सिर्फ आपराधिक मामले में नामजदगी से नहीं रोके जा सकते पेंशन लाभ : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के यह आदेश पंजाब पुलिस से इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए शिव देव सिंह की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर दिए हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : आपराधिक मामले में नामजद होने के चलते कर्मचारियों को पेंशन लाभ मिलने में होने वाली देरी को खारिज करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ आपराधिक मामला लंबित होने के चलते किसी कर्मचारी की पेंशन या अन्य लाभों को रोका नहीं जा सकता। हाईकोर्ट के यह आदेश पंजाब पुलिस से इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए शिव देव सिंह की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर दिए हैं। याचिका में शिव देव सिंह ने नियमित पेंशन और ग्रेच्युटी लाभ हासिल करने के लिए अदालत में गुहार लगाई थी।
पंजाब पुलिस में साल 1972 में एक कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुए शिव देव सिंह अप्रैल, 2010 में इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए। सीबीआइ की तरफ से 5 फरवरी, 1997 को अपहरण, साक्ष्यों से छेड़छाड़ और अन्य आरोपों में आइपीसी की धारा 364, 34, 203, 201 और 120-बी के तहत दर्ज की गई एफआइआर में शिव देव सिंह सहित 20 अन्य पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया था। इसी के चलते सेवानिवृत्ति लाभ रोक लिए गए। इसके बाद जब वे जालंधर जिले के नूरमहल में थाना प्रभारी के तौर पर तैनात थे तो 1 जुलाई, 2007 को उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया।
शिव देव सिंह के वकील ने अदालत को बताया कि सीबीआइ की तरफ से दर्ज किए गए मामले में पटियाला की विशेष अदालत ने मार्च 2015 में याचिकाकर्ता को बरी कर दिया था और जुलाई, 2007 में उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर में भी उन्हें निर्दोष पाया गया था। इस मामले में पुलिस की तरफ से दायर की गई कैंसिलेशन रिपोर्ट को बार-बार अदालत द्वारा स्वीकार न किए जाने के चलते यह मामला अब तक लंबित है जबकि इस मामले में शिकायतकर्ता भी पुलिस जाच पर संतुष्टि जाहिर कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले के लंबित होने के चलते 2010 में सेवानिवृत्त हुए याचिकाकर्ता को अब तक उनके सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिल पाए हैं जबकि इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ अदालत ने कोई संज्ञान नहीं लिया है। पेंशन लाभ पर तीन महीने में विचार करे सरकार
पंजाब सरकार को याचिकाकर्ता के पेंशन लाभ, ग्रेच्यूटी आदि लाभों और उन पर ब्याज के दावे पर तीन महीने में विचार करने के आदेश देते हुए जस्टिस जसपाल सिंह ने कहा है कि याचिकाकर्ता को जाच अधिकारी की तरफ से बरी किया जा चुका है और अदालत में कैंसिलेशन रिपोर्ट जमा की जा चुकी है, ऐसे में उसकी पेंशन या अन्य लाभों को नहीं रोका जा सकता।