एशियन गेम्स में हार के बाद बदला अपना फैसला : सरदार सिंह
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : टोक्यो ओलंपिक अभी खेलने का इरादा था, लेकिन एशियन गेम्स में ह
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : टोक्यो ओलंपिक अभी खेलने का इरादा था, लेकिन एशियन गेम्स में हार के बाद मैंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से सन्यास लेने का फैसला किया है। यह कहना है भारतीय हॉकी टीम के अर्जुन पुरस्कार व पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए पूर्व कप्तान सरदार ¨सह का। उन्होंने यह बात सेक्टर-27 प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया से कही। उन्होने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से सन्यास लेने के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि एशियन गेम्स खेलने से पहले मेरा विचार था कि 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलूंगा, क्योकि अभी फिटनेस लेवल मेरा काफी हाई था। लेकिन एशियन गेम्स के सेमीफाइनल हार के बाद मैंने टीम के कोच और सीनियर खिलाड़ियों व परिवार के साथ बात की, जिसके बाद मैंने रिटायरमेंट की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि जब आप कोई बड़ा मैच हार जाते है, तो पूरा दिन सिर्फ मैच के बारे में ही विचार आता रहता है। ऐसे में आप हमेशा प्रेशर में ही रहते है। ऐसे में अब मानसिक रूप से मजबूत रहना मेरे लिए मुश्किल था। जिसके बाद मैंने सन्यास लेने का फैसला लिया है। लेकिन मैं हॉकी से जुड़ा रहूंगा और नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में खेलूगा। इसके साथ ही उन्होने कहा कि कोचिंग के बारे में भी विचार करूंगा।
भारतीय टीम का 15 साल तक रहे हिस्सा
सन्यास की घोषणा के समय सरदार ¨सह काफी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने 15 साल तक देश के लिए हॉकी खेला और खेल से अलग होना मेरे लिए काफी संघर्षपूर्ण था। लेकिन परिवार तथा कोच का काफी सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि तीन साल तक वह जूनियर भारतीय हॉकी टीम व 12 साल तक भारतीय सीनियर टीम का भी हिस्सा रहे हैं। जो उनके लिए गर्व की बात है। उन्होने कहा कि इस दौरान उनका 15-16 कोचों के साथ अनुभव अच्छा रहा है। उन्होंने इडिया हॉकी टीम के बारे में कहा कि युवा खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे है और उम्मीद हैं कि आने वाले टूर्नामैंट में टीम बेहतरीन प्रदर्शन करेगी।
विदेशी कोच के साथ भाषा को लेकर रहता है असमंजस
सरदार सिंह ने बताया कि मैच के दौरान क्वार्टर के समय एक मिनट के हाफ टाइम के दौरान खिलाड़ियों व कोच के बीच बातचीत काफी महत्वपूर्ण होती है। लेकिन भाषा को लेकर हमेशा ही खिलाड़ियों में असमंजस रहता है। विदेशी कोच होने के कारण उसकी भाषा को लेकर काफी मुश्किलें आती हैं कि कोच क्या कह रहे है। लेकिन हॉकी इडिया की ओर से अब तो खिलाड़ियों को भाषा को लेकर भी ट्रे¨नग दी जा रही है। इसके साथ ही उन्होने कहा कि युवा खिलाड़ियों में अंग्रेजी भाषा को लेकर कोई ज्यादा मुश्किल नही आ रही हैं।
हमेशा सीनियर खिलाड़ियों को आना होता है आगे
एक सवाल का जवाब देते हुए सरदार ¨सह ने कहा कि मैच में मुश्किल स्थिती में हमेशा सीनियर खिलाड़ियों को ही आगे आना पड़ता है और यह टीम का नियम है। उन्होने कहा कि जब टीम को पेनल्टी शूट मिलता है तो टीम में इसका मौका हमेशा सीनियर खिलाड़ियों को दिया जाता हैं। क्योकि युवा खिलाड़ियों के पास प्रेशर झेलने की क्षमता कम होती है। इसलिए हमेशा सीनियर खिलाड़ी ही आगे आते है। इसके साथ ही उन्होने कहा कि किसी भी मैच को जीतने के लिए खिलाड़ियों का अच्छा दिन होना जरूरी है। क्योकि जब हमने एशियन गेम्स की शुरूआत की तो हम सभी मैच जीत रहे थे और उम्मीद थी कि हम स्वर्ण पदक जीतेंगे, लेकिन ऐसा नही हो सका।