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चंडीगढ़ में GST रिटर्न नहीं भरने वाली 1062 डिफॉल्टर फर्मों पर कार्रवाई, ई वे बिल अकाउंट किया ब्लॉक

50 हजार से ऊपर के सामान के डिलीवरी पर ई वे बिल होना जरूरी है अगर कोई ट्रेडर या फार्म बिना ई वे बिल के एक राज्य से दूसरे राज्य अपना सामान डिलीवरी के लिए भेजती है तो बिना ई वे दिल के स्टॉक को जप्त कर कार्रवाई की जाएगी।

By Edited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 02:51 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 03:06 PM (IST)
यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने डिफाल्टराें पर कसा शिकंजा। (फाइल फाेटाे)

चंडीगढ़, विशाल पाठक। यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने शहर में टेक्स डिफॉल्टरो पर सख्त कार्रवाई की है। एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने शहर की 1062 डिफॉल्टर फर्म के ई वे बिल अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं। इन डिफॉल्टर फर्मो ने दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच के पीरियड का जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं किया है।

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इसके चलते डीसी मंदीप सिंह बराड़ के आदेश पर असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर आरके चौधरी ने इन 1062 डिफॉटर फर्मो को नोटिस भेजकर पेंडिंग जीएसटी रिटर्न भरने के लिए कहा है।अब रिटर्न भरने तक इनका ई वे बिल एकाउंट ब्लॉक रहेगा।

शहर में 29 हजार रजिस्टर्ड डीलर असिस्टेंट

एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर आर के चौधरी ने बताया कि शहर में इस समय हजार रजिस्टर्ड डीलर हैं जोकि हर महीने अपनी जीएसटी रिटर्न फाइल करते हैं। जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ देश के सभी यूटी में जीएसटी फाइलिंग में पहले स्थान पर रहा है।

50 हजार से ऊपर के समान की डिलीवरी पर ई वे बिल जरूरी

आर के चौधरी ने बताया कि 50 हजार से ऊपर के सामान के डिलीवरी पर ई वे बिल होना जरूरी है अगर कोई ट्रेडर या फार्म बिना ई वे बिल के एक राज्य से दूसरे राज्य अपना सामान डिलीवरी के लिए भेजती है तो बिना ई वे दिल के स्टॉक को जप्त कर कार्रवाई की जाएगी।

जिन 1062 फार्म का एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने ई वे बिल अकाउंट ब्लॉक किया है। यह सभी कंपनियां बिना ई वे बिल के एक राज्य से दूसरे राज्य अपने सामान की डिलीवरी कर रही थी और इन फर्मो ने अभी तक अपना जीएसटी रिटर्न भी फाइल नहीं किया है।

एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट के 141 करोड़ रुपये है बकाया

जिन फर्मो ने अपने पिछली रिटर्न फाइल नहीं कि है इन सभी से एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट को 141 करोड़ रुपये रेवेन्यू के तौर पर आने है। सितंबर 2020 इन डिफॉल्टर फर्मो का 141 करोड़ रुपये टैक्स बकाया है।


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