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पंजाब के भकियू नेता भूपिंदर सिंह मान के सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की सदस्‍यता छोड़ने पर मिश्रित प्रतिक्रिया

Farmers Protest पंजाब के किसान नेता और भकियू के प्रधान भूपिंदर सिंह मान के किसान आंदोलन व कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई कमेटी की सदस्‍यता छोड़ने की घोषणा पर मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 03:02 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 03:52 PM (IST)
पंजाब के भकियू नेता भूपिंदर सिंह मान के सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की सदस्‍यता छोड़ने पर मिश्रित प्रतिक्रिया
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते किसान। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। Farmers Protest: भाकियू के प्रधान भूपिंदर सिंह मान के किसानों के आंदोलन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी की सदस्यता छोड़ने पर पंजाब में मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई दी है। कुछ किसान संगठनों ने इसका समर्थन किया है। अभी राजनीतिक दलों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि मान  वीरवार को कमेटी सदस्‍यता छोड़ने की घोषणा की।

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किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने आज कमेटी की सदस्‍यता छोड़ने की घोषणा की है। उन्होंने यहां जारी बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उन्‍हें कमेटी में शामिल करने के लिए धन्‍यवाद। पंजाब के किसान नेताओं ने भूपिंदर सिं‍ह मान के इस कदम का स्‍वागत किया। बता दें कि कई किसान नेताओं ने भूपिंदर सिंह मान को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि सुधार कानूनों का समर्थक करार दिया था। मान को सुधारवादी किसान नेता माना जा रहा है।

बता दें कि भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के अध्‍यक्ष होने के साथ ही ऑल इंडिया किसान कॉडिनेशन कमेटी के प्रमुख भी हैं। वह राज्‍यसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं। भूपिंदर सिंह मान को सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में शामिल किए जाने पर काफी विवाद हुआ था और किसान संगठनों ने उनको कमेटी में शामिल करने क विरोध किया था। किसान संगठनों का कहना है कि भूपिंदर सिं‍ह मान केंद्र सरकार के तीनों कृषि सुधार कानूनों के समर्थक रहे हैं और इन कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में मान को कमेटी में शामिल करने से किसानों का पक्ष सुने जाने पर संदेह है।

बता दें कि भकियू अध्‍यक्ष भूपिंदर सिंह मान पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिल चुके हैं और इस दॉरान उन्‍होंने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करने के साथ ही इसमें कुछ संशोधन के सुझाव भी दिए थे। किसान संगठन इसी कारण कृषि कानूनों को लेकर भूपिंदर सिंह मान के रुख को लेकर तभी से सवाल उठा रहे हैं।


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