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ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के लिए PGI में महिलाओं की लगी लंबी कतार, मिल रही 30 से 40 दिन की डेट

पीजीआइ प्रशासन भी मरीजों को दी जा रही लंबी डेट को कम करने का प्रयास कर रहा है लेकिन हजारों मरीजों को महज एक मशीन से तत्काल जांच की सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं हो पा रहा है।

By Edited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 06:14 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 02:37 PM (IST)
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के लिए PGI में महिलाओं की लगी लंबी कतार, मिल रही 30 से 40 दिन की डेट
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के लिए PGI में महिलाओं की लगी लंबी कतार, मिल रही 30 से 40 दिन की डेट

जेएनएन, चंडीगढ़। पीजीआइ में ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के लिए आने वाली महिलाओं को मेमोग्राफी टेस्ट के लिए 30 से 40 दिन की डेट दी जा रही है। स्थिति यह है कि हर दिन रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की ओपीडी में 60 से 70 महिलाएं जांच कराने पहुंच रही हैं। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक 30 से 40 महिलाओं की ही जांच हो पा रही है। उसके बाद बाकी महिलाओं को अगली डेट देकर वापस कर दिया जा रहा है। महीनेभर की ओपीडी में यह संख्या हजार के पार जा चुकी है। पीजीआइ प्रशासन भी मरीजों को दी जा रही लंबी डेट को कम करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन हजारों मरीजों को महज एक मशीन से तत्काल जांच की सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं हो पा रहा है।

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महीनों से बंद पड़ी जांच डेढ़ महीने पहले हुई शुरू

पीजीआइ रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की ओपीडी में 31 अगस्त को एक डिजिटल ब्रेस्ट टोमोसिनथिसिस (डीबीटी) मेमोग्राफी मशीन इंस्टॉल की गई। इस मशीन के लग जाने से अब ब्रेस्ट कैंसर के संभावित मरीजों की जांच सरकारी दर पर संभव तो हो गई, लेकिन मरीजों की लंबी कतार कम करने में इससे ज्यादा मदद नहीं मिल पा रही है। इंस्टॉल की गई मशीन 3डी मेमोग्राफी वाली है। देश के चंद गिने-चुने संस्थानों में इस मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके टोमोसिनथेसिस से ब्रेस्ट संबंधी लक्षणों के साथ-साथ स्क्रीनिंग मेमोग्राफी में कैंसर का पता लगाने और उनका बेहतर इलाज में मदद मिलेगी। इस मशीन में एक कंप्यूटर एडेड घाव का पता लगाने का सिस्टम भी है जो फॉलोअप के केस में मददगार साबित होगा।

रेडियोलॉजी की पुरानी मशीन कंडम

पीजीआइ रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की पुरानी मेमोग्राफी मशीन लगभग 9 माह से बंद पड़ी है। कर्मचारियों ने बताया कि मशीन 10 साल पुरानी है। कंडम हो जाने के कारण बार-बार खराब हो जाती थी, इसलिए उसे बंद कर दिया गया। आशा ज्योति वैन के माध्यम से पीजीआइ के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में कैंप लगाकर जांच की जाती थी, लेकिन दो महीने से उस वैन की मशीन भी खराब हो गई है। वैन से एक दिन में 20 से 30 मरीजों की जांच होती थी।

जीएमएसएच में ट्रायल बेस पर शुरू हुई जांच

ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए चंद दिनों पहले ही सेक्टर-16 हॉस्पिटल में मेमोग्राफी टेस्ट शुरू किया गया है। हॉस्पिटल के एमएस डॉ. बीके नागपाल ने बताया कि मशीन इंस्टॉल करके ट्रायल पर हर दिन कुछ केस किए जा रहे हैं। जल्द ही इसकी सुविधा सामान्य तौर पर शुरू कर दी जाएगी।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखते ही तत्काल उसकी जांच कराकर रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर इलाज शुरू कर देना चाहिए। इस मामले में की गई एक दिन की भी देरी बीमारी को और गंभीर रूप दे सकती है। डॉ. राकेश कपूर, एचओडी रेडियोथिेरेपी डिपार्टमेंट पीजीआइ

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