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पंजाब में बदले कांग्रेस नेताओं के सुर, 'कैप्टन फार 2022' की घोषणा के बाद बने रहे नए समीकरण

कांग्रेस आलाकमान की पकड़ कमजोर पड़ने के साथ ही पार्टी के पंजाब के नेताओं के सुर बदल गए हैं। पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा कैप्‍टन फार 2022 की घोषणा करने के बाद पार्टी में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं।

By Sunil kumar jhaEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 09:20 AM (IST)
पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और पूर्व कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab Congress: कांग्रेस आलाकमान की पकड़ ढीली होने के साथ ही पंजाब में कांग्रेस नेताओं के सुर बदल रहे हैं। इसके साथ ही पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ के 'कैप्‍टन फार 2022' के ऐलान के साथ ही पार्टी में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। इससे पंजाब में कांग्रेस की सियासत की दिशा काफी हद तक बदल सकती है।

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दरअसल, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं के एक मंच पर आने को बेशक जेएंडके को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने वाली बैठक बताया जा रहा हो, लेकिन पंजाब के बहुत से नेताओं की नजर इस पर टिकी हुई है। दरअसल, जिस तरह से गांधी परिवार से नाराज 23 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपनी अलग खिचड़ी पका रहे हैं, उसका राज्यों की दूसरी पंक्ति की लीडरशिप पर भी प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है।

एक समय में कांग्रेस हाईकमान से पूछे बिना एक जिला प्रधान तक नहीं बदला जा सकता था। अब स्थिति यह हो गई है कि मौजूदा प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ कैप्टन अम¨रदर ¨सह को 2022 के लिए नेता घोषित कर रहे हैं और पंजाब प्रभारी हरीश रावत को भी कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस में परंपरा रही है कि मौजूदा मुख्यमंत्री ही अगले चुनाव में पार्टी को लीड करता है।

हालांकि, इससे पहले हरीश रावत यह कहते रहे हैं कि प्रदेश में दूसरी पंक्ति को उभारना चाहिए और मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह को यह काम करना चाहिए। कैप्टन बड़े कद के नेता हैं और उनका दायित्व है कि प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए वह दूसरी पंक्ति को आगे लाएं।

हरीश रावत ऐसा उस समय बोल रहे थे, जब वह पंजाब के प्रभारी बनकर आए और उन्होंने कैप्टन से नाराज नवजोत सिंह सिद्धू व प्रताप सिंह बाजवा जैसे नेताओं को कैप्टन के करीब लाना शुरू किया। नवजोत सिद्धू को कैप्टन ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हाशिए पर कर दिया, जिनकी पीठ पर राहुल गांधी का हाथ था। रावत दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में उभारना चाहते थे, लेकिन कैप्टन ने भी साफ कर दिया कि उनकी मर्जी के बगैर कुछ नहीं हो सकता। अब रावत भी यही कह रहे हैं कि सिद्धू को अगर चलना है तो कैप्टन के मुताबिक ही चलना होगा।

प्रताप सिंह बाजवा के कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ लंच व डिनर से भी मिले नए संकेत

सबसे दिलचस्प चर्चा तो राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा को लेकर है। कैप्टन की पोती की शादी पर दिए गए लंच में उनका पहुंचा बहुत लोगों को चौंका गया। इससे पहले वह लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बोलते रहे हैं और उनकी नीतियों में कमियां निकालते रहे हैं। बाजवा ने अपनी पत्नी समेत लंच पर पहुंचकर सभी को हैरत में तो डाला और इसके बाद डिनर पर भी दोनों के बीच लंबी चर्चा हुई। तो बड़ा सवाल हे कि क्या बाजवा भी अब समझ चुके हैं कि कैप्टन की आलोचना करके उन्होंने अपना ही समय खराब किया है।

राहुल बिग्रेड भी शांत

राहुल गांधी ब्रिगेड के अन्य नेताओं का भी यही हाल हुआ है। सांसद रवनीत बिट्टू हों या विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, इनका रुतबा भी अब वह नहीं रहा जो 2014 के चुनाव के दौरान था। अब ये सभी गौण हो गए हैं। इससे साफ दिख रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन की अगुआई में चुनाव लड़ने के फैसले को पार्टी के अंदर चुनौती मिलना मुश्किल है।


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