चंडीगढ़वासियों को खस्ताहाल सड़कों से मिलेगी राहत, आज से टूटी सड़कों की हालत सुधरने का काम होगा शुरू
चंडीगढ़वासियों को जल्द ही राहत मिलने जा रही है क्योंकि खस्ताहाल सड़कों की री-कारपेटिंग का काम आज से शुरू हो रहा है। वीरवार को नगर निगम के चीफ इंजीनियर शेलेंद्र सिंह ने जिन जिन सड़कों की कारपेटिंग होनी है उसकी बैठक करके सूची तैयार की है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़वासियों को जल्द ही राहत मिलने जा रहा है क्योंकि काफी लंबे से जो सड़कों की री-कारपेटिंग का काम रूका हुआ था वह वीरवार से शुरू हो रहा है। सेक्टर-9 सी की जो सबसे खस्ता हाल सड़क है उसको ठीक करने का काम वीरवार से शुरू हो रहा है। मालूम हो कि इस समय शहर की अधिकतर एरिया की सड़कों की खस्ता हालत है। वहीं प्रशासन का इंजीनियरिंग विंग भी अपने अंतगर्त आने वाली सड़कों की कारपेटिग करने की तैयारी कर रहा है। वीरवार को नगर निगम के चीफ इंजीनियर शेलेंद्र सिंह ने जिन जिन सड़कों की कारपेटिंग होनी है उसकी बैठक करके सूची तैयार की है।
इस समय हर वासी सड़कों पर गढ्ढे होने के कारण परेशान है। प्रमुख मार्गों के अलावा रेजिडेंश्यल एरिया में सड़के टूटी हुई है। अभी तक सर्दी के कारण तापमान कम होने के कारण सड़क की कारपेटिग का काम शुरू नहीं हो रहा था। जबकि इससे पहले नगर निगम की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं थी कि वह काम शुरू कर सके। इस समय नगर निगम की ओर से जो सड़क की कारपेटिग का काम शुरू किया जाएगा उसकी लागत 30 करोड़ से ज्यादा की है।
वीरवार को सेक्टर-9 सी की जिस सड़क की कारपेटिग का काम शुरू किया जा रहा है उसको पिछले साल ही खोद दिया गया था लेकिन बीच में ही काम रोक दिया गया था। मालूम हो कि दैनिक जागरण ने पिछले माह गड्ढों वाला स्मार्ट सिटी के नाम से अभियान भी चलाया था। इस समय कोई भी वार्ड ऐसा नहीं है जहां की सड़के ठीक हो। शहरवासियों का कहना है कि इस समय जो सड़कों की हालत है ऐसी कभी नहीं हुई। वीआइपी एरिया में भी सड़कों की खस्ता हालत है।
मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर के वार्ड की भी खस्ता हालत
इस समय मेयर रविकांत शर्मा के अपने वार्ड के सेक्टर-22 में सड़कों की खस्ता हालत है। सीनियर डिप्टी मेयर महेश इंद्र सिद्धू वीआइपी एरिया से पार्षद है। लेकिन उनके एरिया सेक्टर-9 में पूरे सेक्टर की सड़कों पर भारी गढ्ढे हैं जिनको देखकर लगता ही नहीं है कि यह कोई पॉश इलाका है। यहां पर रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन का कहना है कि कालोनी और गांवों से भी ज्यादा खस्ता हालत में उनके सेक्टर की सड़के हैं।
दक्षिणी सेक्टरों में भी शहरवासी हर दिन टूटी हुई सड़कों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि सड़कों के गढ्ढे भरने एवं मरम्मत की तरफ भी कोई ध्यान नहीं है। इस समय सड़क की कारपेटिग का कार्यकाल पांच साल है। पांच साल बाद ही फिर से कारपेटिग होती है। लेकिन शहर में सड़के इससे पहले भी टूट जाती है। लेकिन कभी भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं होती है। लोगों का कहना है कि ठेकेदार की जवाबदेही तय होनी चाहिए। उनका कहना है कि यह अधिकारियों और ठेकेदारों की आपसी मिलीभगत ही है जो समय से पहले सड़के टूट जाती है।
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