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बिक्रम मजीठिया 167 दिन बाद जेल से छूटे, जांच एजेंसी और एफआइआर पर HC ने खड़े किए सवाल

Bikram Singh Majithia पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया हाई कोर्ट द्वारा जमानत स्‍वीकृत होने के बाद 167 दिन बाद पटियाला जेल से रिहा हो गए। मजीठिया की याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी और एफआइआर पर सवाल खड़े किए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 12:46 AM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 08:41 AM (IST)
हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बिक्रम सिंह मजीठिया जेल से रिहा हो गए। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। Bikram Singh Majithia: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को बड़ी राहत देते हुए उन्हें जमानत दे दी है। होई कोर्ट के जमानत के आदेश दिए जाने पर मजीठिया 167 दिन बाद बुधवार शाम को पटियाला की केंद्रीय जेल से छूट गए। वह 24 फरवरी, 2022 से न्यायिक हिरासत में थे।

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चन्नी सरकार ने दर्ज किया था केस, 24 फरवरी को मजीठिया ने किया था सरेंडर

इससे पहले जस्टिस एमएस रामचंद्र राव एवं जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर की पीठ ने कहा कि हम संतुष्ट हैं कि याचिकाकर्ता (मजीठिया) को जमानत देने के लिए ठोस व उचित आधार मौजूद है। इस मामले में ट्रायल शुरू व खत्म होने में समय लगेगा, भले ही याचिकाकर्ता को अनिश्चितकाल के लिए न्यायिक हिरासत में रखा जाए लेकिन इससे कोई सार्थक उद्देश्य पूरा होने वाला नहीं है।

हाई कोर्ट ने कहा- एफआइआर में भोला के बयान सूचना हो सकते हैं, आधार नहीं

हाई कोर्ट ने कहा कि जो सबूत और दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं उससे यह साबित नहीं हो पाया कि याचिकाकर्ता सह अभियुक्तों को संरक्षित करने के अपराध का दोषी है। यह मामला 2013 से पहले के बयानों पर दर्ज किया गया है और उसके बाद से याचिकाकर्ता के खिलाफ कुछ भी नहीं पेश किया गया है। उल्लेखनीय है कि 21 दिसंबर, 2021 को कांग्रेस की चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार में मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट व अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।

मजीठिया को बांड भरने और पासपोर्ट जमा करवाने के आदेश

हाई कोर्ट ने मजीठिया को जमानत देते हुए दो लाख रुपये का व्यक्तिगत श्योरिटी बांड भरने, अपना पासपोर्ट जांच एजेंसी के पास जमा करने और उस समय तक ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश के आदेश दिए जब तक उन्हें पेशी से छूट नहीं मिलती। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से भी कहा कि पीठ के आदेश की टिप्पणी को नजरअंदाज कर वह (ट्रायल कोर्ट) मैरिट के अनुसार मामले में फैसला करे।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा-  प्रथम दृष्टया मजीठिया दोषी नहीं

हाई कोर्ट की पीठ ने कहा हम प्रथमदृष्टया यह भी मानते हैं कि 21 दिसंबर, 2021 को दर्ज की गई एफआइआर में याचिकाकर्ता (मजीठिया) कथित अपराध के लिए दोषी नहीं है। जमानत पर रहते हुए ऐसे अपराध करने की संभावना भी नहीं है।

भोला, चहल और बिट्टू के बयान सबूत नहीं

अपने 26 पन्नों के आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए अधिनियम की धारा 50 के तहत जगदीश सिंह भोला, जगजीत सिंह चहल, मनिंदर सिंह औलख के आठ साल पहले के बयान अभियोजन पक्ष के मामले का आधार हैं। यह बयान एफआइआर दर्ज करने के लिए सूचना हो सकते हैं, लेकिन कथित अपराधों के लिए दोषी मानने का सबूत नहीं हो सकते।

सबूत पेश करने में जांच एजेंसी नाकाम

पीठ ने कहा कि आठ महीने पहले केस दर्ज करने के बाद जांच एजेंसी मजीठिया के खिलाफ देश और विदेश की वित्तीय संस्थाओं से जानकारी एकत्र करने में लगी है लेकिन उन्हें कोई कामयाबी मिलती नजर नहीं आ रही है। ऐसा एक भी सबूत नहीं पेश किया गया जो दर्शाता हो कि याचिकाकर्ता से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद हुआ है या उसने इसका भंडारण किया हो। मजीठिया के कोर्ट में सरेंडर के बाद पुलिस ने एक बार भी उनका रिमांड नहीं मांगा। केवल यही कहा गया कि अभी पूछताछ की जरूरत नहीं है।

तस्करों को संरक्षण के आरोप साबित नहीं हुए

नशा तस्करों को संरक्षण देने के आरोप पर हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपों के अनुसार मजीठिया ने 2011 में सतप्रीत सत्ता को अपने घर में ठहराया और गाड़ी दी। वहीं, सत्ता और पिंदी को 23 दिसंबर, 2021 को केस में नामजद किया। पिंदी व अमरिंदर लाडी को 16 अगस्त, 2014 और 22 अप्रैल, 2014 में भगौड़ा करार दिया गया, वह 2013 के बाद पंजाब नहीं आए। मजीठिया से उनकी मुलाकात की बात 2013 से पहले की है। आरोप निराधार हैं और साबित नहीं हो रहे। केस आठ वर्ष की देरी से दर्ज किया गया।


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