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लॉकडाउन में मोक्ष के इंतजार में कलश में कैद हैं अस्थियां

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे क‌र्फ्यू के कारण ट्राईसिटी के श्मशन घाटों में अंतिक संस्कार तो हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 07:37 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:09 AM (IST)
लॉकडाउन में मोक्ष के इंतजार में कलश में कैद हैं अस्थियां
लॉकडाउन में मोक्ष के इंतजार में कलश में कैद हैं अस्थियां

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे क‌र्फ्यू के कारण ट्राईसिटी के श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार तो हो रहे हैं, लेकिन यहां से अस्थियां हरिद्वार गंगा तक प्रवाह के लिए नहीं पहुंच रही हैं। पिछले 15 दिन से यह स्थिति बनी हुई है। चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के सभी श्मशान घाट के लॉकर फुल हो चुके हैं। ऐसे में अब संस्कार के बाद अस्थि कलश श्मशान घाट में लगे पेड़ से लटकाया जा रहा है। जोकि क‌र्फ्यू खुलने का इंतजार कर रही है, जबकि कई लोगों ने अपने परिजनों के संस्कार के बाद अस्थियां अपनी कार की डिक्की में रख ली हैं। जबकि कुछ लोग मंदिर के पास लगे पेड़ों पर अस्थियां कलश में डालकर लटकाकर लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में संस्कार के बाद परिजन पर समय पर अपनी रीति रिवाज पूरे नहीं कर पा रहे हैं। कई लोग हरियाणा के पिहोवा में भी अस्थियों का विसजर्न करते हैं, उन्हें भी इसी तरह दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ट्राईसिटी में सबसे बड़ा श्मशान घाट सेक्टर-25 में है। इस घाट के प्रमुख पंडित गुलशन कुमार का कहना है कि उनके यहां पर 100 से ज्यादा अस्थियां रखने के लिए लॉकर है जो कि पूरी तरह से भर चुके हैं। इस समय किसी को भी उत्तराखंड में हरिद्वार जाने की मंजूरी नहीं है। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से अस्थियां हरिद्वार में विसर्जन के लिए क‌र्फ्यू पास भी दे रही है, लेकिन इसके बावजूद लोग हरिद्वार नहीं पहुंच पा रहे हैं। कई लोग उत्तराखंड के बॉर्डर से मायूस वापस लौटे हैं। ऐसे में पेड़ों पर ही अस्थि कलश लटकाए जा रहे हैं। यह है मान्यता

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हिदू रीति रिवाज में यह मान्यता है कि अंतिम मुक्ति के लिए अस्थियों का गंगा में विसर्जन होना जरुरी है। जबकि सिख समुदाय में अधिकतर लोग कीतरपुर साहिब में अस्थियों का विसर्जन करते हैं। जबकि पंजाब में होने के कारण यहां पर पहुंचना मुश्किल नहीं है। चंडीगढ़ के मनीमाजरा के श्मशान घाट में भी कोई लॉकर खाली नहीं बचा है। मनीमाजरा में पंचकूला के लोग भी मरने के बाद अपने परिजनों का संस्कार करने के लिए पहुंचते हैं। मनीमाजरा श्मशान घाट के पंडित अश्विनी कुमार का कहना है कि इस समय सारे लॉकर पूरी तरह से भर चुके हैं। इसलिए कुछ अस्थियों को आसपास के श्मशान घाटों में भी कुछ दिनों के लिए रखवाने के लिए भेजा जा रहा है। कोरोना के कारण नाममात्र ही लोग आते है श्मशान घाट

ट्राईसिटी में प्रतिदिन 30 से 40 लोगों की मौत होती है। इस समय कोरोना के कारण शव के साथ ज्यादा लोग नहीं आ रहे हैं। नाममात्र के लिए नजदीक के ही रिश्तेदार आते हैं। इसी तरह भोग में भी जहां सैकड़ों लोग इकट्ठे होते थे अब भीड़ संख्या काफी कम इकट्ठा होती है। उत्तराखंड सरकार से करे प्रशासन बात, पास देने का क्या फायदा : लक्की

सेक्टर-8 के सनातन धर्म मंदिर के अध्यक्ष एचएस लक्की का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन को क्या इस बात का पता नहीं है कि अस्थियां विसर्जन के लिए पिहोवा और हरिद्वार में जाने पर पाबंदी लगाई हुई है। ऐसे में फिर इन जगहों पर जाने के लिए क‌र्फ्यू पास ही नहीं जारी करने चाहिए ताकि लोगों को बिना विजसर्न के बॉर्डर से न लौटना पड़े। प्रशासन को उत्तराखंड सरकार से इस संबंध में बात करनी चाहिए।


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