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भाजपा के हवन में कांग्रेस को निमंत्रण, संक्रमित अकाली नेता ने सभी को डराया

हवन में कांग्रेस के चंद सीनियर नेताओं को भी बुलाया लेकिन वह भी नहीं आए। भाजपा कार्यालय में कांग्रेस नेताओं का जाने का मतलब ही नहीं था।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:51 AM (IST)
भाजपा के हवन में कांग्रेस को निमंत्रण, संक्रमित अकाली नेता ने सभी को डराया
भाजपा के हवन में कांग्रेस को निमंत्रण, संक्रमित अकाली नेता ने सभी को डराया

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। राम मंदिर का निर्माण शुरू होने पर भाजपा कार्यालय में हवन रखा गया। इस कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने होम क्वारटांइन रहते हुए कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा को भी आहुति डालने के लिए पार्टी कार्यालय आने का निमंत्रण भेजा। लेकिन छाबड़ा ने सूद को स्पष्ट कह दिया कि जो पार्टी हाईकमान का हुकम होगा वही किया जाएगा। कांग्रेस के अन्य चंद सीनियर नेताओं को भी बुलाया लेकिन वह भी नहीं आए। भाजपा कार्यालय में कांग्रेस नेताओं का जाने का मतलब ही नहीं था। लेकिन अब अकाली दल के अध्यक्ष हरदीप सिंह के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद हवन के कार्यक्रम में मौजूद भाजपा के नेता डरे हुए हैं, क्योंकि हरदीप सिंह भी हवन में आहुति डालने पहुंचे थे। ऐसे में अब कांग्रेस नेता कह रहे है कि शुक्र है वह कार्यक्रम में नहीं गए, नहीं तो उन्हें भी होम क्वारंटाइन होना पड़ता।

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आलू हो गए किडनैप

सेक्टर-17 में बनी अस्थायी सब्जी मंडी में इन दिनों एक किस्सा काफी चर्चा में है, जिसे आलू की किडनै¨पग कहकर पुकारा जा रहा है। नगर निगम की ओर से मंडी में सड़क पर रखी गई सब्जियों और सामान को अवैध मानते हुए उठा लिया जाता है। पिछले सप्ताह यहां के आढ़ती विनोद कुमार के 19 बोरी आलू उठा लिया गया। आढ़ती का कहना है कि उसके 36 हजार रुपये के आलू जब्त करने की रसीद मांगी तो साहब का जवाब मिला कि गुप्त दान की रसीद नहीं मिलती। जब्त किए गए सामान को रिलीज करने का प्रावधान नहीं है और जो फल सब्जी जब्त की जाती है तो उसे गुरुद्वारे और मंदिर में लंगर के लिए दिया जाता है। एमसी का कहना है कि सिर्फ डेढ़ बोरी आलू जब्त की गई थी, जिसे सेक्टर-20 के गुरुद्वारा में दे दिया गया है।

अफसरशाही पर लगाम कब

अरुण सूद ने भाजपा अध्यक्ष बनते ही सबसे पहले प्रशासन में अफसरशाही हावी होने की बात करते हुए उस पर लगाम लगाने की बात रखी थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करवाने का प्रयास करेंगे। पार्टी के पार्षद, नेता और कार्यकर्ताओं को सूद के इस दावे पर उम्मीद थी कि कुछ होगा लेकिन कुछ नहीं हुआ। अभी भी जनप्रतिनिधियों पर अफसरशाही हावी है। ऐसे में अब उनके विरोधी भी सूद के दावे पर सवाल उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि कहने और करने में काफी फर्क होता है। जबकि सूद समर्थकों का दावा है कि अध्यक्ष बनने के बाद ही कोरोना शुरू हो गया। कोरोना थमने के बाद जो सूद साहब ने कहा उस पर काम किया जाएगा। जबकि जनप्रतिनिधियों को फैसले लेने की भूमिका में शामिल करवाने के लिए भी सूद ने गृह मंत्री से बात करने का दावा किया था।

लग रहा पार्टी सो रही

अभी हाल ही में कांग्रेस पार्षद दल के नेता देवेंद्र सिंह बबला ने नेताओं और कार्यकर्ताओं के एक ग्रुप में अध्यक्ष पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी को मजबूत किया जाए। ऐसा लग रहा है पार्टी सो रही है। ग्रुप में यह बात अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा को सही नहीं लगी और उन्होंने नाराज होकर ग्रुप छोड़ दिया। कुछ नेताओं ने छाबड़ा को फिर से जोड़ने की बात रखी। एक नेता ने ग्रुप में लिखा कि प्रधान जी, गुस्सा छोड़ो। जिला अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह गाबी ने पक्ष लेते हुए बात रखी। छाबड़ा समर्थकों का मानना था कि बबला को यह बात ग्रुप में नहीं रखनी चाहिए थी, उन्हें छाबड़ा को निजी तौर पर मिलकर अपनी बात रखनी चाहिए थी। लेकिन छाबड़ा ने सारे मंथन के बाद बिना परहवा किए फिर से लिखा कि दिल वड्डा होणा चाहिदा है सबकुछ ऐथे रह जाणा। मालूम हो कि पार्टी में छाबड़ा और बबला का पहले भी अलग-अलग मुद्दों पर मनमुटाव हो चुका है।


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