आनंदमय इंसान बन समाज को दे सकता है सुख : मुनि विनय आलोक
महामारी के दौर में क्रोध नफरत और सहनशीलता का अभाव लोगों के स्वभाव में साफ नजर आ रहा है। ऐसे में हर इंसान को समाज की भलाई के लिए सोचना चाहिए।
जासं, चंडीगढ़ : महामारी के दौर में क्रोध, नफरत और सहनशीलता का अभाव लोगों के स्वभाव में साफ नजर आ रहा है। ऐसे में हर इंसान को समाज की भलाई के लिए सोचना चाहिए। यह शब्द मुनि विनय कुमार आलोक ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गंजेद्र शेखावत के साथ चर्चा के दौरान कहे। सेक्टर-24 स्थित अणुप्रत भवन में मुलाकात के दौरान केंद्रीय मंत्री शेखावत से मुनि विनय कुमार ने कहा कि समाज को मानसिक सुख देने से पहले खुद को आनंदमय इंसान बनाना जरूरी है। जब तक हमारे अंदर से आनंद पैदा नहीं होगा, इंसान अपने परिवार और समाज के लिए कुछ नहीं कर सकता। पांच साल के बच्चे का उदाहरण देते हुए मुनि विनय ने कहा कि बच्चा बगीचे में उड़ती हुई तितलियों को देखकर बहुत ज्यादा खुश होता है और उसके पीछे भागता है क्योंकि उसे लगता है कि वह उन्हें पकड़ लेगा। बच्चा भले ही उन तितलियों को पकड़ नहीं पाता, लेकिन वह खुद भी खुश होता है और अपने साथ-साथ आसपास के चेहरे पर भी खुशी बिखेरता है। उसी बच्चे की मानसिकता रखकर इंसान को समाज में आगे बढ़ना चाहिए।
मुनि विनय ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति स्वर्ग में प्रवेश पाना चाहे तो उसे दो सवालों के जवाब देने होते हैं। अगर इंसान इन दोनों सवालों के जवाब हां में नहीं देता तो उसे स्वर्ग में प्रवेश नहीं मिलता। पहला सवाल है- क्या जीवन में खुशी और आनंद का अनुभव किया है, और दूसरा सवाल होता है कि अपने आसपास के लोगों को खुशी बांटी है।