भाग मिल्खा भाग फिल्म देखकर शुरू किया दौड़ना, अब है इंटरनेशनल चैंपियन
विकास शर्मा, चंडीगढ़ साल 2013 में ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' आई थी। यह फिल्म दिव्यांग विनय कुमार को इतनी अ'छी लगी कि उसने फिल्म को 200 से ज्यादा बार देखा।
विकास शर्मा, चंडीगढ़
साल 2013 में ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' आई थी। यह फिल्म दिव्यांग विनय कुमार को इतनी अच्छी लगी कि उसने फिल्म को 200 से ज्यादा बार देखा। पद्मश्री मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी इस फिल्म से प्ररेणा लेकर 15 साल के विनय कुमार ने भी पोलिया पीड़ित होने के बावजूद दौड़ना शुरू कर दिया। शुरूआत में दिक्कत हुई, लेकिन लगातार प्रैक्टिस और जीत के बाद उसका हौसला बुलंद हुआ। इस बीच कई दिक्कतें आई, लेकिन विनय ने हिम्मत नहीं हारी और साल 2018 इंडोनेशिया में आयोजित होने वाली पैरा एशियन गेम्स में 400 मीटर की दौड़ में ब्रांज मेडल हासिल किया। इससे पहले भी कई टूर्नामेंट में जीत दर्ज कर चुके हैं विनय
-साल 2015 में गाजियाबाद में आयोजित नेशनल पैरा चैंपियनशिप में विनय ने 200 मीटर और 400 मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीता
-साल 2016 पंचकूला में आयोजित 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर में ब्रांज मेडल जीता
-साल 2017 दुबई जूनियर एशिया में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता
-साल 2017 में ओपन चाइना में एक गोल्ड और एक ब्रांज मेडल जीता
-2017 लंदन वर्ल्ड चैंपियनशिप में चौथा स्थान हासिल किया
-साल 2017 स्विजरलैंड जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में चौथा स्थान हासिल किया
-साल 2018 टूयनेशिया में एक गोल्ड मेडल जीता काफी संघर्ष के बाद राजी हुआ परिवार
विनय कुमार ने बताया कि उनके परिवार में ज्यादातर लोग इंजीनियर और डॉक्टर हैं, इसलिए परिवार के सभी सदस्य उसे भी पढ़ाई की तरफ ध्यान देने के लिए कहते थे, लेकिन उसने न सिर्फ एथलीट बनने का मन बनाया, बल्कि प्रैक्टिस भी शुरू कर दी। सिर्फ मां ने उस समय मेरा साथ दिया। मां के देहांत के बाद सबने पढ़ाई की तरफ ध्यान देने को कहा, लेकिन अब मुझे एथलीट ही बनना था। मैंने मेडल भी जीतना शुरू कर दिए थे, इसलिए सब मेरी मर्जी का सम्मान करने लगे। मिल्खा से अब तक नहीं मिले
विनय कुमार ने बताया कि उनके रोल मॉडल पद्मश्री मिल्खा सिंह हैं। उन्हीं की प्रेरणा से वह एथलीट बने हैं, जब भी वह उदास होते हैं तो भाग फिल्म भाग फिल्म देखते हैं। यह फिल्म काफी प्ररेणादायक है। अभी वह मिल्खा सिंह जी से मिले नहीं, लेकिन जल्द मिलेंगे। सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने की वजह से होती है दिक्कत
विनय ने बताया कि शहर में सबसे ज्यादा दिक्कत सिंथेटिक टै्रक की है। शहर में जितने भी एथलेटिक्स ट्रैक हैं वह सिमेंटेड ट्रैक हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर के तमाम टूर्नामेंट सिंथेटिक ट्रैक पर होते हैं। ऐसे में प्रैक्टिस करने में खासी दिक्कत होती है। 2020 में पैरा ओलंपिक गेम्स में मेडल जीतना है लक्ष्य
पैरा एथलीट विनय कुमार ने बताया कि अब उनका लक्ष्य पैरा ओलंपिक 2020 है। इसके लिए वह रोजाना 8 से 10 घंटे प्रैक्टिस करते हैं। वह सुबह 5 बजे घर से प्रैक्टिस करने के लिए निकलते हैं और शाम के 7 बजे तक ग्राउंड में रहते हैं। इस दौरान उनका ब्रेक फास्ट और लंच भी ग्राउंड में ही आता है। उनकी ट्रेनिंग अभी पीयू के एथलेटिक्स कोच अरविंद चहल के पास हो रही है।