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कोरोना काल में रक्तदाताओं ने संभाला मोर्चा

कोरोना संकट में भी रक्त की कमी से किसी की जान न जाए इस दिशा में कई संस्थाएं काम कर रही हैं। कोरोना काल में रक्तदाता कम हुए तो रक्तदान का सिलसिला जारी रखने को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न हुई। ऐसे समय ने शिव कावड़ महासंघ जैसे संगठनों ने मोर्चा संभाला। संगठन ने करीब 13 हजार से ज्यादा लोगों को रक्तदान के प्रति प्रेरित किया और यह कोशिश की कि अस्पतालों में जिस मरीज को ब्लड की जरूरत पड़े उसे हरसंभव उपलब्ध कराया जा सके।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 06:57 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 06:57 AM (IST)
कोरोना काल में रक्तदाताओं ने संभाला मोर्चा

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़

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कोरोना संकट में भी रक्त की कमी से किसी की जान न जाए इस दिशा में कई संस्थाएं काम कर रही हैं। कोरोना काल में रक्तदाता कम हुए तो रक्तदान का सिलसिला जारी रखने को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न हुई। ऐसे समय ने शिव कावड़ महासंघ जैसे संगठनों ने मोर्चा संभाला। संगठन ने करीब 13 हजार से ज्यादा लोगों को रक्तदान के प्रति प्रेरित किया और यह कोशिश की कि अस्पतालों में जिस मरीज को ब्लड की जरूरत पड़े उसे हरसंभव उपलब्ध कराया जा सके।

गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों को एक समय तक रक्तदान न करने की सलाह दी जाती है। ऐसा समय भी आया जब लोग घर से बाहर आकर किसी से बात करने से भी कतरा रहे थे। मगर संगठन से जुड़े रक्तदाताओं ने हर चुनौती को स्वीकार किया। श्री शिव कावड़ महासंघ ऐसी संस्था रही, जिसने लोगों के सहयोग से पूरा साल शिविर लगाए और लोगों को जागरूक किया। मार्च 2020 से लेकर मार्च 2021 तक पाबंदियों के बीच इस अकेली संस्था ने 182 रक्तदान शिविर लगाए और 13,381 लोगों का रक्तदान करवाया। लिव फॉर ह्यूमिनिटी भी बनी संकट की साथी

इसके अलावा एक और संस्था है लिव फॉर ह्यूमिनिटी। फोन कॉल के आधार पर ही संस्था की ओर से जरूरतमंदों की मदद की जाती है। वहीं, शिव कावड़ महासंघ हर साल 10 हजार लोगों का रक्तदान करवाती है। संस्था के संयोजक सतीश सचदेवा रक्त के साथ-साथ प्लेटलेट्स भी इमरजेंसी में दान करते हैं। इस मामले में संस्था दिन-रात अपना काम करती है। सौ लोग ऐसे जो सौ से ज्यादा बार कर चुके हैं रक्तदान

श्री शिव कावड़ महासंघ के साथ ऐसे 250 रक्तदाता जुड़े हुए हैं जो कि एक कॉल आने पर ही अपना सारा काम छोड़कर मरीज के पास 20 मिनट में रक्तदान देने के लिए पहुंच जाते हैं। संस्था के पास 50 हजार रक्तदाताओं का डाटा है। महासंघ के अध्यक्ष राकेश संगर का कहना है कि हर दिन 15 से 20 लोगों के कॉल इमरजेंसी स्थिति में रक्त के लिए आते हैं। चंडीगढ़ में सौ से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो सौ से ज्यादा बार रक्तदान करने का गौरव हासिल कर चुके हैं।

पीजीआइ को रक्त कलेक्शन में मिल चुका है नंबर वन अवार्ड

रक्तदाताओं के योगदान के कारण ही चंडीगढ़ पीजीआइ को साल 2014 में पूरे देश में ब्लड कलेक्शन सबसे बेहतर और सर्विस में नंबर वन का अवार्ड मिला। चंडीगढ़ में एक साल में 90 हजार रक्त एकत्र होता है, जिनमें से पीजीआइ का सबसे बड़ा योगदान है जो कि 60 हजार से ज्यादा ब्लड एकत्र करता है। पीजीआइ ट्राईसिटी में लगने वाले सैकड़ों शिविर से रक्त एकत्र करते हैं। ट्राईसिटी में जो रक्त एकत्र होता है उनमें से 85 फीसद लगने वाले शिविरों से एकत्र किया जाता है। थैलीसिमियां के मरीजों की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभा रहे रक्तदाता

चंडीगढ़ में जो रक्त एकत्र होता है उसका एक बड़ा हिस्सा थैलीसिमियां की बीमारी से पीड़ित बच्चों की जिदगी बचाने में जाता है। चंडीगढ़ पीजीआइ में 350 मरीज हैं, जिन्हें हर 14 एवं 21 दिन में खून बदला जाता है। पीजीआइ में जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, यूपी और हरियाणा सहित अन्य स्थानों के मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिनके अभिभावक बच्चों की जिदगी बचाने के लिए पीजीआइ में आते हैं।

कोट्स

यह सबसे बड़ा धर्म, पूण्य और दान है। ऐसे में हर स्वास्थ्य व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। हर किसी को इसके लिए आगे आना चाहिए। रक्त दान करके काफी अच्छा महसूस होता है। उनकी संस्था का अभियान जारी रहेगा। विश्वरक्तदाता दिवस के मौके पर सेक्टर-17 में विशाल शिविर लगाया गया है।

- राकेश संगर, अध्यक्ष, श्री शिव कावड़ महासंघ हर स्वास्थ्य व्यक्ति को रक्तदान जरूर करना चाहिए।कोई भी रक्तदान करना चाहता है वह पीजीआइ में सीधा उन्हें आकर संपर्क कर सकता है। रक्तदाताओं की वजह से चंडीगढ़ में खून की कमी नहीं हुई है उन्हें उम्मीद है कि आगे भी ऐसे ही रक्तदाताओं का सहयोग मिलता रहेगा।

- डा. सुचेत सचदेवा, डाक्टर, ब्लड बैंक, पीजीआइ


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