रोड टैक्स से हर साल 300 करोड़ की कमाई लेकिन सड़कों की मरम्मत के लिए निगम के पास फंड नहीं
इस समय शहर की सड़कों की हालत इतनी खस्ता है कि लोग भी कहने लग गए हैं कि उन्होंने ऐसी सड़कों की हालत इससे पहले कभी नहीं देखी थी।
चंडीगढ़ [राजेश ढल्ल]। नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत शहरवासियों पर ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना करने पर भारी भरकम जुर्माना चार्ज किया जा रहा है। इसके अलावा चंडीगढ़ प्रशासन हर साल 300 करोड़ रुपये की राशि नए और पुराने वाहनों की रजिस्ट्रेशन से कमा रहा है। लेकिन इसके बावजूद इस समय शहर की सड़कों की हालत इतनी खस्ता है कि लोग भी कहने लग गए हैं कि उन्होंने ऐसी सड़कों की हालत इससे पहले कभी नहीं देखी थी। शहर की सभी प्रमुख और अंदरूनी सड़कें उखड़ी पड़ी हैं।
वीआइपी एरिया हो या कॉलोनी, गांवों में भी यही हाल है। कहीं ऐसा नहीं है कि शहरवासियों को वाहन चलाते समय गड्ढों का सामना न करना पड़े। निगम के अंतर्गत आते रास्ते भी ऐसे ही रहेंगे सबसे बड़ी बात यह भी है कि नगर निगम के अंतर्गत आने वाली सड़कों की हालत भी जल्द सुधरने की उम्मीद नहीं है। क्योंकि कमिश्नर केके यादव पहले ही कह चुके हैं कि उनके पास नए कामों और सड़क की कारपेटिंग के लिए फंड नहीं है। पिछले दो दिन में हुई बारिश के कारण सड़कों की हालत और खस्ता हो गई है।
सड़कों की हालत सुधारने के लिए प्रशासन और नगर निगम में खींचतान
नगर निगम के अंतर्गत आने वाली सड़कों की हालत सुधारने के लिए अतिरिक्त फंड देने के लिए तैयार नहीं है। प्रशासन के अधिकारी कह रहे हैं कि नगर निगम अपनी सड़कें उन्हें ट्रांसफर कर दे, वह कारपेटिंग कर देगा जिसके लिए नगर निगम के अधिकारी तैयार नहीं हैं। लेकिन प्रशासन के अंतर्गत जो इस समय सड़कों की हालत खस्ता है। उसकी मरम्मत नहीं कर रहा है। शहर के प्रमुख मार्ग भी जगह-जगह से उखड़ गए हैं।
हर साल 17 हजार चार कार और 25 हजार दोपहिया वाहन हो रहे हैं रजिस्टर्ड
हर साल आरएलए विभाग में 17 हजार नई कार-जीप और 25 हजार से ज्यादा दोपहिया वाहन रजिस्टर्ड होते हैं। जिनसे करोड़ों रुपये की कमाई हो रही है। नगर निगम कई बार प्रशासन को आरएलए विभाग उन्हें ट्रांसफर करने की मांग कर चुका है। नगर निगम का कहना है कि शहर की अधिकतर सड़कों की कारपेटिंग वह खुद करते हैं। ऐसे में रोड टैक्स से होने वाली कमाई भी उन्हें मिलनी चाहिए। वे मानते हैं कि इस समय सड़कों की काफी खस्ता हालत है।
सड़कों की कारपेटिंग के लिए फंड जरूरी है। जिसके लिए वह सभी पार्षदों को लेकर जल्द ही प्रशासक को मिलने जा रहे हैं। -राजेश कालिया, मेयर
सड़कों के निर्माण के समय प्रयोग होने वाली सामग्री ही ठीक नहीं है। चंडीगढ़ सिर्फ नाम का ही स्मार्ट सिटी रह गया है। जो इस समय शहर की सड़कों की हालत बनी हुई है, ऐसी कभी नहीं थी। प्रशासन को कम से कम रोड टैक्स से होने वाली कमाई से ही सड़कों की कारपे¨टग कर देनी चाहिए। -बलजिंदर सिंह बिट्टू, चेयरमैन, फासवेक
इन सड़कों की हालत ऐसी कि ध्यान हटा तो हादसा पक्का
पीजीआइ चौक के चारों तरफ की सड़कों की हालत बुरी तरह से खस्ता है। खुड्डा लाहौरा से पीजीआइ आने वाली सड़क पर कई जगह खतरनाक गड्ढे पड़ गए हैं। इसके अलावा सेक्टर-40-41 की विभाजक सड़क, सेक्टर-15, 18 की प्रमुख सड़क पर गड्ढे पड़ गए हैं। इस समय वीआइपी हो या आम, सब एरिया में सड़कों की हालत खस्ता हो रही है। हल्लोमाजरा चौक के पास गड्ढे पड़ने के कारण पिछले सप्ताह लोगों को कई घंटे जाम का सामना करना पड़ा था। सेक्टर-39-40 के चौक और मौसम विभाग को जाने वाली सड़क भी कई जगह से टूटी हुई है।
सेक्टर-37 लाइट प्वाइंट से आगे चौक तक जाने वाली सड़क का बुरा हाल हो गया है। धनास के चितकारा स्कूल से आगे वाली सड़क का बुरा हाल है। सेक्टर-56 के रिहायशी इलाके के अंदर सड़कों पर गड्ढे पड़े हैं। हल्लोमाजरा और डड्डूमाजरा में भी कई जगह सड़कें उखड़ी हुई हैं। सेक्टर-26 से सुखना लेक जाने वाली सड़क जगह-जगह से टूटी हुई है। गांव किशनगढ़ में सड़कों पर पड़े गड्ढों में पानी जमा हो गया है। यहां तक कि सड़कों की कारपे¨टग के समय निर्माण सामग्री जांचने के लिए जो नगर निगम ने सरकारी लैब बनाई है, उसका दो साल में एक बार भी प्रयोग नहीं किया गया है।
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