बेकसूर को रखा 16 महीने जेल, हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांगा 20 लाख मुआवजा
: दुष्कर्म के एक मामले में बेवजह 16 महीने से अधिक समय जेल में बिताने वाले सेक्टर-52 निवासी वसीम मलिक ने चंडीगढ़ पुलिस से 20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : दुष्कर्म के एक मामले में बेवजह 16 महीने से अधिक समय जेल में बिताने वाले सेक्टर-52 निवासी वसीम मलिक ने चंडीगढ़ पुलिस से 20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। चंडीगढ़ में 13 दिसंबर 2016 को हुई दुष्कर्म की एक घटना में चंडीगढ़ पुलिस ने घटना के चार दिन बाद वसीम को गिरफ्तार कर लिया था और उसे दुष्कर्म का आरोपी बताया गया था। इस मामले में इंडस्ट्रियल एरिया थाने में दर्ज किए गए दुष्कर्म के एक मामले में वसीम मलिक को आरोपी बनाते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि वसीम मलिक की शक्ल पीड़िता द्वारा बनवाए गए स्केच से मिलती थी। पुलिस ने वसीम की पहचान तब पीड़िता से भी करवाई थी, परंतु पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी से पहले न तो उसकी मोबाइल लोकेशन को ध्यान में रखा और न ही आरोपियों द्वारा पीड़िता को थ्री-व्हीलर में ले जाने वाली सड़कों के सीसीटीवी फुटेज को परखा। चंडीगढ़ पुलिस द्वारा तुरत-फुरत में गिरफ्तार किए जाने के कारण वसीम को करीब 16 महीने जेल में रहना पड़ा और उसकी समस्याओं का अंत तब हुआ जब 13 और 14 मार्च, 2018 को चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले में असली आरोपियों इरफान मौहम्मद और कमल हसन को गिरफ्तार किया। क्लीन चिट के बाद भी एक महीने रखा अंदर
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील एचसी अरोड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस ने अपनी साख बढ़ाने के लिए पीड़िता को एक टूल की तरह से इस्तेमाल किया। उन्होंने अदालत को बताया कि वसीम को जमानत भी तब मिल पाई जब सीबीआइ की फोरेंसिक जांच में वसीम को क्लीन चिट दे दी गई। बाद में फोरेंसिक जांच में इरफान और कमल हसन के इस अपराध में शामिल होने की पुष्टि की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा है कि चंडीगढ़ पुलिस को 9 जून को ही फोरेंसिक जांच में उसे क्लीन चिट मिलने के बावजूद भी चंडीगढ़ पुलिस ने उसे एक महीने से अधिक समय लिया और उसे आरोप मुक्त करने की अर्जी जुलाई, 2016 में दायर की। बेकसूर साबित करने के लिए सारा जमा पूंजी खर्च
अपनी याचिका में वसीम ने कहा है कि दुष्कर्म के मामले में झूठे आरोप लगने और 16 महीने जेल में रहने की वजह से उसे और उसकी अविवाहित बहन को सामाजिक आघात पहुंचा है। उसे अपने को बेकसूर साबित करने के लिए बहुत सारा धन खर्च करना पड़ा है। यहां तक कि उसे अपनी गाड़ी भी बेचनी पड़ी। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि चंडीगढ़ पुलिस के कुछ अधिकारियों ने 1 अगस्त 2018 को उसके घर पर छापा मारा और उसे और उसके परिवार को पूरी रात सेक्टर-61 की पुलिस चौकी में रखा गया। वसीम की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश कुमार जैन की पीठ ने चंडीगढ़ के गृह सचिव, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, एएसआइ परमिन्दर सिंह और अन्यों को 21 अक्टूबर के नोटिस जारी कर दिए हैं।