चंडीगढ़ में 350 करोड़ के मुनाफे वाले बिजली विभाग को ओवरटेक करने की दौड़ में अंबानी, अडानी व टाटा
चंडीगढ़ प्रशासन उन विभागों का निजीकरण कर रहा है जोकि पहले से ही करोड़ों रुपये के मुनाफे में चल रहे हैं। प्रशासन उन विभागों का निजीकरण या प्राइवेट प्लेयर को चलाने के लिए क्यों नहीं देता जो विभाग करोड़ों रुपये के घाटे या फंड की कमी से जूझ रहे हैं।
चंडीगढ़, विशाल पाठक। 350 करोड़ रुपये के मुनाफे वाले बिजली विभाग को टेकओवर करने की दौड़ में अंबानी, अडानी और टाटा सहित नौ बड़े प्राइवेट प्लेयर शामिल हैं। इन नौ कंपनियों ने बिजली विभाग की ओर से जारी किए गए रिक्वेस्ट फोर प्रपोजल में अपनी रूचि दिखाई है। सवाल यह उठता है कि चंडीगढ़ प्रशासन उन विभागों का निजीकरण क्यों कर रहा है, जोकि पहले से ही करोड़ों रुपये के मुनाफे में चल रहे हैं।
प्रशासन उन विभागों का निजीकरण या प्राइवेट प्लेयर को चलाने के लिए क्यों नहीं देता जो विभाग करोड़ों रुपये के घाटे या फंड की कमी से जूझ रहे हैं। इस समय नगर निगम में फंड की सबसे ज्यादा कमी है। इसके चलते शहर में पानी की किल्लत अब तक दूर नहीं हुई है। पानी की किल्लत को दूर करने के लिए आखिरकार प्रशासन क्यों किसी प्राइवेट प्लेयर या कंपनी को प्रोजेक्ट नहीं सौंप देता।
बिजली विभाग के निजीकरण में ये कंपनियों दौड़ में
बिजली विभाग के निजीकरण की दौड़ में सीएईएससी लिमिटिड, टोरेंट पावर लिमिटिड, स्टरलाइट पावर, अडानी ट्रांसमीशन लिमिटिड, टाटा पावर कंपनी लिमिटिड, जीएमआर जेनरेशन असेट लिमिटिड, इंडिया पावर कारपोरेशन लिमिटिड, डीएनएच पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटिड, एनटीपीसी इलेक्ट्रिक सप्लाई लिमिटिड कंपनी शामिल हैं। 23 दिसंबर तक अभी आरएफपी खरीदा जा सकता है। आरएफपी के बदले में बिजली विभाग पांच लाख रुपये फीस के तौर पर चार्ज कर रहा है।
30 दिसंबर तक बिड देने की आखिरी तारीख
प्रशासन की ओर से बिड देने की अंतिम तारीख 30 दिसंंबर निर्धारित की गई है। बिडिंग में जिस भी बिडर कंपनी की सबसे ऊंची बोली होगी। उसे शहर में पावर सप्लाई का काम सौंपा जाएगा। बिड सिक्योरिटी के तौर पर 10 करोड़ रुपये कंपनी से बैंक गारंटी ली जा रही है। तभी कंपनी बिड में शामिल हो सकती है। बिडिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी बिजली विभाग के सभी एसेट यानी पूंजी और इंफ्रास्ट्रक्चर को टेकओवर कर लेगी।
शहर में 2.47 लाख बिजली उपभोक्ता
शहर में इस समय 2.47 लाख लोग बिजली उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ता को नौ अलग कैटेगरी में बांटा गया है। इनमें से 2.14 लाख लोग घरेलू बिजली का इस्तेमाल करते हैं। जोकि 87 प्रतिशत है। जबकि बाकी 23 प्रतिशत लोग जो बिजली उपभोक्ता हैं, उनमें कॉमर्शियल, स्मॉल पावर, पब्लिक लाइटिंग और कृषि क्षेत्र में बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है।