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CTU कंडक्टर भर्ती घोटाले में तीनों दोषियों को डेढ़ साल की कैद, जानिए पूरा मामला Chandigarh News

तीनों को कोर्ट ने 14 जनवरी को दोषी करार दिया था। वहीं अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले में एक युवक तिहाड़ मलिक गांव के निवासी नवीन कुमार को बरी कर दिया था।

By Vikas KumarEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 09:57 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 05:48 PM (IST)
CTU कंडक्टर भर्ती घोटाले में तीनों दोषियों को डेढ़ साल की कैद, जानिए पूरा मामला Chandigarh News
CTU कंडक्टर भर्ती घोटाले में तीनों दोषियों को डेढ़ साल की कैद, जानिए पूरा मामला Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। 2010 में चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) में कंडक्टर भर्ती के लिए परीक्षा में अपनी जगह किसी अन्य से पेपर कराने और उनकी सहायता करने वाले तीन लोगों को जिला अदालत ने शुक्रवार को डेढ़-डेढ़ साल की सजा सुनाई है। तीनों दोषियों पर छह-छह हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। सजा पाने वालों की पहचान हरियाणा के जिला सोनीपत के गांव तिहाड़ मलिक निवासी राजिंद्र, भट्टगांव निवासी संजय भारद्वाज और विकास नगर निवासी संदीप कुमार के रूप में हुई है। तीनों को कोर्ट ने 14 जनवरी को दोषी करार दिया था। वहीं, अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले में एक युवक तिहाड़ मलिक गांव के निवासी नवीन कुमार को बरी कर दिया था।

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सीबीआइ टीम ने की थी रेड

2010 में सीटीयू ने कंडक्टर के पदों पर भर्ती करने के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसके बाद इसके आवेदकों की तीन अक्टूबर, 2010 को चंडीगढ़ के विभिन्न स्कूलों में परीक्षा होनी थी। इस दौरान सीबीआइ को सूचना मिली थी कि इन परीक्षाओं में नकल हो रही है। कई जगहों पर कई छात्रों की जगह दूसरे छात्र परीक्षा दे रहे हैं। जिसके तहत सीबीआइ की टीम ने सेक्टर-23 स्थित सरकारी मॉडल स्कूल से संजय को गिरफ्तार किया था। वह राजिन्द्र की जगह पर पेपर दे रहा था। सीबीआइ ने जब संजय से उसी समय पूछताछ की तो उसने बताया कि संदीप कुमार नाम का युवक सेंटर के बाहर एक कार में बैठ कर नकल करने में उसकी सहायता कर रहा है। जिसके बाद सीबीआइ ने संजय, राजिन्द्र और संदीप को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया था कि संदीप कुमार ने नवीन कुमार के साथ मिलकर यह सारी साजिश रची थी।

साढ़े चार लाख में तय हुआ था सौदा

नवीन ने ही असली आवेदक रजिन्द्र कुमार की जगह पर संजय को पेपर देने के लिए तैयार किया था। इसके लिए साढ़े चार लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। नवीन ने एडवांस के एक लाख रुपये राजिन्द्र से लेकर संदीप तक पहुंचा भी दिए थे। जिसके बाद यह राशि सभी में बांटी भी गई थी। लेकिन जैसे ही सीबीआइ को इसके बारे में पता चला तो सीबीआइ ने चारों को गिरफ्तार कर लिया था। 

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