पंजाब में बासमती की पैदावार ज्यादा लेकिन मांग कम, 25 फीसद कम दाम मिलने से चिंता
पंजाब में बासमती चावल की पैदावर इस बार काफी हुई है लेकिन विदेश में मांग कम है। इसके साथ ही घरेलू बाजार में भी इसकी मांग घट गई है। इससे इसकी कीमत 25 फीसद कम मिल रही है। इससे किसान व कारोबार से जुड़े लोग चिंतित हैं।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब व हरियाणा के बासमती उत्पादकों को इस साल फसल को लेकर बड़ा झटका लग सकता है। वह अपनी फसल के उचित दाम हासिल नहीं कर पाएंगे। इसके दो बड़े कारण हैं। पहला, भारत से बासमती की खरीद करने वाला सबसे बड़ा देश ईरान है, जिसके अपने यहां भी इस साल बासमती की फसल अच्छी हुई है। ईरान बासमती खरीद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहा है। दूसरा यह कि कोरोना के चलते देश की घरेलू मांग भी कम हो गई है। क्योंकि शादियों सहित अन्य बड़े समारोह नहीं हो रहे, इसके साथ ही होटल व रेस्टोंरेंट आदि में भी बासमती की मांग कम हो गई है। जानकार मानते हैं कि इसका असर निश्चित तौर पर बासमती की कीमतों पर पड़ सकता है।
पिछले साल के मुकाबले 600 रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहा दाम
पंजाब के किसानों की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इस साल अन्य फसलों के साथ-साथ पंजाब में बासमती का रकबा भी बढ़ा है। दूसरी ओर, अब जब बाजार में 1509 किस्म की बासमती (अग्रिम वैरायटी) आना शुरू हो गई है, उसकी कीमत पिछले साल की कीमत के मुकाबले करीब 25 फीसद कम मिल रही है। इसने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। पिछले साल जहां बासमती 2700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदी गई वहीं इस बार 2100 रुपये प्रति क्विंटल का रेट की किसानों को मिला।
वेबिनार में कम कीमत पर जताई गई चिंता
बासमती की कीमतें न बढ़ने की चर्चा ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के वेबिनार में भी हुई। एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि देश में कुल 60 लाख मीट्रिक टन बासमती की पैदावार में से 40 लाख टन निर्यात किया जाता है। इसमें से करीब 13 लाख टन से ज्यादा बासमती की मांग ईरान से होती है। एसोसिएशन के वित्तीय मामलों के सलाहकार जगप्रीत सिंह ने कहा कि ईरान के साथ पिछले सालों में हुए व्यापार का 1800 करोड़ रुपये अब भी बकाया है। इस साल ईरान में बासमती की फसल अच्छी हुई है और वहां से मिलने वाले ऑर्डर पर निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा।
देश में भी खपत न बढ़ने के आसार
वेबिनार में बताया गया कि बासमती की खपत 20 लाख टन के करीब है। परंतु कोरोना के कारण शादी समारोह पहले की तरह बड़े स्तर पर नहीं हो रहे। हालाकि होटल और रेस्टोरेंट अब खुल गए हैं लेकिन अभी यहां लोग नहीं आ रहे। बड़े होटलों और नामी रेस्टोंरेंट आदि में बासमती चावल ही बनता है, ऐसे में उनकी मंदी का असर भी बासमती पर पड़ेगा।
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