कार से बच्चे को टक्कर मारने के मामले में युवक बरी
पुलिस अपना काम कितने सही ढंग से कर रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस बिना एफआइआर में दर्ज तथ्यों के देखे किसी को भी गिरफ्तार कर लेती है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पुलिस अपना काम कितने सही ढंग से कर रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस बिना एफआइआर में दर्ज तथ्यों के देखे किसी को भी गिरफ्तार कर लेती है। ऐसा ही एक पुलिस की लापरवाही का मामला जिला अदालत में देखने को मिला, जिसकी वजह से पुलिस द्वारा एक्सीडेंट मामले में गिरफ्तार एक युवक बरी हो गया। बरी हुए युवक की पहचान पंजाब के जिला होशियारपुर निवासी रनवीर सिंह के रूप में हुई। दर्ज मामले के मुताबिक, 22 जुलाई 2017 को अटावा निवासी अतवारी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि सात जुलाई 2017 को उसका तीन साल का बेटा पन्नालाल आंगनबाड़ी में जाने के लिए घर से निकला था। अभी वह घर के बाहर गली में ही पहुंचा था कि बाहर खड़ी स्विफ्ट डिजायर कार नंबर एचआर57 एम 5761 चालक ने उसके बेटे को टक्कर मारी और वहां से गाड़ी सहित भाग गया। इसके बाद पन्नालाल को सेक्टर-16 के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां से उसे पीजीआइ रेफर कर दिया गया। अतवारी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर उक्त युवक को गाड़ी सहित 24 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया। बचाव पक्ष की दलीलें
वहीं इस केस में बचाव पक्ष के वकील मनदीप ने बताया कि पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए रनवीर को इस मामले में फंसा दिया। पुलिस ने शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया गाड़ी का नंबर एचआर57 एम 5761 था। पुलिस उसी के आधार पर गाड़ी चालक की जांच करने में जुटी हुई थी। वहीं पुलिस ने रनवीर को जिस गाड़ी से गिरफ्तार किया उसका नंबर एचआर68 बी 5761 था। पुलिस ने सिर्फ केस को सॉल्व करने का दावा किया, लेकिन गाड़ी नंबर की सही से जांच नहीं की। इसके अलावा पुलिस ने इस मामले को देरी से दर्ज किया था।