बलराम दास टंडन का निधन, विशेष विमान से चंडीगढ़ लाया जाएगा पार्थिव शरीर
पंजाब के पूर्व मंत्री व छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का मंगलवार दोपहर बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मंत्री व छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का मंगलवार दोपहर बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। टंडन ने अमृतसर के चौक पासियां की एक तंग गली में स्थित पैतृक घर में राजनीति का ककहरा सीखा और राजभवन तक का सफर तय किया। टंडन का अंतिम संस्कार चंडीगढ़ में किया जाएगा।
बलराम दास टंडन के बेटे व भाजपा के चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन ने बताया कि उनके पिता का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए अभी छत्तीसगढ़ राजभवन में रखा गया है। वह देर रात पार्थिव शरीर को सरकार के विशेष विमान से अंबाला पहुंचेंगे। वहां से सड़क मार्ग से इसे सेक्टर-18 चंडीगढ़ लाया जाएगा। यहां टंडन के समर्थक उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
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टंडन का जन्म 01 नवंबर 1927 को अमृतसर पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे सामाजिक और सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा और जनकल्याण के कार्यो की वजह से टंडन पंजाब में लोकप्रिय रहे। टंडन वर्ष 1953 में प्रथम बार अमृतसर नगर निगम के पार्षद निर्वाचित हुए। बाद में वह अमृतसर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1957, 1962, 1967, 1969 एवं 1977 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।
वर्ष 1997 के विधानसभा चुनाव में टंडन राजपुरा विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने पंजाब मंत्रिमंडल में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के रूप में उद्योग स्वास्थ्य स्थानीय शासन श्रम एवं रोजगार आदि विभागों में अपनी सेवाएं दी और कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया।
टंडन वर्ष 1979 से 1980 के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। टंडन जेनेवा में श्रम विभाग के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के उपनेता के रूप में शामिल हुए और सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने नेपाल की राजधानी काठमांडू में सार्क देशों के स्थानीय निकाय सम्मेलन में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।
टंडन वर्ष 1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान जेल में रहे, लेकिन इसके बावजूद अपनी निरंतर सक्रियता से वह राज्य शासन के सामने जनहित के मुद्दों को लाते रहे। वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव की घोषणा ऐसे समय हुई थी जब पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम स्थिति में था तथा अमृतसर लोकसभा क्षेत्र आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र माना जाता था। टंडन अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए सामने आए। इस चुनाव अभियान के दौरान आतंकवादियों द्वारा उन पर कई बार हमले किए गए, लेकिन सौभाग्य से टंडन सुरक्षित रहे।
बलरामजी दास टंडन ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाइ। उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमृतसर जिले की सीमा पर जनसामान्य में आत्मबल बनाए रखने तथा उत्साह का संचार करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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वर्ष 1980 से 1995 के दौरान उन्होंने आतंकवाद का सामना करने तथा इससे लड़ने के लिए पंजाब के जनसामान्य का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों की मदद करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया। टंडन स्वयं इस फोरम के चेयरमेन थे। ‘ कॉम्पिटेंट फाउंडेशन’ के चेयरमैन के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर निःशुल्क दवाई वितरण निःशुल्क ऑपरेशन जैसे जनहितकारी कार्यों के माध्यम से गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद की।
बलरामजी दास टंडन के पुत्र संजय टंडन ने उनके जीवन पर आधारित किताब ‘एक प्रेरक चरित्र‘ लिखी जिसका विमोचन वर्ष 2009 में तत्कालीन पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने की थी। सौम्य स्वभाव के टंडन जी की खेलों में गहरी रूचि है। वे कुश्ती व्हालीबॉल तैराकी एवं कबड्डी जैसे खेलों के सक्रिय खिलाड़ी रहे हैं।
टंडन को जानने वाले पुराने लोगों को कहना है कि 1950-51 में बलराम दास टंडन संघ का प्रचार करने के लिए हिमाचल प्रदेश के चंबा गए हुए थे। रात को उन्हें संदेश दिया गया कि वह जल्द डलहौजी पहुंचें, जहां संघ के प्रचारकों की बैठक है। टंडन रात को ही 35 किलोमीटर के सफर पर पैदल निकल पड़े और सुबह डलहौजी पहुंच गए। 1953 में भारतीय जनसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के लिए विरोध-प्रदर्शन शुरू किया था। तब टंडन को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
टंडन धर्मशाला की यौल जेल में बंद कर दिए गए थे। इसी बीच अमृतसर म्युनिसिपल कमेटी के चुनावों की घोषणा हुई। टंडन ने भी नामांकन पत्र भरकर भेजा और जीत दर्ज की। राजनीतिक पारी का आगाज करते हुए टंडन जब रिहा हुए तो उन्होंने अमृतसर में भारतीय जनसंघ को मजबूत किया।
टंडन 1967 व 69 में विधानसभा का चुनाव अमृतसर केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र से जीते। आपातकाल के समय उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। जेल में फुटबाल खेलते हुए उनका घुटना टूट गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उन्हें पैरोल पर रिहा होने की सलाह दी, लेकिन टंडन नहीं माने। आपातकालीन समाप्त होने के बाद 1977 में फिर चुनाव लड़ा, जीते और प्रकाश सिंह बादल सरकार में मंत्री बने।
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