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पंजाब कै‍बिनेट ने दूर कीं शाहपुर कंडी डैम प्रोजेक्ट की बाधाएं

पंजाब और जम्मू कश्‍मीर के शाहपुर कैंडी डैम प्रोजेक्‍ट की बाधाएं दूर हो गई हैं। पंजाब कैबिनेट ने इस डैम के कार्य को मंजूरी दे दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 08:33 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:33 AM (IST)
पंजाब कै‍बिनेट ने दूर कीं शाहपुर कंडी डैम प्रोजेक्ट की बाधाएं
पंजाब कै‍बिनेट ने दूर कीं शाहपुर कंडी डैम प्रोजेक्ट की बाधाएं

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब मंत्रिमंडल ने शाहपुर कंडी डैम प्रोजेक्ट के कार्य को तुरंत शुरू करने के लिए मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद पंजाब व जम्मू कश्मीर के इस प्रोजेक्‍ट के लिए हुए समझौते की बाधाएं दूर हो गई हैं। इस प्रोजेक्ट को मुकम्मल करने का लक्ष्य तीन साल का है। प्रोजेक्ट पूरा होने पर 206 मेगावाट अतिरिक्त पन बिजली पैदा हो सकेगी। इससे सालाना 852.73 करोड़ रुपये का सिंचाई और बिजली का लाभ होगा।

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पंजाब मंत्रिमंडल ने प्रोजेक्ट का कार्य तुरंत शुरू करने को दी मंजूरी

यह प्रोजेक्ट शाहपुर कंडी डैम से छोड़े जाने वाले पानी को नियमित करने में मदद करेगा। इससे अपर बारी दोआब नहर (यूबीडीसी) के निचले क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था में सुधार लाने में मदद मिलेगी। पंजाब और जम्मू-कशमीर के मुख्यमंत्रियों के बीच 20 जनवरी, 1979 को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। उस समय इस प्रोजेक्ट का नाम थीन डैम था। बाद में इसका नाम रणजीत सागर डैम कर दिया गया और यह साल 2000 में शुरू हुआ।

तीन साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट, 206 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा होगी

मुख्य डैम और हैड रेगूलेटरों पर कार्य मार्च 2013 को शुरू हुआ। इसका काम तेजी से चल रहा था परन्तु 30 अगस्त 2016 को जम्मू कश्मीर ने अपनेअधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में काम को रोक दिया। उसने पंजाब टर्मीनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट (पीटीएए)-2004 का हवाला दिया। बाद में पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया कि पीटीएए जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे रिपेरियन राज्यों पर लागू नहीं होता।

इसके बाद जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल से 3 मार्च, 2017 को दोनों राज्योंं के सिंचाई सचिवों की तरफ से समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते पर दोनों सरकारों की मंजूरी जरूरी थी।

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बठिंडा में एम्स के लिए जमीन ट्रांसफर करने को मंजूरी

मंत्रिमंडल ने बठिंडा में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की स्थापना के लिए राज्य से संबंधित जमीन को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नाम करने को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से चार एकड़, एक कनाल 13 मरले जमीन केंद्रीय मंत्रालय को तबदील की जाएगी। अभी यह जमीन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) लुधियाना और राज्य के खेल विभाग के नाम है। इस फैसले से जमीन की जरूरत पूरी हो गई है। मंत्रिमंडल ने इससे पहले बठिंडा जिले के गांव जोधपुर रोमाना में पीएयू के साथ संबंधित 175.1 एकड़ ज़मीन को भी मंजूरी दे रखी है।

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पंजाब वित्तीय जिम्मेदारी व बजट प्रबंधन एक्ट को मंजूरी

मंत्रिमंडल ने पंजाब वित्तीय जिम्मेदारी एवं बजट प्रबंधन एक्ट, 2003 को लागू करने को हरी झंडी दे दी है। इसका उद्देश्य निर्धारित समय पर विशेष वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करना है। यह एक्ट भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी एक मॉडल ड्राफ्ट बिल के आधार पर तैयार किया गया है जिसमें समय-समय पर जरूरी संशोधन किए गए हैं।

14वें वित्त कमीशन की सिफारिशों के अनुसार हर एक राज्य के लिए अपना वित्तीय जिम्मेदारी एवं बजट प्रबंधन एक्ट बनाना जरूरी है जिससे निश्चित वित्तीय लक्ष्य प्राप्त किए जा सके। इस एक्ट को लागू करने के लिए नियम बनाने जरूरी हैं क्योंकि राज्य सरकार की तरफ से एशियन डेवलपमेंट बैंक के साथ समझौता किया गया है। जिसके अधीन राज्य सरकार को 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1200 करोड़ रुपये) का कजऱ् प्राप्त होगा। 100 मिलियन डॉलर की तीसरी किश्त प्राप्त करने के लिए वित्तीय जि़म्मेदारी एवं बजट प्रबंधन नियम बनाना जरूरी है।

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धान खरीद प्रबंधों पर कैप्टन ने दी हिदायत

मुख्यमंत्री कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में अक्टूबर में शुरू होने वाली धान की खरीद की तैयारियों और प्रबंधों को लेकर चर्चा हुई। प्रदेश में 200 लाख टन धान खरीद की तैयारी का जायजा लिया गया।

मुख्यमंत्री ने खरीद कार्यों की नोडल एजेंसी खाद्य एवं सिविल सप्लाई विभाग को धान की निर्विघ्न और तेज़ी से खरीद और भंडारण को यकीनी बनाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मंडियों से किसानों का एक-एक दाना उठाने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने धान का समय पर भुगतान करने और निर्धारित नियमों का सख्ती के साथ पालन करने के लिए भी कहा है।

खरीफ सीजन 2018-19 के दौरान धान की खरीद के लिए भारत सरकार की तरफ से धान की आम किस्म के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1750 रुपये और ग्रेड-ए किस्म के लिए 1770 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। सरकारी खरीद एजेंसियों पनग्रेन, मार्कफेड, पनसप, वेयरहाउस, पंजाब एग्रो और एफसीआई द्वारा भारत सरकार की तरफ से निर्धारित मापदंडों के अनुसार धान की खरीद की जाएगी। खरीदे गए धान को स्टोर करने के लिए ज़रूरी तिरपालों आदि का प्रबंध समय पर कर लिया जाएगा।


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