बॉर्डर सिर्फ फिल्म, टैंकों के आगे लड़ने वाले चांदपुरी उससे कहीं ज्यादा थे दिलेर
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : बॉर्डर सिर्फ तीन घंटे की फिल्म है, रातभर दर्जनों टैंकों के गोलों सामन
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : बॉर्डर सिर्फ तीन घंटे की फिल्म है, रातभर दर्जनों टैंकों के गोलों सामने लड़ने वाले शेर ब्रिगेडियर केएस चांदपुरी और उनके बहादुर सैनिक इससे कहीं ज्यादा दिलेर थे। 1971 की जंग में ब्रिगेडियर केएस चांदपुरी के साथ लड़ने वाले वीर और शौर्य चक्र से सम्मानित रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह बाजवा ने बताया कि यह इतिहास में पहली बार हुआ होगा, जब 90 सैनिकों ने टैंकों के साथ आए 2000 सैनिकों को खदेड़ दिया हो। यह सब चांदपुरी के हौसले और जज्बे की बदौलत संभव हो सका। बीपी-638 एरिया को भी बचाने में भी अहम भूमिका
रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह बाजवा ने बताया कि वह पंजाब रेजिमेंट थे, और जैसलमेर में ही तैनात थे। ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके सैनिकों ने रातभर पाक सेना को रोके रखा। सुबह जब हमारी टुकड़ी उनके पास पहुंची, तो चांदपुरी ने हमें दुश्मन की पूरी स्थिति बताई। लोंगोवाला चेकपोस्ट से भागे पाक सैनिकों ने बॉर्डर पिलर-638 एरिया पर कब्जा कर लिया था, यह क्षेत्र भी भारतीय सीमा में था। लोंगोवाला चेकपोस्ट पर भारतीय सेना का पराक्रम देखकर सेना का उत्साह 7वें आसमान पर था। इसके बाद हमने उस एरिया को भी पाक सेना से मुक्त करवाया। ऐसे में बीपी -638 एरिया पर भी कब्जा दिलाने भी चांदपुरी की अहम भूमिका थी। लोंगोवाला कंटोनमेंट एरिया में है चांदपुरी के नाम की सड़क
रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह ने बताया कि पिछले साल 2017 में वे और केएस चांदपुरी दिसंबर में लोंगोवाला चेकपोस्ट पर गए थे। इसी दौरान 1971 के युद्ध का डेमो देखा, जिसमें बीएसएफ और आर्मी के जवानों ने हिस्सा लिया। लोंगोवाला चेकपोस्ट अब स्मारक के रूप में देखी जाती है, जहां हर साल हजारों लोग आते हैं। इसके अलावा लोंगोवाला कंटोनमेंट एरिया में एक सड़क भी ब्रिगेडियर चांदपुरी के नाम पर बनी हुई है। यही मिसाल थी उनकी, बेमिसाल थे वो
रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह ने बताया कि लोंगोवाला चेकपोस्ट पर 4 दिसंबर को जो भारतीय सेना ने इतिहास बनाया, उसकी मिसाल दुनियाभर की फौजें अपने सैनिकों को देती हैं। यह सब आम नहीं था, लेकिन ब्रिगेडियर चांदपुरी ने कर दिखाया था। उनके बारे में यही कहा जा सकता है यही मिसाल थी उनकी, बेमिसाल थे वो।