Athlete Neeraj Chopra Birthday: नीरज की हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले गुरुदक्षिणा में मेडल मांगते हैं कोच नसीन
इंटरनेशनल जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा आज अपना 23वां जन्मदिन मना रहे हैं। चंडीगढ़ में उनके को नसीम अहमद का कहना है कि वह नीरज से हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले गुरुदक्षिणा में तौर पर मेडल मांगते हैं और नीरज जीत के बाद मेडल की फोटो मैसेज करता है।
चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। इंटरनेशनल जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (International Javelin Thrower Neeraj Chopra) आज अपना 23वां जन्मदिन मना रहे हैं। नीरज का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हुआ था। उनकी कामयाबियों से उत्साहित कोच नसीन अहमद (Coach naseen ahmed) बताते हैं कि वही खिलाड़ी और छात्र अपने जीवन में सफलता पाता है जो अपने गुरु के कहे मुताबिक चलता है और उनका सम्मान करता है।
कोच नसीम बताया कि अकसर मंजिल हासिल करने के बाद खिलाड़ी उसे अपना कोच बताना शुरू कर देते हैं जो उन्हें नेशनल कैंप में मिलता है। खिलाड़ी उस कोच को भूल जाता है जो उसे खेल की एबीसी सिखाता है। नीरज चोपड़ा आज बड़े खिलाड़ी हैं, लेकिन जब भी वो मुझसे मिलने आते हैं तो वह मेरे सामने कुर्सी पर नहीं बैठते। अब वो ज्यादातर समय शहर के बाहर रहते हैं, लेकिन फिर भी मुझसे उनका एक अजीबोगरीब नाता है। मैं उनसे हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले गुरुदक्षिणा में मेडल मांग लेता हूं और वो मेडल जीतते ही मुझे उसकी फोटो मैसेज कर देते हैं। मैं नीरज का हर मैच देखता हूं लेकिन फिर भी मेरी जीत तब होती है जब नीरज का मैसेज आ जाता है। यह पल हजारों खिलाड़ियों को तराशने के बाद एक कोच को नसीब होता है। मैं खुशनसीब हूं कि मैं देश को नीरज चोपड़ा जैसा एथलीट दे पाया।
कोच नसीन से ही नीरज ने सीखे थे जैवलिन के गुर
पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम के एथलेटिक्स कोच नसीन अहमद ने बताया कि नीरज के चाचा साल 2011 में उनके पास नीरज को लेकर आए और यह कहा कि यह मेरा भतीजा है जो खा-खाकर मोटा हो रहा है आप इसे भी दौड़ाया करो। मैंने कहा आप स्टेडियम में भेज दिया करें , जिसके बाद नीरज रोज आने लगा। पानीपत का एक और लड़का पैरा एथलीट नरेंद्र था,जोकि मेरे पास हॉस्टल में रहता था। नरेंद्र और नीरज की दोस्ती हो इसके बाद वह भी हॉस्टल में रहने आ गया । नीरज किसान का बेटा है, इसलिए उसने अपनी मेहनत और जज्बे से इसी साल( 2011) ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी का रिकॉर्ड तोड़ दिया, इसके बाद उसने विजयवाड़ा में खेलते हुए अंडर-18 में भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। वह साल 2016 तक मेरे पास रहा ।
मेरी हर जीत का श्रेय मेरे गुरु को
नीरज चोपड़ा बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के छह साल पंचकूला में बिताए। नेशनल इंटरनेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीते। आज भी जीत रहा हूं, मैंने अपनी हर जीत का श्रेय अपने कोच को दिया है। मैं आज जो हूं उनकी बदौलत हूं। उन्होंने मुझे तराश कर एक अच्छा खिलाड़ी बनाया। नसीम सर के अलावा भी मैंने कई विदेशी कोचों से कोचिंग ली है। मेरी उनके प्रति भी वैसी ही आस्था है। इसलिए आप भी अपने गुरुओं के प्रति आस्था बनाएं रखें, आपको मंजिल जरूर मिलेगी।