Move to Jagran APP

सिंडिकेट में उठल सकता है हॉस्टलों में आर्थिक अनियमितता का मुद्दा

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट मीटिंग में एक मर्तबा फिर हॉस्टलों में आर्थि

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)
सिंडिकेट में उठल सकता है हॉस्टलों में आर्थिक अनियमितता का मुद्दा

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट मीटिंग में एक मर्तबा फिर हॉस्टलों में आर्थिक अनियमितता का मुद्दा उठेगा। एजेंडे की सप्लीमेंटरी आइटम में यह मुद्दा जोड़ा गया है। असल में पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन इस मामले में पीएमओ तक शिकायत भेजने वाले इवनिंग स्टडीज विभाग के प्रो. विजय चोपड़ा को री-इंप्लायमेंट देने को लेकर अड़ गया है। प्रो. चोपड़ा के 65 साल होने में दो साल बचे हैं। इन बचे दो सालों की री-इंप्लायमेंट उन्हें नहीं दी जा रही है, हालांकि उन्हें जो लेटर दिया गया था, उसमें पांच साल की री-इंप्लायमेंट का जिक्र था। प्रो. चोपड़ा की री-इंप्लायमेंट इस बिनाह पर रोकी जा रही है कि उन पर आरोप है कि उन्होंने सर्विस रूल्स का उल्लंघन किया और सीधे चांसलर डॉ. हामिद अंसारी और पीएमओ सहित केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय तक शिकायत भेजी।

loksabha election banner

मैंने कोई रूल नहीं तोड़े, वीसी को बता दिया था : चोपड़ा

उधर, प्रो. चोपड़ा की दलील है कि उन्होंने कोई सर्विस रूल नहीं तोड़े और बाकायदा वाइस चांसलर प्रो. अरुण ग्रोवर को हॉस्टलों में हो रही आर्थिक अनियमितता की शिकायत भेजी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने वही शिकायत आगे फारवर्ड की।

अखिल विद्यार्थी परिषद ने भी मामले की शिकायत की थी

बता दें कि यही शिकायत पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी कर चुकी थी, जिसके बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने यूजीसी को कार्रवाई करने को लिखा, जहां से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन कर दिया गया, जिसने बाकायदा यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से पूछताछ की। एबीवीपी के शिकायत करने वाले स्टूडेंट्स से भी पूछताछ की गई। मसला सिंडिकेट और सीनेट की मीटिंग में भी आ चुका है।

सिंडिकेट ने लगा दी थी फैसले पर मोहर, सीनेट में हुआ था विरोध

सिंडिकेट ने तो वीसी के प्रो. चोपड़ा को री-इंप्लायमेंट न देने के फैसले पर मोहर लगा दी थी, लेकिन जब मसला बीते दिनों हुई सीनेट में पहुंचा तो इसका कई सीनेटरों ने यह कहकर विरोध किया कि जब सीनेट के सामने पूरे मामले के कागजात ही नहीं तो कैसे फैसला करें? खासतौर से हॉस्टलों में अनियमितता की उस शिकायत के कागज संलग्न करने को कहा गया, जो ऊपर भेजी गई। पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस बार की सिंडिकेट में वह कागज सप्लीमेंटरी एजेंडे के तहत जोड़ दिए हैं। इस पर तगड़ा बवाल होने के आसार हैं।

स्मृति ईरानी खुद ले रहीं दिलचस्पी

एबीवीपी की शिकायत के बाद खुद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले में दिलचस्पी दिखाई और यूजीसी को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित कर जांच करने का आदेश दिया। मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि इस आर्थिक धांधली को लेकर प्रो. विजय चोपड़ा से बीते एक माह में दो बार सीबीआइ भी पूछताछ कर चुकी है। उन्होंने इस धांधली के संपूर्ण कागजात सीबीआइ के पास भी भेजे थे।

कैमरों की खरीद के मामले में हो चुकी है छापामारी

फिलहाल जिस तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं, वह पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन के लिए नई परेशानी खड़ी कर सकती हैं। पहले भी सीबीआइ यूनिवर्सिटी में कैमरों की खरीद फरोख्त व लॉ विभाग के प्रोफेसरों की स्टूडेंट्स द्वारा की गई शिकायत पर छापामारी कर चुकी है।

सीबीआइ को दी थी बोगस फर्माे से खरीद की शिकायत

सीबीआइ को भेजी शिकायत में कुछ बोगस फर्मो से खरीद फरोख्त की शिकायत है। गीजर, वाटर कूलर, एयर कंडीशनर अमालगमेटिड, कॉमन पुल फंड से खरीदे गए, जिनका प्री ऑडिट होना चाहिए था।

हॉटस्लों में खरीद की थी ही नहीं जरूरत

हॉस्टलों ने इसकी ख्ररीद की कोई जरूरत नहीं दर्शाई थी, लेकिन बावजूद इसके इनकी खरीद की गई और कई प्रोडक्ट्स तो सब स्टैंडर्ड कंपनियों से खरीदे गए, जिन्हें रेलवे ने अपनी प्रक्रिया में ब्लैकलिस्ट कर रखा है। कुछ अधिकारियों पर आरोप लग रहे हैं कि इन फर्मो में उनकी हिस्सेदारी है। पंचकूला की कुछ फर्मो के पते भी अलग-अलग जगहों के दर्शाए गए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.