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बर्ड एवियेरी की अड़चन दूर करने में जुटा चंडीगढ़ प्रशासन, मिनिस्ट्री की रोक के बाद जवाब किया जा रहा तैयार

सुखना लेक (Sukhna Lake) के साथ लगते सिटी फॉरेस्ट में बर्ड एवियेरी (Bird Aviary) का काम अंतिम चरण में पहुंचने के बाद रुक गया है। मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायर्नमेंट फाॅरेस्ट व क्लाइमेट चेंज ने इस पर रोक लगा दी है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 02:42 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 02:42 PM (IST)
बर्ड एवियेरी की अड़चन दूर करने में जुटा चंडीगढ़ प्रशासन, मिनिस्ट्री की रोक के बाद जवाब किया जा रहा तैयार
चंडीगढ़ में बर्ड एवियेरी पूर्व प्रशासक वीपी सिंह बदनौर का ड्रीम प्रोजेक्ट था।

चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। सुखना लेक (Sukhna Lake) के साथ लगते सिटी फॉरेस्ट में बर्ड एवियेरी (Bird Aviary) का काम अंतिम चरण में पहुंचने के बाद रुक गया है। मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायर्नमेंट, फाॅरेस्ट व क्लाइमेट चेंज ने इस पर रोक लगा दी है। मिनिस्ट्री ने प्रोजेक्ट की सभी जरूरी मंजूरी मिलने तक काम को आगे नहीं बढ़ाने के आदेश दिए हैं। अब फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने बर्ड एवियेरी की सभी अड़चन दूर करने की प्रक्रिया पर तेजी से काम शुरू कर दिया है।

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बता दें कि यह चंडीगढ़ के पूर्व प्रशासक वीपी सिंह बदनौर का ड्रीम प्रोजेक्ट था। उनके आइडिया पर ही यहां काम शुरू हुआ। उसके बाद से ही इसे बहुत तेजी से पूरा किया जा रहा था। कई संस्थाओं की आपत्ति को देखते हुए मिनिस्ट्री ने इस पर रोक लगा दी। अब इस रोक को हटवाने के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी जवाब तैयार कर वापस मिनिस्ट्री को भेजने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही प्रोजेक्ट से संबंधित जो भी मंजूरी ली जानी है वह भी लेने के लिए फाइल भेजी जा रही है। प्रशासन इस प्रोजेक्ट को लेकर बुरी तरह से फंस गया है। प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है। इतना ही 40 दुर्लभ प्रजाति के बर्ड्स तक चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं। अभी तक एवियेरी शुरू हो चुका होता अगर यह आपत्ति नहीं लगती। अब बर्ड्स भी आ चुके हैं ऊपर से काम रुकने से प्रशासन की मुश्किल बढ़ गई हैं।

सिटी फॉरेस्ट में रखे गए हैं पक्षी

इन दुर्लभ किस्म के पक्षियों को एवियेरी के पास ही सिटी फॉरेस्ट में बने वेटनरी हॉस्पिटल में रखा गया है। यह वेटनरी हॉस्पिटल वन्य जीवों के लिए बनाया गया था। ग्रुप में यह पक्षी महीने भर से चंडीगढ़ लाए जा रहे हैं। अब लगभग सभी पक्षी चंडीगढ़ आ चुके हैं। बर्ड एवियेरी में 40 दुर्लभ प्रजाती के करीब 1500 पक्षी रखे जाने हैं। एवियेरी के प्रोजेक्ट पर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें से लगभग एक तिहाई राशि एग्जॉटिक बर्ड्स को खरीदने में खर्च हुई है। विदेशी सप्लायर्स से लाने के बाद इन पक्षियों को हॉस्पिटल में ही पिंजरों में रखा जा रहा है। वाइल्ड लाइफ की स्पेशल टीम इन पक्षियों की देख रेख कर रही है। 24 घंटे इनका ध्यान रखा जा रहा है। इस एरिया में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। सिटी फॉरेस्ट को पब्लिक के लिए ओपन नहीं करने की यह भी एक वजह बताई जा रही है।

अब तो बर्ड्स का क्वारंटाइन पीरियड भी हो चुका पूरा

यह सभी दुर्लभ प्रजातियों के विदेशी पक्षी हैं। इन्हें रजिस्टर्ड विदेशी सप्लायर्स से ही चंडीगढ़ मंगवाया गया है। कोरोना को देखते हुए लाने के बाद से ही इन पक्षियों को सिटी फॉरेस्ट एरिया में क्वारंटाइन कर रखा गया था। हालांकि अब तो इनका क्वारंटाइन पीरियड पूरा हो चुका है। बर्ड एवियेरी पर लगी रोक हटने के बाद ही इन्हें अब शिफ्ट किया जाएगा।

मिनिस्ट्री ने जरूरी मंजूरी तक लगाई है रोक

बर्ड एवियेरी को फिलहाल मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायर्नमेंट, फाॅरेस्ट व क्लाइमेट चेंज की तरफ से रोकने के लिए कहा गया है। मिनिस्ट्री ने रोक के लिए जो लेटर भेजा था उसमें संबंधित कंपीटेंट अथाॅरिटी से सभी मंजूरी नहीं मिल जाने तक इसका काम बंद करने के आदेश दिए गए थे।मिनिस्ट्री के वाइल्ड लाइफ डिविजनल की तरफ से असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल आॅफ फाॅरेस्ट(वाइल्ड लाइफ) ने यह लेटर जारी कर सवाल उठाए थे।हालांकि यूटी प्रशासन का कहना है कि बर्ड एवियेरी के लिए सभी नियम और कानूनों का पालन किया गया है।प्रशासन इसके लिए एनीमल वेलफेयर बोर्ड को भी स्पष्टीकरण दे चुका है। इसमें बताया गया था कि एवियरी के लिए किसी अवैध मार्केट से नहीं बल्कि मिनिस्ट्री और एनीमल वेलफेयर बोर्ड से रजिस्टर्ड सप्लायर्स से ही एग्जाॅटिक बर्डस खरीदे जा रहे हैं।

मेनका गांधी भी खुश नहीं

इस प्रोजेक्ट की शिकायत पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी से भी की गई थी। शिकायत पर मेनका गांधी ने एवियेरी को गैर कानूनी बताते हुए इस पर तुरंत रोक लगाने के लिए कहा था। साथ ही इंटरनेशनल मार्केट से पक्षी खरीदे जाने की वजह से भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई थी। हालांकि इस पर प्रशासन ने जवाब भेज दिया था।

शहर के संगठन बता रहे गलत

सेकेंड इनिंग्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरके गर्ग इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठा रहे हैं। वह लगातार इसकी शिकायत कंपीटेंट अथॉरिटी और मिनिस्ट्री को लेटर भेजकर करते रहे हैं। गर्ग के लेटर पर ही मिनिस्ट्री ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई है। गर्ग ने कहा कि पक्षियों को इस तरह से कैद कर पिंजरों में रखना गैर कानूनी है। यह जू खोलने के नियमों का भी उल्लंघन है।

प्रशासन का दावा मिलेगा फ्री फ्लाई जोन

बर्ड एवियरी के इस प्रोजेक्ट पर लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 60 गुणा 40 मीटर के दो एरिया यानी 2400-2400 स्क्वेयर मीटर एरिया को बर्ड एवियेरी के लिए रखा गया है। वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के अधिकारियों का दावा है कि बर्ड पार्क में पक्षियों को फ्री फ्लाई जोन मिलेगा। इसका कारण यह है कि एवियेरी की हाइट देश में अभी तक बने सभी एवियेरी से ज्यादा रखी गई है। यह नेचुरल हेबिटेट वाला एवियेरी होगा।


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