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आदेशों को नहीं मानते चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल, बायोमैट्रिक अटेंडेंस के बजाए रजिस्टर पर लगी रही स्टाफ की हाजिरी

चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आदेश होने के बावजूद स्कूलों में स्टाफ की बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लग रही है जबकि मैन्यूअली तरीके से रजिस्टर पर हाजिरी लगाई जा रही है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 04:57 PM (IST)
शहर के स्कूलों में 60 प्रतिशत से ज्यादा प्रिंसिपल और हैडमास्टर की कमी है। फाइल फोटो

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। शहर के स्कूलों में स्टाफ की बायोमैट्रिक अटेंडेंस के आदेश हर छह महीने में जारी हो रहे हैं, लेकिन यह आदेश विभाग की फाइलों तक सीमित है। क्योंकि शिक्षकों की बायोमैट्रिक हाजिरी नहीं लग रही है। कई स्कूल प्रिंसिपल, क्लर्क और शिक्षक निर्देशों के बावजूद स्टाफ की बायोमैट्रिक हाजिरी नहीं लगा रहे हैं। कई प्रिंसिपल, हैडमास्टर विभाग को बिना लिखित जानकारी के छुट्टी पर चले जाते हैं।

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एक तरफ शिक्षा विभाग में निर्देशों का पालन नहीं हो रहा वहीं दूसरी तरफ विभाग राइट टू इंफार्मेशन एक्ट (आरटीआइ) के नियमों का भी उल्लंघन कर रहा है। आरटीआइ नियमों के अनुसार निर्देश जारी करने वाले अधिकारी के पास संबंधित विषय की जानकारी होना अनिवार्य है, लेकिन विभाग के आला अधिकारी जानकारी आरटीआइ सांझा करने के बजाए क्लस्टर रिर्सोस सेंटर (सीआरसी) के पास भेज रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शहर के 116 सरकारी स्कूलों में टीचिंग और नान टीचिंग स्टाफ के चार हजार कर्मचारी हैं, जिनकी दोनों समय की हाजिरी लगनी अनिवार्य है।    

एसएसए वर्क को हैंडल करते है सीआरसी

शहर के स्कूलों का काम व्यवस्थित तरीके से हो इसके लिए समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) खंड के तहत शहर के स्कूलों को 20 क्लस्टर में बांटा गया है। हर क्लस्टर में एसएसए के काम के लिए एक इंचार्ज नियुक्त किया गया है। एसएसए इंचार्ज का कार्य एसएसए के तहत आने वाले प्रोजेक्ट और अभियानों को चलाने के लिए प्लानिंग करना है ताकि हर सुविधा जरूरतमंद स्टूडेंट्स और शिक्षक तक पहुंचे। बायोमैट्रिक हाजिरी लगवाने और उसका डेटा तैयार करके विभाग को मुहैया कराने की जिम्मेदारी सीनियर क्लर्क की है, लेकिन शहर के स्कूलों में यह व्यवस्था नहीं है। प्रिंसिपल और क्लर्क बायोमैट्रिक के बजाए मैन्यूअली तरीके से रजिस्टर पर हाजिरी लगा रहे हैं।

शहर में 60 प्रतिशत प्रिंसिपल और हैडमास्टर की कमी

शहर के स्कूलों में 60 प्रतिशत से ज्यादा प्रिंसिपल और हैडमास्टर की कमी है। सेंट्रल सर्विस रूल्स के तहत प्रिंसिपल बनने के लिए दो वर्ष का वाइस प्रिंसिपल का अनुभव होना अनिवार्य है, जबकि हैडमास्टर के लिए भी विशेष अनुभव होना जरूरी है। लेकिन शहर के ज्यादातर स्कूलों में कार्यकारी प्रिंसिपल और हैडमास्टर के बजाए इंचार्ज काम कर रहे हैं। कार्यकारी प्रिंसिपल और हैडमास्टर बच्चों को भी पढ़ाना होता है।

आरटीआइ के सेक्शन-6 के अनुभाग 3 में जानकारी देने का उल्लेख

राइट टू इंफार्मेशन एक्ट के सेक्शन-6 के अनुभाग-3 में के तहत निर्देश जारी करने वाले अधिकारी के पास हर प्रकार की जानकारी होनी चाहिए। इस कार्य के लिए हर विभाग में विशेष प्राधिकारी की नियुक्ति होती है। शिक्षा विभाग में यह जानकारी संबंधित प्राधिकारी द्वारा देने के बजाए आवेदक को सीआरसी के पास भेजा जा रहा है।

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बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगाने का निर्देश स्कूल के सारे टीचिंग स्टाफ को मानना होगा। प्रिंसिपल को भी इसका पालन करना अनिवार्य है। यदि किसी स्कूल में नियमों का पालन नहीं हो रहा तो उसके खिलाफ कारवाई होगी।

                                                                             -हरसुंहिदरपाल सिंह बराड़, जिला शिक्षा अधिकारी


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