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..संघर्ष में रिश्तों की उलझती डोर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जीवन कभी आसान तो कभी मुश्किल है। मगर हमें हर कदम पर इसे पूरी तरह जीना चाह

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jan 2018 08:56 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jan 2018 08:56 PM (IST)
..संघर्ष में रिश्तों की उलझती डोर
..संघर्ष में रिश्तों की उलझती डोर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जीवन कभी आसान तो कभी मुश्किल है। मगर हमें हर कदम पर इसे पूरी तरह जीना चाहिए। हालांकि नाटक हो रहेगा कुछ न कुछ का संदेश कुछ और है, जिसमें अंत में जेसी एक कठोर कदम उठाती है। सोमवार को टैगोर थिएटर-18 में शुरू हुए ट्राईसिटी थिएटर फेस्टिवल के पहले दिन खेला नाट्य संस्थान द्वारा इस नाटक का मंचन किया गया। नाटक जेसी और उसकी मां के बीच है। जिसमें जेसी ने अपने पिता को खो दिया है और वो इन दिनों बिना नौकरी के दयनीय जीवन जी रही है। नाटक में जेसी खुद को खत्म करने का फैसला करती है, मगर इसी बीच उसकी मां उससे बात करने लगती है। पहले सब कुछ ठीक लगता है, मगर जेसी फिर भी आत्महत्या का मन बना लेती है। उसकी मां को लगता है कि जेसी मजाक कर रही है, मगर धीरे-धीरे नाटक और नकारात्मक रूप ले लेता है और जेसी खुद को कमरे में बंद कर लेती है। हालांकि अंत पूरी तरह दर्शकों पर छोड़ दिया गया।

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नाटक में दिखा गंभीर अभिनय

नम्रता शर्मा के निर्देशन में नाटक कसा हुआ था। जिसमें अभिनय भी बेहतरीन था। नाटक में क्राफ्ट का बेहतर इस्तेमाल हुआ, जिसकी वजह से लाइट्स और सेट का तालमेल भी खूब रहा।


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