एक परिवार 42 दिनों से घर पर हजार लोगों के लिए तैयार कर रहे लंगर
कोरोना महामारी ने इंसान की जिदगी का मानों पहिया ही रोक दिया है। गरीबों का रोजगार छिन जाने से हजारों गरीब मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए दूसरों पर निर्भर हैं।
डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़ कोरोना महामारी ने इंसान की जिदगी का मानों पहिया ही रोक दिया है। गरीबों का रोजगार छिन जाने से हजारों गरीब मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। लेकिन इस मुश्किल वक्त में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और समाज में मिसाल बनते हैं। बीते 42 दिनों से चंडीगढ़ के गांव किशनगढ़ में एक घर के बाहर बर्तन लिए खाना लेने वालों की लंबी लाइनें लग रही हैं। जिसमें गांव के ऐसे मजदूर परिवार हैं, जिनके पास इस समय राशन खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है। ऐसे वक्त में गांव के ही एक युवक मनोज लुबाना की सार्थक पहल दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई है। इस युवक ने परिवार के साथ मिलकर जरूरतमंदों के खाने का इंतजाम करने का संकल्प लिया। परिवार के सहयोग से किशनगढ़ में यह युवक हर रोज एक हजार से अधिक लोगों के खाने का इंतजाम घर पर कर रहा है। खास बात यह है कि सारा खाना घर पर ही चूल्हे पर एक ही परिवार की महिलाएं और दूसरे लोग तैयार करते हैं। दैनिक जागरण ने समाज के प्रति ऐसी सकारात्मक सोच और जज्बे को लेकर युवा मनोज लुबाना से विशेष बातचीत की। घर में चूल्हे पर तैयार होता लंगर
मनोज के अनुसार खाना बनाने और उसे बांटने में परिवार के सदस्यों सहित करीब 15 लोग जुटे हैं। सुबह 6.30 से 11 बजे तक खाना तैयार किया जाता है। जिसे दोपहर एक से दो बजे तक बांटा जाता है। प्रतिदिन 40 से 45 किलो चावल के साथ कढ़ी या दाल तैयार होती है। हफ्ते में दो दिन रोटियां बनाती हैं, जिन्हें परिवार की महिलाएं तैयार करती हैं। जिनमें कमलेश कौर, सिमरन, नरेंद्र कौर, सुरेश कौर और कमलजीत कौर का खास सहयोग रहता है। खाना बांटने में मनोज के अलावा हरीश, संजीव, रघु, रजत, रोहित, अजय, सौरभ मदद करते हैं। राशन का पूरा खर्च चाचा मोहिद्र सिंह, भाई देवेंद्र लुबाना, निर्मल, राम प्रताप, रामपाल, धनीराम मिलकर उठा रहे हैं। सीनियर सिटीजंस को घर पर ही भेज रहे खाना
250 से 300 लोग खुद के लिए और परिवार के अन्य लोगों के लिए खाना लेने आते हैं। सीनियर सिटीजंस और बीमार लोगों के घर खाना पहुंचाने की व्यवस्था भी खुद करते हैं। गरीब परिवारों को राशन भी दिया जा रहा है। खाने और राशन के लिए 7696994903 पर मदद ले सकते हैं। हमारे आसपास काफी गरीब परिवार रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान पहले हमने रेडक्रॉस से 50-100 लोगों के लिए खाना खरीदना शुरू किया। डिमांड बढ़ने पर 25 मार्च से घर पर ही एक हजार लोगों का खाना बनाना शुरू कर दिया। इस मुश्किल वक्त में सभी को मदद करनी चाहिए। लॉकडाउन तक खाना बनाने का सिलसिला जारी रहेगा।
मनोज लुबाना, किशनगढ़ निवासी