'इस मुश्किल घड़ी में एक अध्यादेश सरकार को दिला सकता है 1.70 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज'
इन विपरीत परिस्थितियों में अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार इस फंड के आधे हिस्से 68000 करोड़ रुपए को तत्काल अपनी ट्रेजरी में जीपीएफ के तौर पर हस्तांतरित कर सकती है।
चंडीगढ़, [विशाल पाठक]। केंद्र एवं राज्यों में वर्ष 2003 के बाद सेवा में आए सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था खत्म कर शेयर बाजार पर आधारित पेंशन व्यवस्था (एनपीएस) लागू की गई थी। ताकि सेवानिवृत्ति के पश्चात कर्मचारियों और उनके आश्रित परिवारों के लिए पेंशन का बोझ सरकारों पर न पड़े। इसके लिए सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की सैलरी से 10 प्रतिशत रकम प्रति माह अनिवार्य रूप से सरकार कटौती करती है और उस रकम के बराबर ही सरकार स्वयं अपना अंशदान करके समस्त रकम को एलआईसी, एसबीआई और यूटीआई में निवेश कर देती है। अप्रैल 2019 से केंद्र ने अपना अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया था। आज इन कंपनियों के माध्यम से कुल लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के पास जमा हैं। यह कहना है एनएमओपीएस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी मंजीत सिंह पटेल का।
उन्होंने बताया कि इन पैसों में से लगभग 1.36 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार के लगभग 20 लाख कर्मचारियों का है और शेष लगभग 2.04 लाख करोड़ रुपए अलग-अलग राज्य सरकारों का है। इस व्यवस्था का विरोध कई साल से एनपीएस कर्मचारी अलग-अलग संगठनों के माध्यम से करते भी आ रहे हैं। दिल्ली, आंध्रप्रदेश और पंजाब इस क्रम में कमेटियों का गठन भी हो चुका है। कोरोना संकट के कारण केंद्र के साथ राज्य भी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार इस फंड के आधे हिस्से 68000 करोड़ रुपए को तत्काल अपनी ट्रेजरी में जीपीएफ के तौर पर हस्तांतरित कर सकती है। इस कदम से कोरोना संकट के काल में आर्थिक राहत मिल सकती है। इसके साथ ही आपात काल में सेवा दे रहे कर्मचारियों को भी राहत मिल सकती है। राज्य सरकारों को भी अपने हिस्से को निकालने की अनुमति मिल जाएगी और उन्हें फंड के लिए केंद्र की तरफ ताकना नहीं पड़ेगा।
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