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जिला परिषद व ब्लॉक समिति चुनाव में भी पंजाबियों ने 'आप' को नकारा

पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद से हुए चार चुनावों में लगातार आम आदमी पार्टी की करारी हार के बाद पूरे पंजाब से आप का पत्ता साफ होता दिख रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 10:38 AM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 05:18 PM (IST)
जिला परिषद व ब्लॉक समिति चुनाव में भी पंजाबियों ने 'आप' को नकारा
जिला परिषद व ब्लॉक समिति चुनाव में भी पंजाबियों ने 'आप' को नकारा

चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद से हुए चार चुनावों में लगातार आम आदमी पार्टी की करारी हार के बाद पूरे पंजाब से आप का पत्ता साफ होता दिख रहा है। राज्य में 22 जिप व 150 ब्लॉक समितियों के हुए चुनाव में अभी तक के परिणामों के मुताबिक आप के केवल 8 प्रत्याशियों को ही जीत हासिल हुई।

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इससे पहले गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव, निकाय चुनाव व शाहकोट विधानसभा उपचुनाव में आप को करारी हार मिल चुकी है। पंजाब से जमीनी स्तर पर साफ हो चुकी आप 20 विधायकों के साथ विपक्ष में है। विस चुनाव से पहले सत्ता में आने का सपना देखने वाली आप बेनकाब हो गई थी। पार्टी की पंजाब विरोधी नीतियों के चलते विस चुनाव में ही पंजाबियों ने आप को नकार दिया था, लेकिन अकाली दल से खफा तमाम वोटर आप के खाते में चले गए थे।

विधानसभा चुनाव के बाद 17 महीनों में पंजाब से आप का पूरी तरह से सफाया होता दिख रहा है। इसी के चलते 8 विधायकों ने बागी होकर सुखपाल खैहरा के नेतृत्व में केजरीवाल की नीतियों के खिलाफ खुद मुख्तियारी (निर्णय लेने का अधिकार) की मांग के साथ पहले ही जिप व ब्लॉक समित चुनाव न ल़ड़ने का फैसला कर लिया था। इसके बाद भी केजरीवाल ने पार्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने का फैसला किया।

गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में एक लाख से ज्यादा मतों से हार के साथ आप जमानत भी नहीं बचा पाई थी। जालंधर, अमृतसर, लुधियाना व पटियाला नगर निगम चुनावों में आप को केवल एक सीट हासिल हो सकी थी। इसके बाद मनीष सिसोदिया के प्रभारी बनने के बाद हुए शाहकोट उपचुनाव में पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी। तीन महीनों से केजरीवाल ने पंजाब में एक बार फिर से पार्टी को खड़ा करने का अभियान चला रखा है, लेकिन जनाधार पर झाड़ू फिरने के बाद केजरीवाल को भी यह समझ में आ गया है कि अब पंजाब की राह में कांटे ही काटें हैं।

निकाले नेताओं की वापसी की कवायद

चुनाव नतीजे आने से पहले ही केजरीवाल ने पार्टी से निकाले जा चुके पूर्व कनवीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर, पटियाला से निलंबित सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी के सामने घुटने टेककर संजय सिंह व आप विधायकों के द्वारा पार्टी में उन्हें वापस लाने की कवायद शुरू कर दी है। इन नेताओं ने करारा जवाब भी दे दिया है कि पंजाब व पंजाबियों को धोखा देने के मामले में पहले उनसे केजरीवाल माफी मांगें। इसके बाद पंजाब में दखलंदाजी बंद करके पंजाब के नेताओं के हवाले आप को करें, फिर सोचा जाएगा कि क्या करना है।

मान के हलके में भी एक प्रत्याशी जीता

आप के सांसद व पूर्व प्रदेश प्रधान भगवंत मान के संगरूर हलके में भी आप का केवल एक उम्मीदवार जीत पाया है। लोकसभा हलके में ब्लाक समिति के केवल एक उम्मीदवार की जीत ने सिद्ध कर दिया है कि मान के हलके में भी आप के वोटबैंक पर झाड़ू फिर चुका है।

चीमा के हलके में बुरी हालत

आप विधायक दल के नेता एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा अपने हलके दिड़बा में भी तमाम कोशिशों के बाद केवल एक उम्मीदवार को जिता पाए। चीमा ने कहा है कि कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या कर चुनाव जीता है। उन्होंने पहले ही बूथ कैप्चरिंग को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग की थी। यह जीत कांग्रेस की नहीं बल्की डंडे के जोर पर हासिल की गई जीत है। उन्होंने मतदाताओं का धन्यवाद भी किया है।

खैहरा के हलके में भी नहीं खुला खाता

आप के बागी विधायक गुट के नेता सुखपाल सिंह खैहरा के हलके भुलत्थ में भी आप खाता नहीं खोल पाई। हालांकि खैहरा ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि उनका गुट कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगा। वह इस चुनाव के खिलाफ हैं, लेकिन पार्टी उम्मीदवारों का समर्थन जरूर करेंगे। खैहरा ने कहा कि उनकी तरफ से पहले ही पार्टी को कह दिया गया था कि लोकसभा चुनाव की तैयारी करें न कि इस चुनाव की, लेकिन दिल्ली की टीम अपनी इगो के चलते पंजाब से आप का सफाया करने पर तुली है।

विधायक संदोआ की बहन भी हारीं

आप के रूपनगर से चर्चित विधायक अमरजीत सिंह संदोआ अपनी बहन को भी जीत नहीं दिला सके। रूपनगर में आप का खाता भी नहीं खुल पाया। उनकी बहन को आप से टिकट दिलाने को लेकर काफी कवायद हुई थी, लेकिन उन्होंने आजाद चुनाव लड़ा था। अंदरखाते उन्हें आप की तरफ से समर्थन दिया जा रहा था।

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