निपटा लें बैंकिंग कामकाज, चंडीगढ़ सहित अन्य जगहों पर 13 मार्च से लगातार चार दिन बंद रहेंगे बैंक
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Unions UFBU) निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारी 15 से 16 मार्च को हड़ताल पर जाने का एलान किया है। हड़ताल को देशभर के 10 लाख बैंक कर्मचारी व अधिकारी समर्थन देंगे।
जेएनएन, चंडीगढ़। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारी 15 व 16 मार्च को हड़ताल पर रहेंगे। 13 को द्वितीय शनिवार है, जबकि 14 को रविवार। 15-16 मार्च को हड़ताल के कारण लगातार चार दिन बैंक बंद रहेंगे। हड़ताल को देशभर के 10 लाख बैंक कर्मचारी व अधिकारी समर्थन देंगे। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Unions UFBU) के कन्वीनर संजय कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार ने हाल के बजट सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की है।
शर्मा ने कहा कि 1969 में 14 प्रमुख निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण और 1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, जिसमेंं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने जन्म लिया और एक नए युग की शुरुआत की। देश 1947 में स्वतंत्र हुआ था, लेकिन यह आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ था। बुनियादी और आर्थिक विकास समय की आवश्यकता थी, लेकिन दुर्भाग्य से तत्कालीन बैंक जो सभी निजी हाथों में थे और उनमें से कई बड़े औद्योगिक और व्यावसायिक घरानों के स्वामित्व में थे विकास की प्रक्रिया में योगदान देने के लिए आगे नहीं आए।
शर्मा ने कहा कि कृषि क्षेत्र, ग्रामीण और कुटीर उद्योग, लघु उद्योग और व्यवसाय, जो हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे और अर्थव्यवस्था के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र उपेक्षित रहे। बैंकों का राष्ट्रीयकरण और उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत लाना देश की प्रगति को गति देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए। बैंक आम लोगों तक पहुंचने लगे, ग्रामीण इलाकों और दूरदराज के गांवों में बैंक शाखाएं खुलने लगीं, लोगों की निजी बचत को बैंकिग प्रणाली में लाया गया।
कृषि, रोजगार सृजन उत्पादक गतिविधियां, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, निर्यात, आधारभूत संरचना, महिला सशक्तीकरण, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग, लघु और सूक्ष्म उद्योग जैसे उपेक्षित क्षेत्र प्राथमिकता वाले क्षेत्र बन गए।
शर्मा ने कहा कि यह सर्वविदित है कि निजीकरण न तो दक्षता लाता है और न ही सुरक्षा। दुनियाभर में असंख्य बैंक विफल रहे हैं। यह मानना एक मिथ्या है कि केवल निजी ही कुशल होते हैं। यदि निजी उद्यम दक्ष होते तो कॉरपोरेट संस्थानों से कोई एनपीए नहीं होना चाहिए। निजी उद्यमों व्यावसायिक घरानों या कॉरपोरेट्स के हाथों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शाखाओं के विशाल नेटवर्क को बेचना एक तर्कहीन होगा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन सरकार कदम का विरोध करता हैैै।