गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर
जागरण संवाददाता, मोहाली : किसी में कॉलोनियों में रहने वाले बच्चों को फिल्मी धुनों की तर्ज पर
जागरण संवाददाता, मोहाली : किसी में कॉलोनियों में रहने वाले बच्चों को फिल्मी धुनों की तर्ज पर श्लोक सिखाने का जुनून है, तो किसी में रीडिंग स्किल्स को सुधारने के लिए पढ़ाई के तरीके को सरल बनाने का जुनून। कोई अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद गरीब बच्चों को पढ़ा रहा है, तो कोई पढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पौधे बाट रहा है। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को फेज-10 स्थित मानव मंगल स्कूल में पुदुच्चेरी की राज्यपाल किरण बेदी ने ऐसे ही 15 शिक्षकों का सम्मान किया। डॉ. जीसी मिश्रा मेमोरियल एजुकेशन एवं चैरिटेबल ट्रस्ट और मानव मंगल स्मार्ट स्कूल की ओर से ये पहला टीचर्स एक्सीलेंस अवॉर्ड समारोह था। ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी मयंक मिश्रा और मानव मंगल ग्रुप ऑफ स्कूल्स के निदेशक संजय सरदाना भी इस मौके पर मौजूद थे। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। हर किसी के जुनून की अलग कहानी
समारोह में सम्मानित हुए हर शिक्षक के जुनून की अलग कहानी है। टीचर्स एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले शिक्षकों में पीजी गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर-11 की केमिस्ट्री विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुराधा शर्मा और रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश सेक्टर-32 चंडीगढ़ की लेक्चरर सरीता तिवारी, गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-46 की केमिस्ट्री लेक्चरर बलजिंदर कौर, पंजाब यूनिवर्सिटी के सोशल वर्क विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गौरव गौड़, गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-32 के हिंदी लेक्चरर नरेंद्र शास्त्री, गवर्नमेंट मिडल स्कूल, पलसोरा कॉलोनी के जेबीटी मनीष कुमार, जंडियाला (लुधियाना) के गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल के ईटीटी टीचर नरिंदर सिंह, गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-38 (वेस्ट) डड्डूमाजरा कॉलोनी के जेबीटी राकेश दहिया, इंस्टीट्यूट फॉर द ब्लाइंड सेक्टर-26 के फिजिकल एजुकेशन के लेक्चरर राकेश कुमार शर्मा और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डीन रिसर्च डॉ. संजीत सिंह शामिल हैं। इनको भी मिला सम्मान
मानव मंगल ग्रुप ऑफ स्कूल्स के गोल्डन जुबली वर्ष में मानव मंगल स्मार्ट स्कूल के पाच फाउंडर टीचर्स को भी सम्मानित किया गया। इन शिक्षकों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से स्कूल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन शिक्षकों में 20 साल से मानव मंगल के साथ जुड़ीं हरजोत कौर, कल्पना मोजा और तरुणा भारद्वाज शामिल हैं। तीनों ही स्कूल में कोऑर्डिनेटर हैं। इनके साथ ही 12 साल से मानव मंगल में सेवाएं दे रहीं कोऑर्डिनेटर सिमरनप्रीत कौर और स्कूल के प्रशासनिक कोऑर्डिनेटर अनिल कुमार शर्मा को भी सम्मानित किया गया। साथ ही मंच का संचालन कर रहीं उमा महाजन को भी सम्मानित किया गया। क्यों न हो इन पर गर्व
डॉ. अनुराधा शर्मा : सेक्टर-11 के पीजी गवर्नमेंट कॉलेज में केमिस्ट्री पढ़ाती हैं। पढ़ने और पढ़ाने का शौक ही उन्हें टीचिंग प्रोफेशन में लेकर आया। उन्होंने 2003 में अपने घर के बरामदे से हमारी कक्षा नाम से एनजीओ की शुरुआत की। उस समय उनके पास केवल 17 बच्चे थे। उनकी एक ही इच्छा थी, जरूरतमंद बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाना। आज चंडीगढ़ और पंचकूला मिलाकर हमारे पास इस समय 5 ब्राच और 700 बच्चे पढ़ रहे हैं। डॉ. अनुराधा शर्मा ने हमारी कक्षा की को-फाउंडर सरीता तिवारी के साथ यह अवॉर्ड साझा किया। बलजिंदर कौर : चंडीगढ़ के सेक्टर-46 स्थित गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में केमिस्ट्री की लेक्चरर हैं। बच्चों को पढ़ाने के बाद इनका बाकी का समय पौधों के बीच ही गुजरता है। पिछले 16 साल से पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रही हैं। स्कूल के हर्बल गार्डन में हर साल 3 से 4 हजार पौधे तैयार कर इन्हें दूसरे स्कूलों में बाटा जाता है। डॉ. गौरव गौड़ : पंजाब यूनिवर्सिटी के सोशल वर्क विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यह उनका जुनून ही है कि एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने से लेकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए वह न सिर्फ मुंडन करवाते थे, बल्कि अपनी शरीर पर पेंटिंग करवाते थे। जागरूकता फैलाने के उनके इस अनोखे अंदाज ने उन्हें कम समय में लोकप्रिय बना दिया। चंडीगढ़ के साथ साथ पड़ोसी राज्यों में भी वे स्वच्छ भारत अभियान से लेकर मेंस्ट्रूअल हाईजीन मैनेजमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़े हैं। नरेंद्र शास्त्री : चंडीगढ़ के सेक्टर-32 स्थित गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हिंदी के लेक्चरर हैं। वे कॉलोनियों में पढ़ रहे बच्चों को संस्कृत के श्लोक फिल्मी धुनों की तर्ज पर तैयार कर सिखाते हैं। उन्होंने अपने इस अनोखे तरीके से न सिर्फ कॉलोनी के बच्चों को संस्कृत सिखाई, बल्कि उन्हें आगे भी बढ़ाया। उनके इस जुनून में उनकी शारीरिक विकलागता आड़े नहीं आती है। नरिंदर सिंह : लुधियाना जिले के जंडियाला के गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल के ईटीटी टीचर नरिंदर सिंह, जब इस स्कूल में कुछ साल पहले आए थे, तो स्कूल में तीन कमरे थे और वह भी बहुत खराब हालत में। उसी दिन उन्होंने मन में ठान लिया था कि स्कूल की नई इमारत बनवाएंगे और इसे कावेंट स्कूल का रूप देंगे। उनके प्रयास से आज स्कूल में नौ कमरे हैं और राज्य का यह अकेला प्राइमरी स्कूल है, जहा ई-लाइब्रेरी, मैथ्स पार्क जैसी सुविधाएं हैं। उन्होंने अपने पैसों से स्कूल में काम करवाया। मनीष कुमार : चंडीगढ़ की पलसोरा कॉलोनी के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल के जेबीटी मुनीष कुमार लगभग तीन साल पहले ही नियुक्त हुए हैं। लेकिन, इन तीन सालों में उन्होंने अपने अनूठे प्रयास से अंग्रेजी और गणित को पढ़ाने के तरीके को इतना सरल बना दिया कि इसके परिणाम दिखने लगे और बच्चों के रीडिंग स्किल्स सुधरने लगे। वह अब अन्य शिक्षकों को भी ट्रेनिंग देते हैं। राकेश दहिया : सेक्टर-38 (वेस्ट) स्थित गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में जेबीटी हैं। पढ़ाने के बाद वह अपना अधिकतर समय बच्चों के बीच ही गुजारते हैं। सामाजिक बुराइया हों या पर्यावरण संरक्षण, वह अपने स्टूडेंट्स के साथ मिलकर लोगों को जागरूक करते हैं। वह सिर्फ किताबी पढ़ाई ही नहीं करवाते हैं। उन्होंने अपने कई ऐसे स्टूडेंट्स की जिंदगी संवार दी है, जो बुरी संगत में होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते थे। राकेश कुमार शर्मा : चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित इंस्टीट्यूट फॉर द ब्लाइंड में फिजिकल एजुकेशन के लेक्चरर राकेश कुमार के जुनून के कारण ही इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले कई दृष्टिहीन छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीते। वह अपने इन स्टूडेंट्स के प्रति इतने समर्पित हैं कि ड्यूटी खत्म होने के बाद भी उनके साथ मेहनत करते हैं ताकि वह उनकी जिंदगी संवार सकें। शायद इसी जुनून के कारण ही आज कई अच्छे ऑफर होते हुए भी वह इंस्टीट्यूट में ही डटे हैं, ताकि वह इन मेधावी दृष्टिहीन स्टूडेंट्स को कुछ बना सकें। डॉ. संजीत सिंह : चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के एसोसिएसट डीन रिसर्च डॉ. संजीत सिंह देश में एंट्रप्रेन्योरशिप और इनोवेशन के कल्चर को बढ़ाते हुए अपने छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने में मदद कर रहे हैं। अब तक वह 38 स्टार्टअप्स की मेंटरिंग कर चुके हैं। अपने 11 साल के टीचिंग और रिसर्च की सेवा में वह कई बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं। मेरे मा-बाप मेरे असली टीचर्स : बेदी
पुदुच्चेरी की राज्यपाल किरण बेदी ने कहा कि हर टीचर हमारे देश के बच्चे का निर्माता है। हर अध्यापक बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मा-बाप को भी जागरूक करना है कि वे भी शिक्षक है। उनका काम जन्म देने तक नहीं। मुझे टेनिस मेरे पापा ने सिखाया और पढ़ाना व मेहनत करना मम्मी ने। वे जिंदा नहीं, लेकिन मेरे दिल में हैं। बेदी ने अपने जीवन में आए अध्यापकों को याद किया। शिक्षक दिवस पर बेदी ने कहा कि अध्यापक देश की बुनियाद बनाने वाले हैं। इस लिए वे खुद तय करें कि देश की बुनियाद कैसी हो।