25 हजार टन कचरा एक करोड़ 44 लाख में शिफ्ट होगा
आधा किमी की दूरी पर डंपिग ग्राउंड के कचरे को शिफ्ट करने का फैसला लिया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नगर निगम ने जेपी प्लांट में डंप पड़े 25 हजार टन कचरे को आधा किमी की दूरी पर डंपिग ग्राउंड के कचरे को शिफ्ट करने का फैसला लिया है। इस काम के लिए ट्रांसपोर्ट पर एक करोड़ 65 लाख रुपये का खर्चा आ रहा है। जबकि इस कचरे को प्रोसेस करने के लिए एक करोड़ 44 लाख रुपये का खर्चा अलग से आएगा। ट्रांसपोर्ट पर इतना पैसा खर्च करने पर सीनियर डिप्टी मेयर रविकांत शर्मा और कांग्रेस पार्षद सतीश कैंथ ने सवाल उठाए। जबकि नगर निगम कमिश्नर केके यादव ने कहा कि एनजीटी के आदेश पर जेपी प्लांट के अंदर पड़े कचरे को प्रोसेस किया जाना है। कमिश्नर के आदेश पर रखा गया था कचरा
मालूम हो कि यह वह कचरा है जोकि कमिश्नर के आदेश पर ही शहर का सारा कचरा प्लांट के अंदर रखा गया था क्योंकि एमओयू के अनुसार प्लांट को शहर से निकलने वाला सारा कचरा प्रोसेस करना है लेकिन प्लांट यह काम नहीं कर पाया। काफी हंगामा करने के बाद यह फैसला लिया गया कि ट्रांसपोर्ट पर होने वाले खर्चे के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए। जिसमें दो पार्षद भी शामिल होंगे जोकि यह खर्चा कम करने का प्रयास करेंगे। हाल ही में खरीदे गए हैं सात टिप्पर
कांग्रेस पार्षद सतीश कैंथ ने कहा कि नगर निगम ने हाल ही में सात टिप्पर खरीदें हैं। एक टिप्पर में एक टन कचरा आ सकता है। ऐसे में नगर निगम को चाहिए कि प्लांट में डंप कचरे को डंपिग ग्राउंड में पहुंचाया जा सके। लेकिन एमओएच डॉ. अमृत वडिंग ने कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। इस समय स्वच्छता सर्वेक्षण के चलते सभी टिप्पर शहर में कचरा उठाने में लगे हुए हैं। मालूम हो कि डंपिग ग्राउंड में पहले से पड़े 50 लाख टन कचरे को प्रोसेस करने का टेंडर स्मार्ट सिटी ने 34 करोड़ रुपये में अलॉट किया हुआ है। इसी कंपनी को ही जेपी प्लांट के अंदर पड़े कचरे को प्रोसेस करने का काम दिया गया है। फिर यहां पर क्यों फेंका गया कचरा
पूर्व मेयर अरुण सूद ने सदन में अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब जेपी प्लांट के भीतर से डंप कचरे को उठाना ही था तो फिर यहां पर शहर का कचरा क्यों डंप किया गया। जिस पर कमिश्नर केके यादव ने कहा कि यह उनके आदेश पर ही ऐसा किया गया था क्योंकि एनजीटी पहले निर्देश दिया था कि प्लांट ही शहर का प्रतिदिन निकलने वाला सारा कचरा प्रोसेस करेगा। सीनियर डिप्टी मेयर रविकांत शर्मा ने कहा कि अगर तीन करोड़ रुपये का जो खर्चा अभी आ रहा है, इससे अच्छा होता कि जेपी कंपनी को ही कचरा प्रोसेस करने के लिए टिपिग फीस दे दी जाती। शहर की बदली जाएगी सीवरेज लाइनें, हायर की जाएगी कंपनी
शहर में वर्षो पुरानी सीवरेज लाइन और ड्रेनेज सिस्टम को स्टडी करने के लिए नगर निगम ने कंसलटेंसी कंपनी हायर करने का फैसला लिया है। कमिश्नर केके यादव ने सदन में बताया कि शहर का सीवरेज सिस्टम काफी पुराना हो गया है। कई सीवरेज और स्ट्रॉम वाटर की लाइनें बंद हो गई हैं। ऐसे में यह कंपनी स्टडी करके बताएगी कि अगर शहर का यह सारा सिस्टम बदला जाए तो कितने बजट की जरूरत है। जहां-जहां पर सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत है, उसकी भी जानकारी कंपनी अपनी रिपोर्ट में देगी। कांग्रेस पार्षद गुरबख्श रावत ने कहा कि यह स्टडी रिपोर्ट एक साल में बन जानी चाहिए जिस पर कमिश्नर ने कहा कि यह काम छह माह में हो जाएगा। इस काम के लिए 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के बजट की जरूरत है। रिपोर्ट आने के बाद लिया जाएगा फैसला
रिपोर्ट आने के बाद फैसला लिया जाएगा कि यह काम नगर निगम करे या स्मार्ट सिटी से करवाया जाए। कांग्रेस पार्षद शीला फूल सिंह ने कहा कि उनके एरिया सेक्टर-25 में हर दिन सीवरेज बंद होने की शिकायत आती है जिस कारण यहां के लोग काफी परेशान हैं। सीवरेज लाइनें यहां पर तत्काल प्रभाव से बदली जानी चाहिए।