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Punjab Assembly Election 2022: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भाजपा अभी नहीं खोल रही पत्ते

Punjab Assembly Election 2022 कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही दावा कर रहे हैं कि भाजपा से उनका सीटों का लेन देन होगा लेकिन भाजपा ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। भाजपा सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 05:03 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 05:03 PM (IST)
Punjab Assembly Election 2022: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भाजपा अभी नहीं खोल रही पत्ते
पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Punjab Assembly Election 2022: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही यह दावा कर रहे हों कि उनका भारतीय जनता पार्टी के साथ सीटों को लेकर लेन देन होगा, लेकिन भाजपा ने अभी इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा के चुनाव प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले दिनों बयान दिया था कि पार्टी सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

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भाजपा का सभी 117 सीटों पर लड़ने का दावा ज्यादा मजबूत नहीं है, क्योंकि पार्टी के सीनियर नेताओं का कहना है कि भाजपा अभी सिर्फ 55 सीटों पर भी फोकस कर रही है। ये सभी वे सीटें हैं जहां पर पार्टी का अच्छा आधार है और यहां पार्टी लड़ाई दे पाने की स्थिति में है। पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि बेशक हम सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारें, लेकिन हम फोकस केवल उन 55 सीटों पर ही करेंगे, जहां पर हमारे पास अच्छा काडर है और पार्टी पहले ये सीटें कभी न कभी लड़ती रही है।

काबिले गौर है कि भाजपा इससे पहले शिअद के साथ गठबंधन में सिर्फ 23 सीटों पर ही लड़ती रही है। खासतौर पर पूरे मालवा में पार्टी केवल अबोहर, फाजिल्का, फिरोजपुर और राजपुरा सीटें ही लड़ती रही है। पटियाला की राजपुरा सीट को यदि छोड़ दिया जाए तो पटियाला, संगरूर, बरनाला, बठिंडा, मानसा मुक्तसर , फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब , मोहाली आदि जिलों में पार्टी कहीं भी चुनाव नहीं लड़ती थी। हालांकि इनमें से कई सीटों पर पार्टी का अच्छा आधार है और भाजपा त्रिकोणीय लडाई में टक्कर देने की स्थिति में है।

अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास पहला मौका है जब पार्टी इन सीटों पर अपने पांव पसार सकती है, लेकिन सारा दारोमदार कैप्टन अमरिंदर सिंह की परफारमेंस पर भी टिका हुआ है। अगर वह कांग्रेस को तोड़ने में कामयाब रहते हैं और भाजपा के साथ गठबंधन कर लेते हैं तो समीकरण बदल सकते हैं।


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