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पंजाब की तरह अब चंडीगढ़ काग्रेस में भी घमासान, हाईकमान चुप

पंजाब कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक के बीच अब चंडीगढ़ कांग्रेस में भी घमासान छिड़ गया है। दिसंबर माह में होने वाले नगर निगम चुनाव से ऐन पहले पार्टी में बिखराव की स्थिति सामने आ रही है। कुछ ही दिनों के अंदर कई नेता पार्टी छोड़ आम आदमी पार्टी का रुख कर चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 06:00 AM (IST)
पंजाब की तरह अब चंडीगढ़ काग्रेस में भी घमासान, हाईकमान चुप
पंजाब की तरह अब चंडीगढ़ काग्रेस में भी घमासान, हाईकमान चुप

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़

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पंजाब कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक के बीच अब चंडीगढ़ कांग्रेस में भी घमासान छिड़ गया है। दिसंबर माह में होने वाले नगर निगम चुनाव से ऐन पहले पार्टी में बिखराव की स्थिति सामने आ रही है। कुछ ही दिनों के अंदर कई नेता पार्टी छोड़ आम आदमी पार्टी का रुख कर चुके हैं। पार्टी से अलग होने के बाद से प्रदीप छाबड़ा लगातार काग्रेस को कमजोर करने में जुटे हुए हैं। हालांकि इस मामले में अभी तक हाईकमान चुप है। पार्टी प्रभारी हरीश रावत इस समय पंजाब में व्यस्त हैं।

हाईकमान ने चंडीगढ़ काग्रेस की पूरी जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल पर छोड़ रखी है। मगर पार्टी के कुछ नेता पवन बंसल से भी नाराज चल रहे हैं। वे पार्टी की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ कांग्रेस को लगातार कमजोर करने में लगी हुई है। कांग्रेस छोड़कर आप में गए प्रदीप छाबड़ा का दावा है कि वह इस समय भी प्रदेश कार्यकारिणी के छह नेताओं के संपर्क में हैं, जिन्हें आगामी दिनों में आप में शामिल करवाया जाएगा। छाबड़ा ऐसा करआप के लिए शहर में माहौल तैयार कर रहे हैं। हरीश रावत पंजाब के साथ साथ चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रभारी है। लेकिन चंडीगढ़ कांग्रेस में लगातार छोड़ रहे नेताओं के मामले में हाईकमान ने चुप्पी साधी हुई है। इसलिए कई नेताओं का मानना है कि प्रदीप छाबड़ा को कांग्रेस छोड़ने के लिए रोका जा सकता था अगर हाईकमान से कोई नेता या हरीश रावत उनसे बात करके उनकी अडजस्टमेंट करते हैं लेकिन पार्टी ने ऐसा नही किया और छाबड़ा ने खुद तो कांग्रेस छोड़ी उसके बाद अब तक 50 नेता पार्टी छोड़कर आप में शामिल हो चुके हैं। प्रदीप छाबड़ा आप में शामिल होने के बाद भी लगातार पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

चंडीगढ़ कांग्रेस में एक मुख्य प्रवक्ता के अलावा तीन प्रदेश प्रवक्ता है। लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। पिछले एक माह से प्रवक्ताओं ने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है। यह प्रवक्ता पार्टी की जिम्मेदारी निभाने की बजाए अपने वार्ड में आने वाले चुनाव को लेकर तैयारियों में लगे हुए हैं। इसी कारण पार्टी के प्रेस नोट भेजने की जिम्मेदारी अन्य नेता निभा रहे हैं। पार्टी के नेता भी उठा रहे सवाल

चंडीगढ़ कांग्रेस की गुटबाजी और पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं के मामले में हाईकमान इसलिए भी ज्यादा हस्ताक्षेप नहीं कर रही है, क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल इस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष है और उन्होंने सारा मामला बंसल पर ही छोड़ा हुआ है। इसलिए हरीश रावत भी ज्यादा हस्ताक्षेप नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस में मचे बवाल का फायदा आम आदमी के साथ साथ चंडीगढ़ भाजपा को मिल रहा है। महिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिता शर्मा और प्रदेश सचिव यादविदर मेहता के आप में जाने के बाद कांग्रेस पार्षद दल के नेता देवेंद्र सिंह बबला ने तो अपने पार्टी अध्यक्ष सुभाष चावला पर ही सवाल खड़े कर दिए। दोनों में हुई आपसी बातचीत का मैसेज भी वायरल हुआ। जिसे पार्टी के नेता अनुशासन के खिलाफ मान रह हैं, लेकिन बबला पार्टी के सीनियर नेता है और कोई कार्रवाई करने पर नया बवाल पैदा हो जाएगा इसलिए पार्टी इस समय पूरी तरह से चुप है। चावला के लिए चुनौती

ऐसी स्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें भी आभास है कि आने वाले दिनों कुछ और नेता छोड़कर कांग्रेस में शामिल होंगे वह उन्हें नहीं रोक पा रहे इस कारण यह है कि आप टिकट का प्रलोभन दे रहे हैं और अध्यक्ष चावला अभी किसी को टिकट का वायदा नहीं कर पा रहे हैं। असलियत यह भी है कि टिकट तय करने में ज्यादातर पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल की चलेगी। सीनियर नेताओं की गुटबाजी को भी वह दूर नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी की कई रणनीति भी आप में गए कांग्रेस नेताओं के पास लीक हो रही है। ऐसी स्थिति में चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव जीतना अध्यक्ष चावला के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी। पार्टी में मचे बवाल के कारण जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन को कांग्रेस में लाने और उनके साथ गठबंधन की बात चल रही थी वह सिरे नहीं चढ़ पाई।


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