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धैर्य और साहस के दम पर जीती जा सकती है कोरोना से लड़ाई : डॉ. पारुल

शहर में सबसे पहले  कोरोना संक्रमित पाई गई 26 वर्षीय महिला डॉक्टर ने आखिरकार यह जंग जीत ली।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 08:04 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 08:04 PM (IST)
धैर्य और साहस के दम पर जीती जा सकती है कोरोना से लड़ाई : डॉ. पारुल
धैर्य और साहस के दम पर जीती जा सकती है कोरोना से लड़ाई : डॉ. पारुल

विशाल पाठक, चंडीगढ़।

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शहर में सबसे पहले  कोरोना संक्रमित पाई गई 26 वर्षीय महिला डॉक्टर ने आखिरकार यह जंग जीत ली। इंग्लैंड से वापस लौट कर पीजीआइ में भर्ती डॉ. पारुल को स्वस्थ होने पर वीरवार को डिस्चार्ज कर दिया गया। शनिवार को उन्होंने कोरोना से लड़ाई के अपने अनुभव को दैनिक जागरण के साथ बातचीत में खुल कर साझा किया।

डॉक्टर पारुल ने संक्रमण से उबरने के लिए इलाज के दौरान की कड़वी यादों के बारे में कहा कि ऐसी लड़ाई सिर्फ धैर्य और साहस के दम पर ही जीती जा सकती है। बताया कि जब उन्हें यह मालूम हुआ कि वह कोरोना संक्रमित हैं तो वह काफी घबरा गई थी। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन उन्होंने डॉक्टरों पर विश्वास जताते हुए पीजीआइ में अपना इलाज शुरू करवाया।  डॉक्टर पारुल ने कहा कि वह डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ,  चंडीगढ़ प्रशासन और यूटी पुलिस का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हैं, जिन्होंने इन विषम परिस्थितियों में मेरी हर संभवत मदद की है। आइसोलेशन वार्ड में परिवार के लोगों की हमेशा आती थी याद

 डॉक्टर पारुल ने बताया जब वह आइसोलेशन वार्ड में थीं, तब उन्हें सबसे ज्यादा उनके परिवार की याद आती थी। डॉक्टर पारुल ने बताया कि इलाज के दौरान ऐसे मरीज से डॉक्टरों के अलावा और कोई नहीं मिल सकता। ऐसे में मेरे लिए परिवार से दूर रहकर आइसोलेशन वार्ड में इलाज कराना बड़ी चुनौती थी। डॉक्टरों की टीम की मेहनत और सहयोग के दम पर ही वह इस जंग को जीत पाई हैं।

कोरोना वायरस की जंग जीतने वाली डॉक्टर पारुल ने बताया कि जब उनमें कोरोना वायरस के लक्षण शुरू हुए, तो सबसे पहले उन्हें 2 से 3 दिन तक लगातार बुखार रहा। सूखी खांसी आना शुरू हुई और सांस लेने में दिक्कत होती थी। सातवें से आठवें दिन यह परेशानी ज्यादा बढ़ गई। जब मैंने अपना पीजीआइ में टेस्ट करवाया तो मुझे मालूम हुआ कि मैं कोरोना वायरस से संक्रमित हूं। कई दिनों बाद शहर की हवा में खुलकर सांस लेना अलग एहसास

 डॉक्टर पारुल ने कहा कि जब वह ठीक होकर अपने घर वापस लौटीं तो उन्हें लगा कि यह मेरे लिए नया जीवन है। कई दिनों बाद शहर की हवा में खुलकर सांस लेना उनके लिए अलग एहसास है। कई दिनों के इलाज के चलते पाबंदी और निगरानी के बीच रहने के बाद बाहर निकलकर अपनों के बीच जाना एक अलग अनुभव था। प्रशासन ने मेरे परिवार का रखा पूरा ख्याल

डॉक्टर पारुल ने बताया कि जब वह इलाज के लिए हॉस्पिटल में एडमिट थीं, तब इस मुसीबत की घड़ी में चंडीगढ़ प्रशासन ने उनके परिवार का पूरा ध्यान रखा। परिवार की हर जरूरत को प्रशासन ने पूरा किया। प्रशासन की ओर से समय-समय पर उनके घर रोजमर्रा के सामान व दवा पहुंचाई जाती रही। लोगों से की अपील- लॉकडाउन में प्रशासन और सरकार का निर्देश मानना जरूरी

डॉक्टर पारुल ने बताया कि लोगों को प्रशासन और सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। इसके अलावा प्रशासन की ओर से कोरोना वायरस को लेकर जरूरी एहतियात बरतने के लिए जो कदम उठाने के लिए कहे गए हैं, उनका जरूर पालन करना चाहिए। डॉक्टर पारुल ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिग और अपनी हाइजीन का खास ख्याल रख कर ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है।


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