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321 करोड़ के बैंक घोटाला मामले में 40 आरोपितों को अग्रिम जमानत

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 06:54 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 06:54 PM (IST)
321 करोड़ के बैंक घोटाला मामले में 40 आरोपितों को अग्रिम जमानत
321 करोड़ के बैंक घोटाला मामले में 40 आरोपितों को अग्रिम जमानत

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में 321 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में जिला अदालत ने 41 में से 40 आरोपितों को एंटीसिपेटरी बेल पर रिहा कर दिया। इस मामले में जिला अदालत ने कार्रवाई करते हुए कुल 41 लोगों को समन जारी किया था। इंडियन ओवरसीज बैंक के असिस्टेंट मैनेजर आशु मेहरा व अन्य के खिलाफ एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट द्वारा केस दर्ज किए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई थी। ईडी ने कुल 41 लोगों के खिलाफ ट्रेड बेस्ट लांड्रिंग केस के तहत मामला दर्ज किया था। उल्लेखनीय है कि 321 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जिला अदालत में मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत केस दायर किया था। ईडी ने केस में आइओबी के तत्कालीन तीन असिस्टेंट बैंक मैनेजरों, रिटायर्ड ब्रिगेडियर, प्रोपराइटर्स और चंडीगढ़ बेस तीन निजी कंपनियों के दो डायरेक्टर्स समेत कुल 41 को आरोपी बनाया गया है। केस के मुताबिक ईडी की ओर से दायर केस के अनुसार आरोपियों में शामिल आइओबी बैंक की चंडीगढ़ स्थित शाखा के तीन तत्कालीन असिस्टेंट बैंक मैनेजर आशु मेहरा, नीतेश नेगी और गौरव भाटिया ने बिना सीनियर अधिकारियों की अनुमति के हागकाग बेस कंपनियों को पेमेंट के लिए पीएनबी की दुबई शाखा और बॉब की बहामास शाखा को लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कर दिया। इस आधार पर दोनों बैंकों ने विदेश में उन कंपनियों को करोड़ों की पेमेंट जारी कर दी। इस तरह से पीएनबी, बॉब और आइओबी की शाखाओं से कुल 321 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई। तीनों बैंक अधिकारियों ने चंडीगढ़ बेस दो कंपनियों के डायरेक्टरों दिनेश कुमार, अमनप्रीत सिंह सोढी, अमन किरपाल, गौरव किरपाल, ब्रिगेडियर एमएस दुल्लत को करोड़ों का फायदा पहुंचाया। मामला 8 अगस्त 2016 को उस वक्त सामने आया जब दिल्ली सीबीआइ ने मामले में आइपीसी की धारा 120बी और 420 के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13के तहत एफआइआर दर्ज की थी। इसमें आरोप था कि चंडीगढ़ स्थित आइओबी शाखा के फोरेक्स डिपार्टमेंट में वर्ष 2010 से तैनात आशु मेहरा, नीतेश नेगी और गौरव भाटिया ने मिलकर दिनेश कुमार, अमनप्रीत सिंह सोढी, अमन किरपाल, गौरव किरपाल की कंपनियों को फायदा पहुंचाते हुए पीएनबी, बॉब, और आइओबी को 321 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।

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