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